नोएडा के ये दो इलाके हो रहे बदनाम, सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं खुलेआम पीते हैं सिगरेट
नोएडा शहर वैसे तो एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स, यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों का हब है। यहां हजारों की संख्या में शैक्षिक संस्थान हैं और लाखों बच्चे पढ़ाई करते हैं लेकिन यहां पढ़ाई के लिए आने वाले विद्यार्थियों ने अब इसे तंबाकू और सिगरेट का हब बना दिया है। यहां सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं खुलेआम सिगरेट पीते और धुआं उड़ाते मिल जाएंगे। नोएडा टोबेको कंट्रोल सेल ने पिछले एक वर्ष में ऐसे सैकड़ों बच्चों को पकड़ा है और उनके चालान किए हैं।
नोएडा टोबेको कंट्रोल सेल में डिस्ट्रिक्ट कंसल्टेंट डाक्टर श्वेता खुराना ने कहा कि नोएडा की दो जगहें तंबाकू या तंबाकू उत्पादों की हब बनती जा रही हैं। यहां कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं केवल सिगरेट ही नहीं पीते, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी पीते हुए मिल जाएंगे।
नियमानुसार यूनिवर्सिटी, कॉलेज, स्कूल या अन्य किसी शैक्षिक संस्थान के 100 यार्ड तक कोई भी तंबाकू उत्पाद नहीं बेचा जा सकता लेकिन नोएडा में कई ऐसे शैक्षिक संस्थान हैं, जिनके आसपास इन नियमों का उल्लंघन हो रहा है। यहां सिगरेट बेची भी जा रही हैं और छात्र-छात्राएं खरीदकर पी भी रहे हैं। टोबेको सेल कई बार यहां छापेमारी भी कर चुकी है।
282 विद्यार्थियों के हुए चालान
नोएडा जिले की टोबेको सैल ने 1 अप्रैल 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक कुल 282 विद्यार्थियों के चालान किए हैं। ये वे विद्यार्थी हैं जो कॉलेज परिसर से 100 मीटर के दायरे में धूम्रपान करते मिले हैं। जबकि अन्य जगहों पर धूम्रपान करने वालों की संख्या तो हजारों में होगी। इनमें 176 चालान तो केवल जानी-मानी एक ही यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के किए गए हैं।
ये दो जगहें धूम्रपान में सबसे आगे
डॉ। खुराना बताती हैं कि नोएडा में सेक्टर 125 के आसपास टॉप यूनिवर्सिटी और नॉलेज पार्क का क्षेत्र धूम्रपान में सबसे आगे हैं। नॉलेज पार्क के आसपास 70 से ज्यादा प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस हैं। जहां स्टूडेंट्स धूम्रपान करते हैं। ये केवल सिगरेट ही नहीं पीते बल्कि कई सिगरेट में चरस और गांजा तक भरा होता है।
हेल्थ के लिए है बहुत खराब
डॉ। श्वेता कहती हैं कि तंबाकू और सिगरेट युवाओं के लिए बहुत हानिकारक है। डीएम के संचालन में बनी कमेटी एनसीओआरडी इसे लेकर विद्यार्थियों को लगातार जागरुक भी कर रही है। हालांकि नोएडा में ये चीजें बढ़ती जा रही हैं। इनकी वजह से विद्यार्थियों को कम उम्र में लत लगने, फेफड़े संबंधी बीमारी होने, कैंसर आदि का खतरा बढ़ रहा है।