ये है वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश योग नगरी होने के साथ ही ईश्वर विष्णु की नगरी भी है। वैसे तो ऋषिकेश में सभी तीज त्योहारों और व्रत पर मंदिरों के दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है। लेकिन, एकादशी के दिन ये नजारा कुछ अलग होता है। एकादशी के दिन ऋषिकेश के भरत मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ दिखाई देती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 4 मई को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भक्त ईश्वर विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए ऋषिकेश के भरत मंदिर वआते हैं। ताकि, उन्हें विजय और समृद्धि प्राप्त हो और उनके जीवन से सभी संकट दूर हो जाए।
जानें वरुथिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
लोकल 18 के साथ वार्ता के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर मंदिर मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने कहा कि हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख के महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मई देर रात प्रारम्भ होगी। इसका समाप्ति अगले दिन 4 मई, 2024 को रात्रि में होगा। इसलिए वरुथिनी एकादशी का व्रत 4 मई को रखा जाएगा। इसके साथ ही इसकी पूजा सुबह 07 बजकर 18 मिनट से प्रातः 08 बजकर 58 मिनट के बीच होगी। इस खास दिन पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना, ईश्वर विष्णु की पूजा करना, दान पुण्य करना और व्रत रखने से ईश्वर विष्णु प्रसन्न होते हैं। उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। वहीं, इस खास दिन पर विधि पूर्वक तुलसी की पूजा करने से ईश्वर विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन से संकट दूर हो जाते हैं।
वरुथिनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा की विधि
पुजारी शुभम ने कहा कि वरुथिनी एकादशी के दिन प्रातः स्नान के बाद तुलसी के पास ही में ईश्वर शिलग्राम की स्थापना करें। इसके बाद गंगाजल और पंचामृत चढ़ाने के बाद तुलसी पर लाल श्री चढ़ाएं और कुमकुम हल्दी का तिलक लगाने के साथ ही शालिग्राम ईश्वर को पीले वस्त्र पहनाएं। फिर ईश्वर शालिग्राम और तुलसी दोनो को फूलों की माला पहनाएं और दोनों की पूजा करें। वरुथिनी एकादशी के दिन इस विधि से पूजा करने से आपके जीवन से सभी संकट दूर हो जाएंगे।