राष्ट्रीय

देश में अब ‘हम दो हमारे दो’ का प्रचलन भी तेजी से हो रहा कम

राष्ट्र में अब ‘हम दो हमारे दो’ का प्रचलन भी तेजी से कम हो रहा है. इसकी बजाय एक बड़ी संख्या ऐसी है, जो एक ही बच्चा चाहते हैं. इसके चलते हिंदुस्तान में जन्मदर में 2050 तक गिरावट देखने को मिलेगी. लैंसेट की एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है. हिंदुस्तान में कुल जन्मदर 1950 में 6.18 थी, जो 1980 में घटकर 4.6 पर आ गई थी. यही नहीं 2021 में यह तेजी से घटते हुए 1.91 पर ही आकर ठहर गई. यह रिप्लेसमेंट लेवल से भी कम है. जनसंख्या विज्ञानी मानते हैं कि रिप्लेसमेंट लेवल के लिए जन्मदर कम से कम 2.1 होनी चाहिए. ऐसे में यह बड़े संकट की आहट भी है. अनुमान है कि 2050 तक हिंदुस्तान में जन्मदर 1.29 ही रह जाएगी. इससे जनसंख्या बिल्कुल से कम नहीं होगी, लेकिन उसमें युवाओं का अनुपात कम होता जाएगा. फिर 2100 तक यह संकट और गहरा जाएगा.

यदि लैंसेट की यह रिपोर्ट ठीक साबित होती है तो फिर आने वाले दशकों में हिंदुस्तान के आगे बड़ी चुनौती होगी. जन्मदर में तेजी से कमी आएगी तो वर्कफोर्स में भी कमी की स्थिति होगी और अर्थव्यवस्था को इससे झटका लगेगा. इसके अतिरिक्त युवाओं से अधिक जनसंख्या बुजुर्गों की हो जाएगी, जिनकी देखभाल करना भी एक चैलेंज होगा. यही नहीं स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बड़ा बोझ पड़ेगा. यही नहीं लैंगिक असमानता का संकट भी आएगा. इसकी वजह एक नया ट्रेंड भी है.  पहली संतान लड़का होने के बाद लोग दूसरा बच्चा नहीं पैदा कर रहे हैं.

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कम बच्चे पैदा करने की एक वजह यह भी है कि राष्ट्र के विकास के साथ लोगों की आकांक्षाएं भी बढ़ी हैं. बच्चों पर लोग काफी खर्च कर रहे हैं. ऐसे में अधिक बच्चे होने पर खर्च अधिक होगा. इससे बचने के लिए लोग कम बच्चों को ही महत्व दे रहे हैं. इसके अतिरिक्त स्त्रियों के बड़े पैमाने पर शिक्षित होने और उनके करियर पर फोकस करने से भी बच्चे पैदा होने की संभावनाओं पर असर पड़ा है. देरी से विवाह भी इसका एक कारण बन रही है. तेजी से शहरीकरण और गर्भनिरोधक तक लोगों की सरल पहुंच ने भी चीजों को बदला है.

जानकार मानते हैं कि भले ही हिंदुस्तान के आगे यह चुनौती आने में कुछ दशक बचे हैं, लेकिन अभी से प्लानिंग करनी होगी. सरकारों को मातृत्व को कम खर्चीला बनाने का कोशिश करना चाहिए. इससे भी लोग कुछ हद तक कम से कम दो बच्चों के लिए प्रेरित होंगे. बता दें कि इटली, जापान, रूस जैसे कई राष्ट्र ऐसे हैं, जो पहले ही इस तरह के संकट से गुजर रहे हैं. इन राष्ट्रों में जनसंख्या लगातार कम हो रही है और सरकारें इसे लेकर चिंतित हैं. इनमें से ही एक राष्ट्र दक्षिण कोरिया भी है. पिछले दिनों दक्षिण कोरिया के एक नेता ने बोला कि यदि यही हाल रहा तो फिर हमारे अस्तित्व पर ही संकट होगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button