21 अप्रैल को महावीर जयंती पर इन 5 सिद्धांतों से करे मोक्ष की प्राप्ति
जैन धर्म के लोगों के लिए महावीर जयंती का पर्व बहुत विशेष होता है। प्रत्येक साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। इस साल महावीर जयंती 21 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन को ईश्वर महावीर के जन्म उत्सव के तौर पर भी मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। ऐसा बोला जाता है कि महावीर स्वामी का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। इनका बचपन का नाम वर्धमान था। 30 साल की उम्र में इन्होंने राजपाट त्यागकर संन्यास धारण कर लिया था तथा अध्यात्म के मार्ग पर चल दिए थे।
महावीर जयंती पर जैन लोग क्या करते हैं?
जैन धर्म की मान्यता है कि 12 सालों के सख्त मौन तप-जप के पश्चात् ईश्वर महावीर ने अपनी इंद्रियों पर पूरी तरह विजय प्राप्त कर ली थी। निडर, सहनशील एवं अहिंसक होने की वजह से उनका नाम महावीर पड़ा। 72 साल की उम्र में उन्हें पावापुरी से मोक्ष प्राप्त हुआ। महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग प्रभातफेरी, अनुष्ठान, शोभायात्रा निकलाते हैं। फिर महावीर जी की प्रतिमा का सोने एवं चांदी के कलश जलाभिषेक किया जाता है।
इस के चलते जैन संप्रदाय के गुरु ईश्वर महावीर के उपदेश बताते हैं तथा उनपर चलने की सीख दी जाती है। इस दिन देशभर के जैन मंदिरों में पूजा की जाती है। इस दिन जैन समुदाय के लोग स्वामी महावीर के जन्म की खुशियां मनाते हैं तथा शोभा यात्राएं भी निकाली जाती हैं। इन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे।
भगवान महावीर के पांच सिद्धांत:-
राजसी ठाठ छोड़ आध्यात्म का मार्ग अपनाने वाले ईश्वर महावीर स्वामी ने जीवनभर मानव जाति को अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने के मार्ग बताए। महावीर स्वामी के 5 प्रमुख सिद्धांत बताए थे, जिन्हें पंचशील सिद्धांत भी बोला जाता है।
सत्य।
अहिंसा।
अस्तेय यानी चोरी न करना।
अपरिग्रह यानी विषय और वस्तुओं के प्रति लगाव न होना।
ब्रह्मचर्य का पालन करना।
धार्मिक मान्यता है कि ईश्वर महावीर के इन 5 सिद्धांतों का पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।