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ये राशि वाले आज शाम तक करें ये काम, मिलेगी धन-दौलत अपार

मंगलवार का दिन विशेष तौर पर हनुमान जी का दिन माना जाता है ऐसा बोला जाता है कि कलयुग में एक हनुमान जी ही हैं, जो धरती पर उपस्थित हैं बजरंगबली को ईश्वर शिव का रूप माना जाता है इन्हें अमृता का वरदान भी प्राप्त है जिस आदमी पर हनुमान जी की कृपा बनी रहती है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां भी बनी रहती हैं वहीं, मंगलवार के दिन हनुमान जी की उपासना करने से शनि देव के बुरे प्रकोप से भी बचा जा सकता है इसलिए हर मंगलवार को बजरंग बाण का श्रद्धापूर्वक पाठ करना बहुत पुण्यदायक माना जाता है आगे पढ़ें बजरंग बाण-

बजरंग बाण

दोहा 
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
जन के काज विलम्ब न कीजै आतुर दौरि महासुख दीजै
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा सुरसा बदन पैठि विस्तारा
आगे जाई लंकिनी रोका मारेहु लात गई सुर लोका
जाय विभीषण को सुख दीन्हा सीता निरखि परमपद लीन्हा
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा अति आतुर जमकातर तोरा
अक्षयकुमार को मारि संहारा लूम लपेट लंक को जारा
लाह समान लंक जरि गई जय जय धुनि सुरपुर में भई
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी कृपा करहु उर अन्तर्यामी
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता आतुर होय दुख हरहु निपाता
जै गिरिधर जै जै सुखसागर सुर समूह समरथ भटनागर
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले बैरिहिंं मारु बज्र की कीले

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गदा बज्र लै बैरिहिं मारो महाराज प्रभु दास उबारो
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा
सत्य होहु हरि शपथ पाय के रामदूत धरु मारु जाय के
जय जय जय हनुमन्त अगाधा दुःख पावत जन केहि अपराधा
पूजा जप तप नेम अचारा नहिं जानत हौं दास तुम्हारा
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं यहि अवसर अब केहि गोहरावौं
जय अंजनिकुमार बलवन्ता शंकरसुवन वीर हनुमन्ता
बदन कराल काल कुल घालक राम सहाय सदा प्रतिपालक
भूत प्रेत पिशाच निशाचर अग्नि बेताल काल मारी मर
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की राखु नाथ मरजाद नाम की
जनकसुता हरिदास कहावौ ताकी शपथ विलम्ब न लावो
जय जय जय धुनि होत अकाशा सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ यहि अवसर अब केहि गोहरावौं
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई पांय परों कर ज़ोरि मनाई
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल
अपने जन को तुरत उबारो सुमिरत होय आनन्द हमारो
यह बजरंग बाण जेहि मारै ताहि कहो फिर कौन उबारै
पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की
यह बजरंग बाण जो जापै ताते भूत प्रेत सब काँपै
धूप देय अरु जपै हमेशा ताके तन नहिं रहै कलेशा

दोहा
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान

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