आईपीएस के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को मादक पदार्थ जब्ती मामले में करारा गया दोषी
Drugs Case: मालूम हो न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को 1996 के नशीला पदार्थ जब्ती मुद्दे में बुधवार को गुनेहगार करार दिया दिया था। आपराधिक मुद्दे में भट्ट की यह दूसरी सजा है। इससे पहले उन्हें 2019 में जामनगर न्यायालय द्वारा हिरासत में मृत्यु के मुद्दे में गुनेहगार पाया गया था
संजीव भट्ट पर वकील को झूठा फंसाने का गुनेहगार पाया गया
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट पर इल्जाम लगा था कि उन्होंने बनासकांठा के एसपी रहते हुए पालनपुर के एक होटल में 1.5 KG अफीम रखकर एक वकील को फंसाया था। न्यायालय ने भट्ट को राजस्थान के एक वकील को झूठा फंसाने का गुनेहगार ठहराया। भट्ट को 2015 में भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
क्या है 1996 का एनडीपीएस मामला
दरअसल जिला पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को 1996 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस) अधिनियम के अनुसार अरैस्ट किया था। जिला पुलिस ने यह दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के उस कमरे से नशीला पदार्थ बरामद किया था जहां वकील राजपुरोहित रह रहे थे। पूर्व पुलिस निरीक्षक आई बी व्यास ने मुद्दे की गहन जांच का निवेदन करते हुए 1999 में गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था।
भट्ट को 2018 में किया गया था गिरफ्तार
संजीव भट्ट को राज्य के क्राइम जांच विभाग (सीआईडी) ने सितंबर 2018 में एनडीपीएस अधिनियम के अनुसार नशीला पदार्थ मुद्दे में अरैस्ट किया था और तब से वह पालनपुर उप-जेल में हैं। पिछले साल, पूर्व आईपीएस अधिकारी ने 28 वर्ष पुराने नशीला पदार्थ मुद्दे में पक्षपात का इल्जाम लगाते हुए मुकदमे को किसी अन्य सत्र न्यायालय में स्थानांतरित करने का निवेदन करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि न्यायालय ने भट्ट की याचिका खारिज कर दी थी।