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बरसाने की होली देखने का बना रहे हैं प्लान, तो जानें कब खेली जाएगी लट्ठमार होली, महत्व

कान्हा की नगरी मथुर-वृंदावन और पूरे ब्रजधाम में फागुन का महीने प्रारम्भ होते ही होली की खुमारी छाने लगती है वृंदावन की कुंज गलियों में अबीर और गुलाल की बौछार होने लगती है प्रेम रंग में सराबोर मथुरावासी केवल रंग गुलाल ही नहीं लड्डू, फूल और माखन से भी होली खेलते हैं पूरे विश्व से बड़ी संख्या में लोग ब्रज की होली देखने मथुरा पहुंचते हैं बरसाने की लट्ठमार होती को देखने का अलग ही मजा है एक बार बरसाने की होली देखने सभी को जरूर जाना चाहिए यदि आप भी इस बार बरसाने की होली देखने का प्लान बना रहे हैं जो जान लें कब खेली जाएगी लट्ठमार होली और इसका क्या है महत्व?

कैसे प्रारम्भ होती है बरसाने की लट्ठमार होली

होली के मौके पर बरसाने के लाडली मंदिर से नंदगांव फाग को निमंत्रण भेजा जाता है इसके बाद नंदगांव से एक फाग निमंत्रण को स्वीकार कर लाड़लीजी के मंदिर में संदेश लेकर पहुंचता है आमंत्रण स्वीकार करने के बाद लड्डू खिलाए जाते हैं और इसी दिन यहां लड्डू होली खेली जाती है

भगवान कृष्ण और राधा खेलते थे होली

लट्ठमार होली

मान्यता है कि ईश्वर कृष्ण अपने सखाओं के साथ राधा रानी के गांव यानि बरसाने में होली खेलने आया करते थे गंदगांव के ग्लावे और बरसाने की ग्वालिन होली खेलती थीं तभी से यहां होली खेलने की ये परंपरा चली आ रही है गोप जब गोपिकाओं को प्रेम में छेड़ते थे तो उन्हें लट्ठमारते हुए भगाया करती थीं इसी मान्यता को जीवंत रखने के लिए यहां हर वर्ष लट्ठमार होली खेली जाती है

कब खेली जाती है लट्ठमार होली?

मथुरा की होली

इस बार 19 मार्च को लट्ठमार होली खेली जाएगी पहले बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती है उसके बाद नंदगांव में होली खेली जाती है और सबसे आखिर में रंगभरी एकादशी के दिन वृंदावन में फूलवारी होली खेली जाती है हालांकि ब्रज में पूरे 40 दिन तक होली का त्योहार मनाया जाता है भिन्न-भिन्न मंदिरों में भक्त नंदलाला के साथ होली खेलते हैं

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