‘जेएनयू में ‘मुफ्तखोरों’ की समस्या है’, कुलपति पंडित ने कहा…
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने बोला है कि जेएनयू निःशुल्क के भोजन-आवास की सुविधा भोगने वालों का सामना कर रहा है। यह स्थिति निर्धारित अवधि से अधिक समय तक ठहरने वाले विद्यार्थियों एवं गैरकानूनी रूप से रहने वाले मेहमानों की वजह से पैदा हो रही है। पंडित ने संसद मार्ग स्थित ‘पीटीआई-भाषा’ के मुख्यालय में संपादकों को दिए साक्षात्कार में बोला कि उन्होंने छात्रावास प्रशासन को कठोर निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी विद्यार्थी को पांच वर्ष से अधिक समय तक छात्रावास में रहने की अनुमति न दी जाये।
करदाताओं के पैसों पर यूनिवर्सिटी परिसर में मुफ्तखोरों के रहने-खाने के आरोपों पर पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में कुलपति पंडित ने बोला कि ‘आप एकदम ठीक कह रहे हैं, हमारे यहां ‘मुफ्तखोरों’ की परेशानी है।’ जेएनयू से पढ़ाई कर चुकी पंडित (61) ने बोला कि यह परेशानी तब भी थी जब वह छात्रा थीं, लेकिन अब यह और बढ़ गई है। उन्होंने बोला कि ‘जब मैं वहां थी, तो कई ऐसे विद्यार्थी थे जो यूनिवर्सिटी में रुके हुए थे, लेकिन ऐसे विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम थी…कुछ छात्र…सब कुछ निःशुल्क और सब्सिडी वाला चाहते हैं…यहां तक कि लोकसभा कैंटीन भी जेएनयू कैंटीन से महंगी है, लेकिन हमारे समय में शिक्षक बहुत कठोर होते थे।’
पंडित ने बोला कि ‘मेरे अध्ययन का निरीक्षण करने वाले प्रोफेसर ने मुझसे बोला था कि यदि आप इसे साढ़े चार वर्ष में पूरा नहीं करेंगी, तो आप बाहर हो जाएंगी। मैं जानती थी कि वह मेरी ‘फेलोशिप एक्सटेंशन’ पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे… मुझे लगता है कि पिछले कुछ सालों में इसमें परिवर्तन आया है। कुछ प्रोफेसर ने इस तरह के विस्तार की अनुमति दी और इस तरह आज यह संख्या बढ़ गई है।’ उन्होंने बोला कि ‘कैंपस में ऐसे भी मेहमान हैं जो गैरकानूनी रूप से रह रहे हैं, जो जेएनयू के विद्यार्थी भी नहीं हैं, लेकिन यहां आते हैं और रहते हैं। वे या तो यूपीएससी या अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं… उनके लिए, जेएनयू रहने की सबसे सस्ती स्थान है… दक्षिण पश्चिम दिल्ली में आपको हरियाली वाला, दो हजार एकड़ में फैला हुआ, ढाबों और सस्ते भोजन के साथ ऐसा आवास कहां मिल सकता है।’
इस मामले के निवारण के लिए उनके प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर पंडित ने बोला कि ‘अब हम इसे काफी हद तक नियंत्रित करने की प्रयास कर रहे हैं…हमारे लिए कमरों में जाना बहुत कठिन है… हम अभी भी मानदंडों का पालन करते हुए ऐसा करते हैं। हम विद्यार्थियों से अपील करते हैं यदि वे कोई मेहमान ला रहे हैं तो कम से कम सूचित करें।’ उन्होंने बोला कि ‘हमने छात्रावास प्रशासन पर भी कठोरता कर दी है कि वह किसी भी विद्यार्थी को पांच वर्ष से अधिक न रहने दे। हम अब आईडी कार्ड जरूरी कर रहे हैं… हम विद्यार्थियों से कहते हैं कि वे हर समय आईडी कार्ड अपने साथ रखें और मांगे जाने पर उन्हें दिखाएं।’ जेएनयू ने 2019 में छात्रावास में रह रहे विद्यार्थियों से 2.79 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि की एक सूची जारी की थी, जिससे विभिन्न हलकों में बवाल मच गया था। यूनिवर्सिटी में 2019 में भी उस समय बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था, जब उसने शुल्क वृद्धि की थी।