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चैत्र नवरात्रि में 30 साल बाद बनने जा रहा अमृत सिद्ध योग

चमोली : हिंदू धर्म में चैत्र की नवरात्रि का विशेष महत्व है वैदिक गणना के मुताबिक 9 अप्रैल से हिंदू नववर्ष यानि विक्रम संवत 2081 की आरंभ होने जा रही है हालांकि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक नए वर्ष की आरंभ 1 जनवरी से होती है लेकिन नया हिंदू साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है सनातन धर्म के सभी व्रत हिंदू कैलेंडर की तिथियों के मुताबिक ही मनाए जाते हैं इस वर्ष 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रही है वैदिक पंचांग के मुताबिक चैत्र नवरात्रि में 30 वर्ष बाद अमृत सिद्ध योग बनने जा रहा है जिस दौरान देवी की उपासना करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलेगा

चमोली जिले के गौचर (बमोथ) के पुजारी प्रदीप लखेड़ा बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि को ‘गुड़ी पड़वा’ के रूप में भी मनाया जाता है, शास्त्रों में वर्णित है कि आदि शक्ति मां भगवती की प्रेरणा से ही ब्रह्मा जी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से सृष्टि का शुरुआत किया था प्रदीप लखेड़ा बताते हैं कि नक्षत्रों में पहला नक्षत्र अश्विनी माना गया है यदि मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र हो तो वह अमृत सिद्ध योग बनाता है इस बार की नवरात्रि में अश्विनी नक्षत्र के दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है जिस दौरान सूर्य का मीन राशि में प्रवेश भी होगा लखेड़ा बताते हैं कि ऐसा संयोग 30 वर्ष बाद बन रहा है जो बहुत शुभ है

नवरात्रि के हैं खास नियम!
पंडित लखेड़ा बताते हैं कि नवरात्रि के 9 दिनों तक भक्त उपवास रखते हैं और नवरात्रि के रोजाना से पूजा अनुष्ठान की अनेक परंपराएं जुड़ी हुई हैं नवरात्रि के पहले दिन लोग कलश स्थापना करते हैं, जो मां दुर्गा के आगमन का प्रतीक और नवरात्रि के उत्सव के आरंभ का प्रतीक है व्रत के आठवें दिन कन्याओं की विशेष पूजा होती हैं, क्योंकि कन्याएं देवी का अगुवाई करती हैं इसके बाद रामनवमी मनाई जाती है, इस दिन प्रभु राम की पूजा होती है ऐसा बोला जाता है कि जो भक्त रेट के साथ पूजा के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें भगवती की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है

 

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