Pishach yoga : जन्मपत्री में कैसे बनता हैपिशाच योग…
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में कई अशुभ योग होते हैं, जैसे अतिगंड योग, केमद्रूम योग, दरिद्र नारायण योग, प्रेतबाधा योग, कालसर्प योग आदि. इसी तरह एक पिशाच योग भी होता है. यह योग बहुत ही घातक होता है. इसे कालसर्प योग और चांडाल योग से भी भयानक माना जाता है. आओ जानते हैं कि जन्मपत्री में यह योग कैसे बनता है.
क्या है पिशाच योग, कैसे बनता है यह योग?
– शनि एक क्रूर ग्रह है और राहु पापी ग्रह है. इन दोनों की युति से पिशाच योग बनता है.
– शनि को अंधेरा और राहु को भ्रम ग्रह के नाम से जाना जाता है. इनकी आपसी दृष्टि भी इस योग का निर्माण करती है.
– लग्न में चंद्रमा और राहु, शनिदेव पंचम में और नवम में मंडल हो तो इसे पिशाच योग बोला गया है.
– जन्म मीडिया में शनि-राहु या शनि-केतु की युति होती है तो इस युति को प्रेत शाप योग कहते हैं.
– राहु अथवा केतु का चतुर्थ या दूसरे (कुटुम्ब स्थान) से संबंध होने पर या लग्न के अंश के नजदीक होने पर भी ये योग बनता है.
पिशाच योग का असर :
- शनि-राहु या शनि-केतु की युति जिस भी रेट में होती है, यह उस रेट के फल को बिगाड़ देती है या नष्ट कर देती है.
- ऐसे में आदमी को हर कदम पर संघर्ष करना होता है और उसके जीवन में अचानक ही कोई घटना घट जाती है.
- ऐसी घटना जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता या अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता.
- ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि इस योग के कारण एक के बाद एक कठिनाइयां सामने खड़ी होने लगती हैं.
- उम्र के 7 से 12 या 36 से लेकर 47 साल तक का समय हो तो मुसीबतों का दौर थमता नहीं है.
- ऐसा भी देखा गया है कि इस उम्र के दौरान यदि किसी शुभ या योगकारी ग्रह की हालात काल हो और शनि+राहू की युति हो तो इस योग के कारण उक्त ग्रहों की दृष्टि का दुष्प्रभाव उस ग्रह पर हो जाने से शुभ फल नष्ट हो जाता है.
- अधिकतर ज्योतिषाचार्य इसे पितृदोष नहीं मानते हैं लेकिन यह माना जाता है कि यह पूर्व जन्म के दोषों में से शनि ग्रह से निर्मित पितृदोष है.
- कहते हैं कि इससे जमीन-जायदाद संबंधी टकराव भी पैदा होते हैं, प्रॉपर्टी बिक जाती है, कारखाना या दुकान हो तो बंद हो जाते हैं, पिता पर ऋण इतना चढ़ जाता है कि उसे चुकाना कठिन हो जाता है. जॉब हो तो छुट जाती है.
- यह भी बोला जाता है कि ऐसे योग के कारण या ऐसे योग वाले के घर में जगह-जगह दरारें पड़ जाती हैं.
- सफाई के बावजूद बदबू आती रहती है. घर में से जहरीले जीव-जंतु निकलना भी इसकी निशानी है. मतलब यह कि इस घर में प्रेत योग का असर हो रहा है.
- यदि यह युति सप्तम रेट पर असर डाले तो शादी टूट जाता है.
- अष्टम पर डाले तो जातक पर जादू-टोने जैसा अजीब-सा असर रहता रहता है और हो सकता है कि उसकी भयावह मृत्यु हो जाए.
- नवम रेट में हो तो भाग्य साथ छोड़ देता है.
- एकादश रेट में हो तो मुसीबतों से लड़ते-लड़ते आदमी हारकर बैठ जाता है.
- इसी तरह कुंडली के हर रेट में इसका असर भिन्न-भिन्न होता है.
पिशाच योग के उपाय:-
1. पितरों का अच्छे से श्राद्ध कर्म करना चाहिए.
2. यदि कन्या हो तो गाय का दान और कन्या दान करना चाहिए.
3. शनि, राहु और केतु के तरीका करना चाहिए.
4. दोनों कान छिदवाकर उसमें सोना पहनना चाहिए.
5. छाया दान करना चाहिए.
6. अंधों को भोजन करवाना चाहिए.
8. कुत्तों को रोजाना रोटी खिलाना चाहिए.
9. शराब पीना और मांस खाना छोड़ देना चाहिए.
10. ब्याज का धंधा करना और पराई महिला से संबंध छोड़ देना चाहिए.
11. शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं.
12. अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें.
13. कभी भी अहंकार और घमंड न करें, विनम्र बने रहें.
14. किसी भी देवी, देवता और गुरु आदि का अपमान न करें.
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