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आगामी 2024 के आम चुनावों के लिए द्रमुक है अच्छी स्थिति में…

चेन्नई, 6 जनवरी (आईएएनएस) भले ही ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्र भर में प्रत्येक पार्टी की प्रमुखता के संबंध में कई शुरुआती मुद्दों का सामना कर रहा है, तमिलनाडु में यह साफ है कि एमके स्टालिन बॉस हैं और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे की प्रबंध में सत्तारूढ़ द्रमुक ही आखिरी निर्णय लेगा

द्रमुक ने तमिलनाडु में 2019 के लोक सभा चुनावों के बाद से सभी चुनावों में आरामदायक जीत हासिल की है आनें वाले 2024 के आम चुनावों के लिए भी वह अच्छी स्थिति में है

तमिलनाडु में गठबंधन के नेता के रूप में स्टालिन की पार्टी द्रमुक ने पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव की तैयारी प्रारम्भ कर दी थी

स्टालिन ने द्रमुक जिला सचिवों की एक बैठक बुलाई थी और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ताओं को तैनात किया था, जिन्हें प्रत्येक बूथ समिति में समर्पित कार्यकर्ताओं को नियुक्त करने के लिए बोला गया था

तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में द्रमुक के नेता आर सेल्वापांडी ने आईएएनएस को बताया, “द्रमुक पूरी तरह तैयार है और हमारे नेता स्टालिन ने पहले ही पार्टी कार्यकर्ताओं और कार्यकर्ताओं से तमिलनाडु की सभी 39 और पड़ोसी पुडुचेरी की एकमात्र सीट – जो वर्तमान में एआईएडीएमके के पास है – जीतने का आह्वान किया है

उन्होंने बोला कि बूथ समितियां मार्च 2023 से एक्टिव हैं और प्रत्येक बूथ प्रभारी को मतदाता सूची की ठीक समझ होनी चाहिए उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाएं और जिन लोगों का मृत्यु हो गया है या जिन्होंने निवास जगह बदल लिया है उनके नाम सूची से हटा दिए जाएं

वर्ष 2019 के आम चुनावों में द्रमुक के नेतृत्व वाले फ्रंट सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस (एसपीए) ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा, कांग्रेस पार्टी ने 10 पर, माकपा, भाकपा और विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) ने दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ा मारुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) और भारतीय यूनियन मुसलमान लीग (आईयूएमएल) ने एक-एक सीट से चुनाव लड़ा

द्रमुक के मोर्चे ने थेनी को छोड़कर सभी सीटों पर जीत हासिल की थेनी में एसपीए के उम्मीदवार वरिष्ठ कांग्रेस पार्टी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री, ईवीकेएस एलंगोवन पूर्व सीएम और वरिष्ठ अन्नाद्रमुक नेता ओ पन्नीरसेल्वम के बेटे तथा अन्नाद्रमुक नेता ओपी रवींद्रनाथन से हार गए

तमिलनाडु में डीएमके के शासन और सभी विधानसभा क्षेत्रों में जमीनी नेटवर्क होने के कारण, कांग्रेस, माकपा, भाकपा, वीसीके, एमडीएमके और आईयूएमएल सहित भारतीय मोर्चे के सहयोगियों को स्टालिन की पार्टी द्वारा अपनाई गई लाइन पर चलना होगा क्योंकि द्रमुक गठबंधन में बड़ा भाई है

तमिलनाडु की राजनीति में, मजबूत द्रविड़ जड़ों वाली पार्टियों को गठबंधन में बोलने का अधिकार होगा और राष्ट्रीय पार्टियों को उनकी पीठ पर सवारी करनी होगी कांग्रेस पार्टी और बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में ठीक यही किया जब वे अपने गठबंधन सहयोगियों क्रमशः द्रमुक और अन्नाद्रमुक पर निर्भर थे

सलेम के एक वरिष्ठ कांग्रेस पार्टी नेता ने आईएएनएस को बताया, “कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में द्रमुक के कारण नौ सीटें जीतीं क्योंकि सबसे पुरानी पार्टी के पास राज्य में अपने दम पर सीटें जीतने के लिए संगठनात्मक क्षमता या आधार नहीं है द्रमुक द्वारा दी जा रही 10 सीटें हमें मिलने वाली अधिकतम सीटें हैं और मैं गारंटी दे सकता हूं कि यह सिर्फ़ द्रविड़ पार्टी की उदारता के कारण है कि हमें चुनाव लड़ने के लिए इतनी सीटें मिल रही हैं

द्रमुक के वरिष्ठ नेता एस दुरई मुरुगन ने आईएएनएस से कहा, “तमिलनाडु में सीटों के बंटवारे को लेकर कोई परेशानी नहीं है हमारे नेता, थिरु एमके स्टालिन की आखिरी राय होगी और द्रमुक एक सियासी दल है जो हमेशा गठबंधन धर्म का सम्मान करता है और जानता है कि गठबंधन कैसे काम करता है जहां तक आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे का प्रश्न है तो तमिलनाडु में कोई मामला नहीं होगा

उन्होंने यह भी बोला कि स्टालिन की लोकप्रियता और राज्य गवर्नमेंट द्वारा सत्ता संभालने के बाद से लागू की गई कई कल्याणकारी योजनाओं को देखते हुए यह द्रमुक के लिए एक सरल जीत होगी

तमिलनाडु में आईयूएमएल, वीसीके और कम्युनिस्ट पार्टियों में मुस्लिम, दलित और मजदूरों के अगुवाई वाले इण्डिया ब्लॉक के साथ, यह सभी सामाजिक और धार्मिक समुदायों का अगुवाई करने वाला एक दुर्जेय चुनावी संयोजन है

इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड पॉलिटिकल रिसर्च, कोयंबटूर के निदेशक आरके राघवन ने आईएएनएस को बताया, “करीब से देखने पर, इण्डिया ब्लॉक एक साफ सामाजिक संयोजन है क्योंकि इसमें समाज के सभी वर्गों का अगुवाई है सीट बंटवारे की प्रक्रिया सौहार्दपूर्ण ढंग से खत्म होने की आशा है और द्रमुक के निर्णय के साथ, यह निश्चित है कि गठबंधन के प्रत्येक साथी उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जितनी उन्होंने 2019 के चुनावों में लड़ी थी

 

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