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अयोध्या पहुंचा दुनिया का सबसे छोटा अस्पताल, नाम दिया गया प्रोजेक्ट भीष्म

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बने दुनिया के पहले portable hospital को अयोध्या भेजा रहा है इन पोर्टेबल अस्पतालों का नाम आरोग्य मैत्री (Arogya maitri) रखा गया है इन्हें Airforce के चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी अयोध्या में दो क्यूब्स से दो स्थान हॉस्पिटल तैयार करेंगे ये cubes लता मंगेशकर चौक और टेंट सिटी के लिए भेजे जा रहे हैं इनमें से हरेक हॉस्पिटल में एयरफोर्स के एक चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ समेत 6 लोग तैनात रहेंगे

दुनिया का सबसे छोटा अस्पताल

भारत ने दुनिया में कमाल करते हुए विश्व का सबसे छोटा हॉस्पिटल तैयार कर लिया है यह Made in India अस्पताल, दुनिया में कहीं भी 8 मिनट में तैयार हो सकता है यह हॉस्पिटल चौकोर खानों में बने क्यूब्स हैं, जिन्हें कभी भी फोल्ड और ओपन किया जा सकता है इन्हें जमीन, समंदर और हवाई रूट के जरिए दुनिया के किसी भी हिस्से में पहुंचाया जा सकता है ये हॉस्पिटल हर हाल में हादसे की स्थान पर पहुंच सकता है

200 लोगों तक का इलाज

डिजास्टर के समय इसमें 200 लोगों का उपचार किया जा सकता है जबकि एक ही समय में इसमें 25 लोगों के एक समय पर टेस्ट किए जा सकते हैं आपातकालीन से लेकर सर्जरी तक, आग लगने, युद्द, बाढ़, भूकंप- हर तरह के बुरे समय में ये हॉस्पिटल संजीवनी बनकर काम करेंगे दावा है कि ये हॉस्पिटल 8 मिनट में तैयार किया जा सकता है और उपचार प्रारम्भ कर सकता है

अस्पताल को नाम दिया गया प्रोजेक्ट भीष्म

पीएम मोदी ने इस हॉस्पिटल को बनाने का जिम्मा रक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को एक वर्ष पहले दिया था एक ऐसा हॉस्पिटल जिससे दुनिया को लाभ हो सके इस प्रोजेक्ट का नाम प्रोजेक्ट भीष्म रखा गया है श्रीलंका और म्यांमार को गवर्नमेंट के आरोग्य मैत्री अभियान के तौर पर इसे हिंदुस्तान की ओर से तोहफे में दिया गया है जैसे वैक्सीन मैत्री के तौर पर पूरे विश्व को हिंदुस्तान ने वैक्सीन दी थी

इस हॉस्पिटल में उपस्थित तीन क्यूबिकल्स में कुल 36 बॉक्स हैं

इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है

मेडिकल सप्लाई – दवाओं और टेस्ट से  लेकर ऑपरेशन सिनेमाघर तक मेडिकल सप्लाई में शामिल हैं

सर्वाइवल सप्लाई – जो चिकित्सक इस हॉस्पिटल के लिए काम करेंगे उनके रहने, खाने और सर्वाइव करने की प्रबंध जैसे कुकिंग का सामान, कंबल और खाने पीने का सामान वगैरह

और नॉन मेडिकल सप्लाई – जेनरेटर, सोलर पैनल

भीष्म ऐप में दी गई है सारी जानकारी

इन बंद खानों में क्या है इसकी जानकारी भीष्म एप में है जिसके लिए दो मोबाइल टेलीफोन साथ दिए जाते हैं ये टेलीफोन ऑफलाइन सिस्टम में काम कर सकते हैं यानी इंटरनेट की जरुरत नहीं है सुरक्षा और हादसे की स्थान के हिसाब से ये फीचर बहुत अहम है ये जानकारी 60 भाषाओं में दी गई है

इसके अतिरिक्त आरएफआईडी टैग भी है ये भी बिना इंटरनेट काम कर सकता है किस खाने में क्या बंद है ये ऊपर लिखा तो है ही लेकिन यदि जानकारी पढ़ी ना जा सके तो आरएफआईडी से स्कैन करके बंद खाने में अंदर क्या है ये एक मिनट में पता चल सकता है

कहीं भी एयरलिफ्ट किया जा सकता है

ये हॉस्पिटल इतना छोटा है कि इसे कहीं भी एयर लिफ्ट करके ले जाया जा सकता है आसमान से ज़मीन पर या पानी में फेंका जा सकता है और ये खराब नहीं होगा इसका कुल वज़न 720 किलो है हर बॉक्स पर एक क्यूआर कोड है जिसे स्कैन करते ही ये पता किया जा सकता है कि किस बॉक्स में दवाएं हैं और उनकी एक्सपायरी क्या है यह भी पता चलेगा कि किस बॉक्स में फ्रैक्चर के उपचार का सामान है और किसमें एक्सरे की सुविधा

केवल 8 मिनट में हो जाता है रेडी

युद्ध के मैदान में या डिजास्टर की लोकेशन पर इस हॉस्पिटल को ले जाकर Operation theatre को 8 से 10 मिनट में तैयार किया जा सकता है पूरा हॉस्पिटल 1 घंटे में तैयार किया जा सकता है हॉस्पिटल के तीन फ्रेम के बीच जेनरेटर फिट किया गया है और छत पर आपरेशन थिएटर इस हॉस्पिटल में आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर, बेड्स, दवाएं और खाने का सामान भी उपस्थित है ये हॉस्पिटल 200 लोगों का उपचार कर सकता है और 100 रोगियों को 48 घंटे तक बेड्स पर रख सकता है इस हॉस्पिटल को पूरी तरह सोलर एनर्जी और बैटरीज़ की सहायता से चलाया जा सकता है

टेस्ट करने की लैब, वेंटिलेटर, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड मशीन जैसे उपकरण से लैस इस हॉस्पिटल में वो सब कुछ है जो किसी आधुनिक हॉस्पिटल में होना चाहिए फ्रैक्चर, हेड इंजरी, ब्लीडिंग या सांस की परेशानी हो या एंटीबायोटिक और पेनकिलर दवाओं की ज़रुरत, हॉस्पिटल में सब उपस्थित है

इन राष्ट्रों को डोनेट किए जाने की तैयारी

अस्पताल को रक्षा मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के योगदान और HLL lifecare के साथ मिलकर तैयार किया है इस हॉस्पिटल की लागत ढाई करोड़ रुपए है हॉस्पिटल को म्यांमार और श्रीलंका को डोनेशन में दिए जाने की तैयारी है इसे प्रोजेक्ट भीष्म के अनुसार तैयार किया गया है और हॉस्पिटल को आरोग्य मैत्री क्यूब का नाम दिया गया है

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