राष्ट्रीय

अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से दिया इस्तीफा

 

कांग्रेस को रविवार को एक बड़ा झटका लगा है. पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया.

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे चार पन्नों के पत्र में अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस पार्टी महासचिव की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की.

उन्होंने कहा, दिल्ली कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्णयों पर एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने एकतरफा वीटो कर दिया. उन्होंने बोला कि एआईसीसी महासचिव ने मुझे अब तक संगठन में किसी की नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी. उन्होंने एक वरिष्ठ नेता की डीपीसीसी के मीडिया प्रमुख के रूप में नियुक्ति के मेरे निवेदन को खारिज कर दिया. एआईसीसी महासचिव ने आज तक डीपीसीसी को शहर के ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की भी इजाजत नहीं दी, इसके परिणामस्वरूप दिल्ली में 150 से अधिक ब्लॉकों में अध्यक्षों के पद खाली हैं.

राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ पार्टी के गठबंधन पर अप्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा, दिल्ली कांग्रेस पार्टी इकाई एक ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन के विरुद्ध थी, जो सिर्फ़ मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण इल्जाम लगाने के आधार पर बनाई गई थी. लवली ने कहा, जिस पार्टी की गवर्नमेंट के आधे कैबिनेट मंत्री करप्शन के इल्जाम में कारावास में हैं, उस आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का निर्णय किया गया.

लवली ने लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के चयन पर भी असंतोष जताया.

उन्होंने कहा, दिल्ली में गठबंधन में कांग्रेस पार्टी पार्टी को दी गई सीमित सीटों को देखते हुए, मैने सार्वजनिक रूप से पार्टी के संभावित उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस ले लिया और वरिष्ठ नेताओं को टिकट देने की मांग की. लेकिन डीपीसीसी, सभी पर्यवेक्षकों और पार्टी के क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के विचारों को खारिज करते हुए, उत्तर-पश्चिम दिल्ली और उत्तर-पूर्व दिल्ली की सीटें ऐसे उम्मीदवारों को दे दी गईं, जो दिल्ली और दिल्ली कांग्रेस पार्टी से पूरी तरह अंजान हैं.

पार्टी ने दिल्ली की तीन सीटों से जय प्रकाश अग्रवाल, उदित राज और कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा है. इनमें से अग्रवाल तीन बार चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र का अगुवाई कर चुके हैं.

लवली ने पत्र में पार्टी के तीन उम्मीदवारों की घोषणा के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों का भी जिक्र किया और कहा कि कैसे उन्हें कुछ नेताओं को निलंबित करने के लिए विवश होना पड़ा.

उन्होंने बोला कि एक लोकतांत्रिक पार्टी प्रणाली में, पार्टी के सदस्यों को असहमति व्यक्त करने का अधिकार है. लेकिन एआईसीसी महासचिव ने मुझे पार्टी के कुछ पदाधिकारियों को निलंबित करने को विवश किया.

 

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