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आज विदेश मंत्री एस जयशंकर मना रहे अपना 69वां जन्मदिन, जाने इनके बारे में…

आज यानी की 09 जनवरी को विदेश मंत्री एस जयशंकर अपना 69वां जन्मदिन इंकार रहे हैं. बता दें कि वह विदेश मंत्री बनने से पहले हिंदुस्तान के विदेश सचिव भी रह चुके हैं. एस जयशंकर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के फेवरेट डिप्लोमेट्स भी रह चुके हैं. भारतीय विदेश सेवा से रिटायरमेंट के दो दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने उनको विदेश सचिव की जिम्मेदारी सौंपी थी. वहीं उन्होंने हिंदुस्तान और चीन बीच हुए डोकलाम टकराव को काफी अच्छे से सुलझाया था.

जन्म और शिक्षा

देश की राजधानी दिल्ली में 09 जनवरी 1955 को एस जयशंकर का जन्म हुआ था. इनके पिता का नाम के. सुब्रह्मण्यम और मां का नाम सुलोचना सुब्रह्मण्यम था. उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया. यहां से उन्होंने एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की.

करियर

वहीं वर्ष 1977 में वह भारतीय विदेश सेवा में शामिल हो गए. इस दौरान एस जयशंकर ने चीन, अमेरिका और चेक गणराज्य में भारतीय राजदूत के तौर पर काम किया. इस दौरान उनको आईएफएस रहते हुए 38 वर्ष से अधिक समय हो चुका है. वहीं वर्ष 2001-04 चेक रिपब्लिक, वर्ष 2007-09 में वह सिंगापुर में उच्चायुक्त, 2009-13 में चीन और 2014-15 में अमेरिका में हिंदुस्तान के राजदूत के तौर पर सेवा दी. इसके अतिरिक्त उन्होंने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर वार्ता में अहम किरदार निभाई.

विदेश मंत्री

रिटायरमेंट के बाद एस जयशंकर ग्लोबल कॉर्पोरेट अफेयर्स के अध्यक्ष के तौर पर टाटा संस में शामिल हुए. वहीं 30 मई 2019 को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में एस जयशंकर ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली. इस दौरान उनको विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. कैबिनेट मंत्री के रूप में विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने वाले जयशंकर पहले पूर्व विदेश सचिव है.

पुरस्कार और उपलब्धियां

आपको बता दें कि हिंदुस्तान और चीन के बीच डोकलाम संकट को खत्म करने में जयशंकर की अहम किरदार रही. अरुणाचल प्रदेश में डोकलाम संकट ने इन दोनों राष्ट्रों को युद्ध के कगार पर ले लिया था.

एस जयशंकर ने बीजिंग में अपने कार्यकाल के दौरान हिंदुस्तान को सीमा, व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों में चीन के साथ संबंध सुधारने में सहायता की.

एस जयशंकर चीन में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले भारतीय राजदूत रहे. दोनों राष्ट्रों के बीच उन्होंने व्यापार, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में अहम किरदार निभाई.

इसके साथ ही उन्होंने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते और अन्य पहलों पर वार्ता कर जरूरी किरदार निभाई. इस दौरान उन्होंने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के साथ मिलकर काम किया.

साल 2019 में उनको राष्ट्र के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया.

निडरता से रखते हैं अपना पक्ष

विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर ने विश्वपटल पर निडरता से हिंदुस्तान का पक्ष रखते हुए देखा जा सकता है. यूरोप के दौरे पर उन्होंने आतंकवाद और पाक को लेकर अपना पक्ष पूरी दुनिया के सामने रखा. उन्होंने पाक को आतंकवाद का केंद्र कहा था. इसके साथ ही वह यूरोपीय राष्ट्र और अमेरिका पर कभी भी तंज कसने से नहीं घबराते हैं. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच से कई बार यूरोप राष्ट्र और अमेरिका की दोहरी मानसिकता पर और उनकी युद्ध नीतियों पर तीखे प्रश्न किए.

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