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रेलवे ट्रैक के किनारे थोड़ी-थोड़ी दूर पर क्यों लगे होतें है बॉक्स…

रेल में यात्रा के दौरान बहुत बार आपने नोटिस किया होगा कि रेलवे ट्रैक के किनारे थोड़ी-थोड़ी दूर पर बॉक्स लगे होते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है कि आखिर ये बॉक्स क्यों लगे होते हैं? दरअसल, इन बॉक्स को एक्सेल काउंटर बॉक्स बोला जाता है

जब कोई ट्रेन पटरी से होकर गुजरती है, तो उसकी सारी जानकारी इन एक्सेल काउंटर बॉक्स में दर्ज हो जाती है इससे ट्रेन की गति और डायरेक्शन का पता चल जाता है, जिसे आगे फॉरवर्ड कर दिया जाता है इन बॉक्स में सेंसर लगा होता हैक्या कभी आपने सोचा है कि ट्रेन कैसे एक पटरी पर चलते हुए दूसरी पटरी पर पहुंच जाती है? ऐसे में आपको बता दें कि जिस स्थान पर ट्रेन पटरी चेंज करती है, उसके दोनों सिरों को टेक्नीकली स्विच बोला जाता है इसमें एक लेफ्ट स्विच और एक राइट स्विच होता है, जिसकी वजह से ही ट्रेन सरलता से अपना रास्ता बदल लेती हैंजब ट्रेन की पटरियां बिछाई जाती हैं, तो उनके बीच एक निश्चित दूरी तय की जाती है आपको जानकर आश्चर्य होगी कि पूरी दुनिया में 60 प्रतिशत रेलवे पटरियों की आपसी दूरी 4 फीट 8.5 इंच होती है हिंदुस्तान में भी इसी नियम को फॉलो किया जाता है इतना ही नहीं, रेल पटरी के एक टुकड़े की अधिकतम लंबाई लगभग 13 मीटर होती है और 1 मीटर रेल पटरी का वजन लगभग 50-60 किलो होता हैबहुत से लोग इस प्रश्न में उलझे रहते हैं कि ट्रेन की पटरी पर पत्थर क्यों होते हैं? ऐसे में आपको बता दें कि ट्रेन के वजन को संभालने के लिए पत्थर बिछाए जाते हैं वहीं ट्रेन का कंपन कम करने के लिए भी पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है जब पटरी के आसपास बारिश में पानी भर जाता है, तो पत्थर पटरी को स्थिर रखने में सहायता करते हैं इसके अतिरिक्त इन पत्थरों की वजह से स्लीपर फिसलते भी नहीं हैंभारत में सबसे लंबा रूट असम और तमिलनाडु के बीच है जी हां, असम के डिब्रूगढ़ से लेकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक रूट हिंदुस्तान के सबसे लंबे रूट में से एक है इस रूट में लगभग 41 स्टेशन है

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