कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पीएम मोदी का यह पहला दौरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज जम्मू और कश्मीर दौरे पर है। इस दौरे मे पीएम श्रीनगर में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का यह पहला दौरा है। इससे पहले 2019 में नरेंद्र मोदी प्रचार के लिए जम्मू और कश्मीर गए थे। भले ही प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी 5 वर्ष बाद घाटी जा रहे हो, लेकिन राष्ट्र का स्वर्ग कश्मीर घाटी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल के बसता है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन मे अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब कश्मीर की तस्वीर एकदम बदल गई है। न सिर्फ़ अलगाववाद और पत्थरबाजी समाप्त हुई बल्कि आतंकवाद पर भी रोक लगा। प्रदेश में विकास की नयी इबारत लिखी जा रही हैं। कभी अलगाववादियों के गढ़ रहे लाल चौक का स्वरूप अब एकदम बदल गया है। आतंकवाद के दौर में दूर हो गई फिल्म इंडस्ट्री तथा सिनेमा संस्कृति दोबारा लौट आई है। नाइट लाइफ सड़कों पर लौट आई है। डल झील देर रात तक आबाद रहती है। मैदानों में देर रात तक लोग खेल का रोमांच लेते देखे जा सकते हैं। पहली बार विदेशी निवेश भी हुआ है और 500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर काम प्रारम्भ हो गया है। जी 20 का सफलतापूर्वक आयोजन भी श्रीनगर में हुआ।
पीएम पैकेज के अनुसार नियुक्त सरकारी कर्मियों को आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। कश्मीर घाटी में मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री की वापसी की दिशा में गवर्नमेंट ने नयी फिल्म नीति का निर्माण किया है। जम्मू और कश्मीर फिल्म डेवलपमेंट कौंसिल का गठन किया गया है। पिछले तीन वर्ष में 400 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की अनुमति दी गई है। श्रीनगर में मॉल समेत दक्षिणी और उत्तरी कश्मीर में सिनेमा हॉल खोले गए हैं।
पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया गया। पीएम ग्राम सड़क योजना के अनुसार प्रदेश 2020-21 और 2021-22 में लगातार पूरे राष्ट्र में तीसरे जगह पर रहा। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर टनल बनाकर यात्रा को सुगम करने की दिशा में युद्धस्तर पर काम चल रहा है।
पीएम मोदी के लिए जम्मू कश्मीर के मायने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साढ़े नौ सालों के दौरान जम्मू और कश्मीर के सभी वर्गों और क्षेत्रों के विकास को लेकर बड़े काम किये है। जिससे वहां के लोगो को मुख्यधारा में शामिल होने का मौका मिला है।
पहली बार, जम्मू और कश्मीर को दो एम्स मिले हैं, जिनके पूरा होने पर उन रोगियों को बड़ी सहायता मिलेगी, जिन्हें विशेष उपचार के लिए पीजीआई, चंडीगढ़, एम्स, नयी दिल्ली या पंजाब के निजी अस्पतालों या अन्य जगहों पर जाना पड़ता था। पहली बार, जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेज, हड्डी एवं अस्पताल; यूटी में संयुक्त और कैंसर हॉस्पिटल बन रहे हैं। यूटी में फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट और बायो-टेक पार्क के अतिरिक्त आईआईटी और आईआईएम जैसे कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए गए हैं।
जम्मू और श्रीनगर शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो साफ रूप से कई क्षेत्रों में मौजूदा बुनियादी ढांचे को बेहतर करेगा और जीवन को सरल बनाएगा।
गुजरात की साबरमती नदी की तर्ज पर तावी रिवर फ्रंट विकसित किया जा रहा है, जो पूरा होने पर एक बहुउद्देश्यीय परियोजना, विशेष रूप से एक पर्यटन स्थल के रूप में काम करेगा, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। प्राचीन देविका नदी के पुनर्जीवन का काम पहली बार हाथ में लिया गया है। यह सबसे सुन्दर धार्मिक पर्यटन स्थल में से एक साबित होगा।
जम्मू और श्रीनगर के हवाई अड्डों पर रात्रि उड़ान की सुविधा जोड़ी गई है। इसी तरह, जम्मू और कश्मीर के हज यात्रियों के लिए पहली बार श्रीनगर और जेद्दा के बीच सीधी उड़ान प्रारम्भ की गई है। हालाँकि ये पहली बार की कुछ परियोजनाएँ हैं, उनमें से कई पूरी हो चुकी हैं और पूरी होने के करीब हैं, हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में कई विकासात्मक परियोजनाएँ और कल्याणकारी योजनाएँ चालू हैं और जम्मू की पूरी लंबाई और चौड़ाई में समाज के सभी वर्गों द्वारा इसका फायदा उठाया जा रहा है।
