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Vikat Sankashti Chaturthi 2024: इस व्रत से सभी कष्ट होते हैं दूर

आज विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत है, इस व्रत से भक्त को समृद्धि मिलती है और सभी कष्ट दूर होते हैं, तो आइए हम आपको विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं.

जानें विकट संकष्टी चतुर्थी के बारे में 

वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 27 अप्रैल, शनिवार को है. इस दिन विकट चतुर्थी व्रत किया जाएगा. इस व्रत में ईश्वर गणेश के विकट रूप की पूजा करने का विधान है. भविष्य पुराण में भी बोला गया है कि संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर होते हैं और धर्म, अर्थ, मोक्ष, विद्या, धन और आरोग्य मिलता है.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा भी है खास

भगवान विष्णु ने जलंधर नाम के राक्षस के विनाश के लिए उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया. उससे एक दैत्य उत्पन्न हुआ, उसका नाम था कामासुर. कामासुर ने शिव की आराधना करके त्रिलोक विजय का वरदान पा लिया. इसके बाद उसने अन्य दैत्यों की तरह ही देवताओं पर अत्याचार करने प्रारम्भ कर दिए. देवताओं ने ईश्वर गणेश का ध्यान किया. तब ईश्वर गणपति ने विकट रूप में अवतार लिया. इस रूप में ईश्वर मोर पर विराजित होकर अवतरित हुए. उन्होंने देवताओं को अभय वरदान देकर कामासुर को हराया.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा

पंडितों के मुताबिक सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं. पूजा जगह पर ईश्वर गणेश, शिवजी और देवी पार्वती की स्थापना करें. दिनभर व्रत रखने का संकल्प लें और पूजा प्रारम्भ करें. जल, पंचामृत, चंदन, अक्षत, फूल, दूर्वा और अन्य सामग्रियों से पूजा करें. सूर्यास्त के पहले फिर से पूजा करें. रात में चंद्रमा दर्शन कर के अर्घ्य दें और चंद्रमा की भी पूजा करें. फल एवं मिठाइयों का नैवेद्य लगाएं और प्रसाद बांट दें. भविष्य पुराण के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. वैशाख माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा को अर्घ्य देने से संतान सुख मिलता है. इसके साथ ही शारीरिक परेशानियां भी दूर हो जाती है. मनोकामनाएं पूरी करने और हर तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए ये संकष्टी व्रत किया जाता है. वैशाख माह की इस चतुर्थी पर व्रत और पूजा करने से समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है.

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

नीचे दिए गए मंत्रों का जप करें.

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ.

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

चंद्र दर्शन की अवधि

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का भी बड़ा महत्व है. पंडितों का मानना है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से चंद्र गुनाह दूर होता है. चंद्र दर्शन के लिए सबसे शुभ समय 27 अप्रैल की रात्रि को 10 बजकर 30 मिनट से ग्यारह बजे तक होगा.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का है खास महत्व

भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा की जाती है और भक्तों के द्वारा व्रत रखा जाता है. पंडितों का मानना है कि, इस दिन व्रत रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही आर्थिक फायदा भी आदमी को प्राप्त होता है. गणेश पुराण में वर्णित है कि, इस व्रत का असरसिर्फ़ सौभाग्य में वृद्धि करता है बल्कि संतान सुख और प्रतिष्ठा भी दिलाता है. इस व्रत का असर आपकी स्वास्थ्य को दुरुस्त कर सकता है और आपमें सकारात्मकता भर सकता है. गणपति की कृपा पाने के लिए वैसे तो इस व्रत को कोई भी कर सकता है, लेकिन अधिकतर सुहागन स्त्रियां ही इस व्रत को परिवार की सुख- समृद्धि के लिए करती हैं. नारद पुराण के मुताबिक इस दिन ईश्वर गजानन की आराधना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि तथा घर-परिवार पर आ रही विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं. इस चतुर्थी में चन्द्रमा के दर्शन करने से गणेश जी के दर्शन का पुण्य फल मिलता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,यदि किसी आदमी की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो तो उसे गणेशजी की पूजा-उपासना करनी चाहिए,ताकि वह ठीक निर्णंय लेकर जीवन में सफल हो सके. मन के स्वामी चंद्रदेव हैं, इस दिन गणेशजी की पूजा के साथ रात्रि में चंद्रोदय होने पर चन्द्रमा को अर्घ्य देकर मानसिक संतापों को दूर कर शुभ मनोरथ पूर्ण किया जाता है.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के उपाय

गणेश कवच पाठ- विकट संकष्टी चतुर्थी पर गणेश कवच का पाठ करें. शास्त्रों के मुताबिक इससे जॉब और व्यापार में तरक्की के आड़े आ रहे विरोधी शांत होते हैं. उन्नति में बाधा नहीं बनते और भय का नाश होता है.

दूर्वा चढ़ाने का मंत्र- संकष्टी चतुर्थी पर बप्पा का आशीर्वाद पाने के लिए श्री गणेशाय नम: दूर्वांकुरान् समर्पयामि मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं. कहते इस तरीका से अधूरी ख़्वाहिश पूरी होती है. जिन लोगों के शादी में अड़चने आ रही है वह दूर्वा में हल्दी लगाकर बप्पा को अर्पित करें. शीघ्र विवाह के योग बनेंगे. राहु-केतु के दोषों से भी मुक्ति मिलेगी.

लड्‌डू का भोग- संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेशजी को 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. गणेश को भोग लगाते समय ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: मंत्र का जप करें. कहते हैं इससे कुंडली में बुध मजूबत होता है करियर ऊंचाईयों को छूता है. शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी मिलती है.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत से प्राप्त होता है सौभाग्य और समृद्धि 

भविष्य पुराण के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. वैशाख माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा को अर्घ्य देने से संतान सुख मिलता है. इसके साथ ही शारीरिक परेशानियां भी दूर हो जाती है. मनोकामनाएं पूरी करने और हर तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए ये संकष्टी व्रत किया जाता है. वैशाख माह की इस चतुर्थी पर व्रत और पूजा करने से समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है.

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