कैसे आई भारत और मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट
भारत और मालदीव के संबंध कभी काफी घनिष्ठ रहे थे, लेकिन राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से हिंदुस्तान और मालदीव के रिश्तों में थोड़ी कड़वाहट आई है. भारत में भी लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और मालदीव की नजरें जहां भारत के चुनाव पर टिकी हैं तो वहीं हिंदुस्तान की नजरें भी मालदीव के संसदीय चुनाव पर टिकी हैं. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पिछले वर्ष ही राष्ट्रपति चुने गए थे और जीत के बाद एकबार फिर से राष्ट्रपति निर्वाचित होंगे.
लक्षद्वीप को हिंदुस्तान के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रोमोट करने के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा मचा जिसे लेकर हिंदुस्तान और मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिली. इसके बाद हाइड्रोग्राफिक समझौते को मोइज्जु ने रद्द कर दिया और पाकिस्तान की तरफ जा रहे जहाज को भारत द्वारा मुंबई के बंदरगाह के पास रोक दिया गया है। क्योंकि यह शक था कि उसके न्यूक्लियर सामानों का इस्तेमाल चोरी-छिपे किया जा सकता था. मालदीव की चीन से बढ़ती दोस्ती और कुछ वजहों से हिंदुस्तान और मालदीव के रिश्तों में खटास आ गई. यही वजह है कि हिंदुस्तान चाहेगा कि राष्ट्रपति मुइज्जू की पार्टी को संसदीय चुनाव में बहुमत न मिले ताकि उन्हें विपक्ष के दबाव में काम करना पड़े.
सुबह 8 बजे प्रारम्भ हुई वोटिंग, शाम 5 बजे तक चली
समाचार पोर्टल ‘‘अधाधु डॉट कॉम’’ की समाचार के मुताबिक मालदीव में 20वीं पीपुल्स मजलिस (संसद) के लिए मतदान सुबह 8:00 बजे शुरू हुआ और शाम 5:30 बजे तक संपन्न हुआ. मतदान खत्म होते ही निर्वाचन ऑफिसरों ने राष्ट्र भर में मतपेटियों को सील कर दिया और फिर मतगणना प्रारम्भ हुई. निर्वाचन आयोग (ईसी) की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार, शाम 5:00 बजे तक 2,07,693 लोगों ने मतदान किया, इसके मुताबिक 72.96 फीसदी मतदान हुआ. इसमें 1,04,826 पुरुष और 1,02,867 महिलाएं शामिल हैं. कुल 2,84,663 लोग मतदान के लिए पात्र थे.
‘‘पीएसएमन्यूज डॉट एमवी’’ की समाचार के अनुसार, संसदीय चुनाव के लिए मालदीव और तीन अन्य राष्ट्रों में कुल 602 मतपेटियां रखी गई थीं. कम से कम 34 रिसॉर्ट्स, कारावास और अन्य औद्योगिक द्वीपों में भी मतदान केंद्र बनाये गये थे. समाचार के अनुसार, मालदीव के बाहर जिन राष्ट्रों में मतदान के लिए मतपेटियां रखी गई थीं, उनमें हिंदुस्तान में तिरुवनंतपुरम, श्रीलंका में कोलंबो और मलेशिया में कुआलालंपुर शामिल हैं.
देश के संसदीय चुनाव के लिए छह पार्टियों से 368 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इन छह दलों में मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस पार्टी (पीएनसी), मुख्य विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और 130 निर्दलीय शामिल हैं. समाचार पोर्टल ‘‘सन डॉट एमवी’’ की समाचार के मुताबिक पीएनसी ने 90 उम्मीदवार, एमडीपी ने 89, डेमोक्रेट्स ने 39, जम्हूरी पार्टी (जेपी) ने 10, मालदीव्स डेवलपमेंट अलायंस (एमडीए) और अधालथ पार्टी (एपी) ने चार-चार तथा मालदीव्स नेशनल पार्टी (एमएनपी) ने दो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.
मुइज्जू की हुई है प्रचंड जीत
खबर में शुरुआती नतीजों के हवाले से कहा गया कि मुइज्जू के नेतृत्व वाली पीएनसी ने 93 सदस्यीय पीपुल्स मजलिस में 60 से अधिक सीट हासिल कीं, जो लगभग दो-तिहाई बहुमत है. रुझानों के मुताबिक, मुइज्जू के नेतृत्व वाली पीएनसी को 67 सीट मिलीं, उसके बाद एमडीपी को 12 सीट मिलीं और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 10 सीट जीतीं. बाकी सीट अन्य दलों के खाते में गईं.
चीन समर्थक नेता के रूप में देखे जाने वाले मुइज्जू के लिए यह चुनाव जरूरी है, क्योंकि चुनाव से कुछ ही दिन पहले, विपक्षी दलों ने 2018 से उनके कथित करप्शन की रिपोर्ट लीक होने के बाद राष्ट्रपति के विरुद्ध जांच और महाभियोग चलाये जाने की मांग की. हालांकि मुइज्जू ने इस इल्जाम को खारिज कर दिया था. इसके अलावा, जब से मुइज्जू ने पद संभाला है, सांसदों ने उनके तीन नामितों को कैबिनेट में शामिल करने पर रोक लगा दी है.