आखिरकार एसबीआ ने इलेक्टोरल बॉन्ड के राज से उठाया पर्दा
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार भारतीय स्टेट बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड के राज से पर्दा उठा दिया है। उच्चतम न्यायालय की कठोरता के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनाव आयोग को सियासी पार्टियों को डोनेशन देने वाले दानदाताओं की लिस्ट सौंप दी है। उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण सौंपा गया। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एसबीआई को कड़ी फटकार लगाते हुए आदेश दिया था कि वह 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने से पहले चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के विवरण दे।
सुप्रीम न्यायालय के ‘हंटर’ से डरा SBI
सुप्रीम न्यायालय के आदेश के मुताबिक, चुनाव आयोग को 15 मार्च शाम 5 बजे तक बैंक की ओर से शेयर की गई जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए शाम 5 बजे से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग को सौंप दिया है। एसबीआई ने 2018 में योजना की आरंभ होने के बाद से 30 किश्तों में 16 हजार 518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए हैं।
कोर्ट ने 15 फरवरी को रद्द कर दी थी स्कीम
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने 15 फरवरी को गवर्नमेंट की इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम को रद्द कर दिया था। इस स्कीम में प्रावधान था कि कोई भी गुमनाव आदमी या संस्था किसी भी सियासी पार्टी को फंडिग कर सकता है।सुप्रीम न्यायालय ने इस स्कीम गैरकानूनी करार देते हुए भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया था कि वह चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले दानदाताओं और फंड हासिल करने वाली पार्टियों की डिटेल सौंपे। इसके बाद आयोग उस डिटेल को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे, जिससे आम लोगों को भी पता चल सके कि किस पार्टी को कहां से और कितनी फंडिंग आ रही है।
बैंक ने मांगा था 30 जून तक का वक्त
सोमवार को उच्चतम न्यायालय में हुई सुनवाई में भारतीय स्टेट बैंक ने इस काम को पेचीदा बताते हुए 30 जून तक का समय मांगा। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने बैंक की दलील नहीं मानी और उसकी अर्जी खारिज कर दी। साथ ही बैंक प्रबंधन को आदेश दिया कि वह मंगलवार शाम तक हर हालत में इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी डिटेल चुनाव आयोग को सौंप दे वरना उसके एमडी के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई भी प्रारम्भ की जा सकती है। अब एसबीआई की ओर से चुनाव आयोग को डिटेल सौंपने के बाद आशा जताई जा रही है कि 15 मार्च तक चुनाव आयोग इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। जिसके बाद राष्ट्र के लोगों को सियासी पार्टियों की फंडिंग और उन्हें पैसा देने वाले दानदाताओं के बारे में पता चल सकेगा।
नकद चंदे का विकल्प देने की योजना
बताते चलें कि सियासी फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मोदी गवर्नमेंट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम पेश की थी। इसके अनुसार सियासी पार्टियों को नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बॉन्ड का ऑप्शन दिया गया था। इसके लिए नोडल बैंक एसबीआई को बनाया गया था। भारतीय स्टेट बैंक ने मार्च 2018 में इस तरह के बॉन्ड की पहली बिक्री की थी। कोई भी आदमी या संस्था भारतीय स्टेट बैंक से यह बॉन्ड खरीदकर किसी भी पार्टी को डोनेट कर सकता था।
पारदर्शिता न होने से उठ रहे थे सवाल
हालांकि यह सब कार्य सीक्रेट था, जिसके चलते इस स्कीम पर प्रश्न उठ रहे थे। उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले एडीआर संस्था का बोलना था कि स्कीम में पारदर्शिता का पूरी तरह अभाव है। आम लोगों को कभी पता ही नहीं चल सकता कि किस पार्टी को किसने, कितना डोनेशन दिया। इससे सीधे तौर पर करप्शन को बढ़ावा मिल रहा है।