राष्ट्रीय

तिब्बत ने भारत से की ये अपील

तिब्बत की निर्वासित गवर्नमेंट पर्दे के पीछे चीन की गवर्नमेंट से बात कर रही है. इससे संकेत मिल रहे हैं कि दोनों ही पक्ष लंबे समय से अटकी पड़ी द्विपक्षीय वार्ता को फिर से प्रारम्भ करने के इच्छुक हैं. तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा और चीन की गवर्नमेंट के बीच पहले भी वार्ता हो चुकी है, लेकिन तिब्बत में चीन विरोधी प्रदर्शनों और चीन की तिब्बत के प्रति कट्टर सोच के चलते वह वार्ता बेनतीजा खत्म हो गई थी. उसके बाद से दोनों पक्षों में कोई वार्ता नहीं हुई थी.  

पर्दे के पीछे चल रही दोनों पक्षों की बातचीत
भारत के धर्मशाला में चल रही तिब्बत की निर्वासित गवर्नमेंट सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) के पीएम पेंपा शेरिंग ने चीन के साथ अनौपचारिक वार्ता चलने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि उनके वार्ताकार चीन के लोगों से बात कर रहे हैं, लेकिन अभी इस वार्ता से कोई नतीजा निकलने की आशा करना गलत है. शेरिंग ने कहा कि ‘हम बीते वर्ष से पर्दे के पीछे वार्ता कर रहे हैं, लेकिन अभी इससे आशा करना बेमानी है. यह एक लंबी प्रक्रिया है. मेरे वार्ताकार चीन के लोगों से बात कर रहे हैं.

भारत से की अपील
सीटीए के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि चीन के साथ वार्ता ही तिब्बत मामले का निवारण कर सकती है. उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान और चीन के बीच सीमा पर जो तनाव चल रहा है, उससे तिब्बत का मामला हिंदुस्तान में फिर से चर्चा में आ गया है. तिब्बत की निर्वासित गवर्नमेंट के पीएम शेरिंग ने बोला कि ‘भारत की विदेश नीति अब काफी कारगर हो गई है. पूरे विश्व में हिंदुस्तान का असर भी बढ़ा है. ऐसे में हम चाहते हैं कि भारत, तिब्बत के मामले को लेकर अधिक मुखर होकर बात करे.

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दलाई लामा और चीन गवर्नमेंट के भी हो चुकी है बातचीत

गौरतलब है कि वर्ष 2002-2010 के बीच भी तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीन की गवर्नमेंट के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई थी. यह वार्ता नौ दौर तक चली थी, लेकिन इसमें कोई नतीजा नहीं निकल सका. उसके बाद से दोनों पक्षों में वार्ता पूरी तरह से बंद थी. तिब्बत में वर्ष 1959 में चीन के विरुद्ध हुए उपद्रव के बाद 14वें दलाई लामा भागकर हिंदुस्तान आ गए थे, जहां धर्मशाला में उन्होंने तिब्बत की निर्वासित गवर्नमेंट का गठन किया. दलाई लामा का इल्जाम है कि तिब्बत में चीन की सेना प्रताड़ना कर रही है. वहीं चीन का इल्जाम है कि दलाई लामा अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त हैं. हालांकि अब दलाई लामा ही साफ कर चुके हैं कि वह चीन से पूरी तरह से आजादी नहीं मांग रहे हैं और केवल चाहते हैं कि उनकी गवर्नमेंट को तिब्बत में स्वायतत्ता मिले.

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