Hanuman Jayanti 2024: हिंदू पंचांग के मुताबिक, हनुमान जन्मोत्सव प्रतिवर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रैल 2024 को मनाया जा रहा है. इस दिन पवन पुत्र हनुमान का जन्म हुआ था. हनुमान जयंती के मौके पर बजरंगबली की विशेष पूजा होती है. इस मौके पर हनुमान मंदिरों के दर्शन का भी महत्व है.
हनुमान जी के अधिकतर मंदिर हिंदुस्तान भर में स्थित हैं, लेकिन कुछ प्रमुख मंदिरों में यह उत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है, जैसे कि अयोध्या का हनुमान गढ़ी, जोधपुर का हनुमान मंदिर, दिल्ली के रामपुरी का श्री हनुमान मंदिर, राजस्थान का बालाजी मंदिर आदि. अपने निकटतम हनुमान मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना कर सकते हैं.
कुछ हनुमान मंदिर काफी प्राचीन है और उन्हें लेकर मान्यता है कि यहां बजरंगबली स्वयं ही प्रकट हुए. इन मंदिरों में आज भी हनुमान जी के होने की मान्यता है. कहते हैं कि इन प्राचीन और चमत्कारी स्वयंभू हनुमान मंदिरों में दर्शन से बजरंगबली अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर सबसे लोकप्रिय और मशहूर हनुमान मंदिरों के बारे में जान लें.
राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर नाम की स्थान है, जो कि दो पहाड़ियों के बीच बसा है. मेहंदीपुर में बालाजी का प्राचीन और चमत्कारी मंदिर स्थित है. मान्यता है कि यहां चट्टान पर स्वयंभू हनुमान जी की आकृति उभर आई थी. इस मंदिर का इतिहास करीब एक हजार वर्ष पुराना है. बालाजी में राष्ट्र के कोने कोने से भक्त अपनी कठिनाई लेकर आते हैं और बालाजी महाराज उनके कष्टों का हरण करते हैं. यहां भैरव बाबा, प्रेतराज गवर्नमेंट और कोतवाल कप्तान की पूजा भी होती है.
सालासर हनुमान मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के ही चूरू जिले के सालासर गांव में हनुमान जी प्राचीन मंदिर है, जहां बजरंगबली की प्रतिमा स्वयंभू प्रकट हुई थी. एक किसान को खेती के दौरान प्रतिमा मिली, जिसे बाद में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया. यह पहला ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की दाढ़ी और मूंछ है.
हनुमानगढ़ी, अयोध्या
उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में प्रभु राम का जन्म हुआ था. 14 साल के वनवास के बाद जब ईश्वर राम माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ वापस अयोध्या गए तो हनुमान जी को भी साथ ले गए. कहते हैं कि हनुमानजी अयोध्या की रक्षा स्वयं यहां वास करके करते हैं. इस मंदिर की स्थापना करीब 300 वर्ष पहले स्वामी अभयारामदास ने की थी. रामलला के दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों की तीर्थ तब तक सम्पन्न नहीं होता, जब तक वह हनुमानगढ़ी के दर्शन नहीं करते.