लाइफ स्टाइल

वरुथिनी एकादशी पर कर लें ये एक काम, हर इच्छा होगी पूरी

वैशाख माह का आरम्भ 24 अप्रैल 2024 से हो रहा है वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी बोला जाता है ये प्रभु श्री विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे पुण्यदायक व्रत माना जाता है समस्त कष्ट, दुख एवं दरिद्रता से मुक्ति पाने के लिए वरुथिनी एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु के वराह रुप की पूजी की जाती है वही इस साल 4 मई 2024 को वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा जो मनुष्य इस बरूथिनी एकादशी का उपवास करते हैं, उन्हें कन्यादान का फल मिलता है इस व्रत के माहात्म्य को पढ़ने से एक सहस्र गौदान का पुण्य मिलता है वरुथिनी एकादशी पर पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है…

पूजा विधि
वरुथिनी एकादशी व्रत के दिन साधक प्रातः शीघ्र उठकर स्नान-ध्यान करें तथा गंगाजल से पूजा स्थल को साफ करें फिर साफ वस्त्र धारण करें तथा मंदिर में दीपक प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लें फिर प्रभु श्री विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से उनकी उपासना करें आखिर में आरती के साथ पूजा संपन्न करें रात्रि जागरण करें और दान दें

एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता .
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ....

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी .
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ....

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी.
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई....

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ....

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै.
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ....

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ....

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ....

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी....

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी.
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ....

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए.
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए....

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला.
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला....

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी.
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ....

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया.
पावन मास में करूं प्रार्थना पार करो नैया ....

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी..
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ....

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै.
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै....

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