देश के अन्य हिस्सों की तरह जम्मू कश्मीर में मौजूदा रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण, सड़क कनेक्टिविटी के उन्नयन, राजमार्गों के निर्माण, रिंग रोड, सुरंगों, मेगा बिजली उत्पादन परियोजनाओं से संबंधित विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं।
इसी तरह, पीएम आवास योजना, जम्मू और कश्मीर के गरीब लोगों को नए घर बनाने के साथ-साथ कच्चे घर को पक्के घर में बदलने में भी सहायता कर रही है। स्वच्छ हिंदुस्तान अभियान के अनुसार सामुदायिक एवं पर्सनल शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। उज्वला योजना के अनुसार गरीब स्त्रियों को निःशुल्क एलपीजी कनेक्शन दिए जाते हैं।
आम लोगों के लिए कितनी बदली है घाटी, 10 बड़े बदलावः
1. पत्थरबाजी की घटना हुई खत्म- कश्मीर घाटी में एक वक़्त पत्थरबाजी की घटना आम होती थी। आये दिन पत्थरबाजी की घटना से लोगो की मृत्यु तक हो जाती थी। लेकिन धारा 370 ख़त्म होने के बाद इस घटना में लगातार कमी देखने को मिली। और सरकारी के आंकड़े के अनुसार आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडा के अनुसार 2018 में जहाँ 1767 संगठित पत्थर फेंकने की घटनाएं हुई, जो 2023 में मौजूदा तारीख तक शून्य हैं।
2. आतंकवादियों ने टेके घुटने – 370 समाप्त होने के बाद केंद्र गवर्नमेंट ने आतंकवादी घटनाओ को विरुद्ध जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाई, आतंकवादी नेटवर्क नष्ट किये गए। सरकारी आंकडे के अनुसार वर्ष 2018 से 2022 के बीच आतंकवादी गतिविधियों में 45.2 प्रतिशत की कमी देखने मिली है।
3. विदेशी घुसपैठ में आई कमी- धारा 370 ख़त्म करने के बाद सेना ने घुसपैठ पर करारा प्रहार किया है। आलम ये है कि घुसपैठ की घटनाएं भी 2018 में 143 के मुकाबले 2022 में केवल 14 रह गईं।
4. राज्य की कानून प्रबंध में हुई सुधार- कानून-व्यवस्था के मुद्दे भी 1767 से घटकर 50 रह गए। 2022 में सुरक्षा बलों के 31 सदस्यों की जान गई, जबकि 2018 में यह 91 थी।
5. आतंकवादी भर्ती में भी भारी कमी आई है। यह आंकड़ा 2018 में 199 था जो 2023 में आज की तारीख तक घटकर 12 पहुंच गया हैं।
7. जनता की बेहतरी के लिए कई योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं। घाटी में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र ने 28400 करोड़ रुपए का बजट रखा। केंद्र के आर्थिक नीति का आलम है कि आज आज जम्मू कश्मीर में 78000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के प्रस्ताव आ चुके हैं।
8. पंचायती राज का आगाज हुआ- जिला विकास परिषदों के चुनाव के साथ ही त्रिस्तरीय पंचायतीराज की शुरूआत हुई है। लोगों की मांग को पूरा करते हुए कश्मीरी, डोगरी, उर्दू और हिंदी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं को भी आधिकारिक भाषाओं के रूप में जोड़ा गया है। विधायिका में अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं, जो पहले नहीं थीं।
9. धारा 370 हटने के बाद ही जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये गए। केंद्र गवर्नमेंट के नीति का आलम है अपने इतिहास में पहली बार जम्मू और कश्मीर में एक वकायदा निर्वाचित 3-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली स्थापित की गई है। नवंबर-दिसंबर 2020 में जम्मू और कश्मीर में जिला विकास परिषदों के सदस्यों के लिए चुनाव हुए। आज जमीनी स्तर के लोकतंत्र का अगुवाई करने वाले ग्रामीण और शहरी क्षेत्रीय निकायों में 34,000 से अधिक निर्वाचित सदस्य हैं।
10. धारा 370 ख़त्म करने के निर्णय से पहले अलगाववादियों की शह पर होने वाले सूबे में होने वाले बंद, स्ट्राइक और पत्थरबाजी न केवल राज्य की आर्थिक स्वास्थ्य पर बल्कि पूरे समाज पर बुरा असर डालती थी। 370 हटने से पहले स्कूल, कॉलेज,यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्रीज का बंद होना प्रत्येक दिन की बात थी। लेकिन आज स्कूल, कॉलेज प्रत्येक दिन खुलते है। आज यहाँ के विद्यार्थी राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ते दिख रहे है।