किसान नेता : केन्द्र सरकार को नहीं अपनानी चाहिए टाल-मटोल की नीति
चंडीगढ़: किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) ने केंद्रीय मंत्रियों के साथ रविवार को यहां वार्ता से पहले बोला कि केन्द्र गवर्नमेंट को टाल-मटोल की नीति नहीं अपनानी चाहिए और आचार संहिता लागू (Code of Conduct) होने से पहले किसानों की मांगें माननी चाहिए। लोकसभा चुनाव की घोषणा अगले माह की जा सकती है।
फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और कृषि कर्ज माफी सहित विभिन्न मांगों पर तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच शाम को बैठक होनी है। यह बैठक ऐसे समय में होनी है, जब हजारों किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू और खनौरी में डटे हुए हैं तथा उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोकने के लिए बड़ी तादाद में सुरक्षा बल तैनात हैं।
किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच इससे पहले आठ, 12 और 15 फरवरी को भी वार्ता हुई थी, जो बेनतीजा रही। डल्लेवाल ने शंभू सीमा पर संवावदाताओं से कहा, ‘‘हम गवर्नमेंट से बोलना चाहते हैं कि वह टाल-मटोल की नीति न अपनाये।” उन्होंने बोला कि यदि गवर्नमेंट को लगता है कि वह आचार संहिता लागू होने तक बैठकें जारी रखेगी और फिर कहेगी कि आचार संहिता लागू हो गई है और हम कुछ नहीं कर सकते। किसान वापस नहीं लौटेंगे।
किसान नेताओं ने बोला कि गवर्नमेंट को आचार संहिता लागू होने से पहले हमारी मांगों का निवारण तलाशना चाहिए। उन्होंने बोला कि दोनों पक्षों के बीच शाम साढ़े पांच बजे बैठक प्रारम्भ होगी। किसान नेता ने बोला कि आंदोलन किसी सियासी दल द्वारा प्रायोजित नहीं है, साथ ही उन्होंने फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की अपनी मांग दोहराई।
एक अन्य किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने केंद्र पर हिरासत में लिये गए किसानों को रिहा करने और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं तथा किसान नेताओं के सोशल मीडिया खातों को बहाल करने के अपने आश्वासन को पूरा नहीं करने का इल्जाम लगाया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय किसान नेताओं के साथ बैठक करेंगे। किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आज छठा दिन है।