पश्चिम बंगाल में हुआ शिक्षक भर्ती घोटाला
Bengal teacher recruitment scam: राष्ट्र में जब हम किसी घोटाले की समाचार में किसी मंत्री की गिरफ्तारी की समाचार सुनते हैं, तो इसे हम सामान्य घटना मान लेते हैं। हम ये मानकर चलते हैं कि भ्रष्टाचारी मंत्री पकड़ा गया है तो इससे हम पर क्या असर पड़ेगा। अक्सर लोग मानते हैं कि करप्शन का आम लोगों पर सीधा असर नहीं पड़ता। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस तरह के घोटालों में जब कानूनी कार्रवाई होती है, तो इससे उन सभी लोगों पर असर पड़ता है, जो कहीं ना कही, इससे जुड़े होते हैं। भले ही वो करप्शन के लाभ पाने वाले हों या ना हों। पश्चिम बंगाल में हुआ शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
ब्याज समेत लौटानी होगी सैलरी
पश्चिम बंगाल में साल 2016 में शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा एक भ्रष्टाचार हुआ था। उस घोटाले पर आज कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाया है। उच्च न्यायालय ने साल 2016 में हुई शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने इस भर्ती परीक्षा के बाद मिली नौकरियों की नियुक्तियों को भी रद्द कर दिया है। केवल यही नहीं करीब 4-5 सालों से शिक्षक बनकर सैलरी ले रहे शिक्षकों को भी अपनी सैलरी वापस करने के निर्देश दिए हैं। सैलरी के अतिरिक्त इन शिक्षकों को इस धनराशि पर 12 फीसदी के सालाना ब्याज लगाकर पैसा वापस लौटाना होगा।
अच्छी खासी धनराशि चुकानी पड़ेगी
यानी वो सभी लोग जो घोटाले की वजह से जॉब पा चुके थे, उनकी नौकरियां छिनने वाली हैं। अब चाहे इसमें घूस देकर जॉब हासिल करने वाले लोग हों, या फिर योग्यता के आधार पर जॉब पाने वाले। केवल यही नहीं, नियुक्ति पाने वालों को एक अच्छी खासी धनराशि भी चुकानी पड़ेगी। जिस भर्ती परीक्षा में घोटाले की बात हम कर रहे हैं, वो West Bengal School Service Commission आयोजित करवाता है।
– साल 2016 की शिक्षक भर्ती के लिए 23 लाख उम्मीदवारों ने किस्मत आज़माई थी।
– WBSSC ने 24 हजार 640 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की थी।
– आपको आश्चर्य होगी जानकर कि परीक्षाओं के बाद 25 हजार 753 परीक्षार्थियों को नौकरियों के Appointment Letter दे दिए गए थे।
– यानी करीब 1 हजार 113 अतिरिक्त नौकरियां बांट दी गई थीँ, जो तय सीमा से कहीं अधिक थी। केवल यही नहीं इसमें कई और अनियमितताएं थीं।
मुख्य आरोपी कारावास में
एक ऐसा घोटाला, जिसमें मुख्य आरोपी कारावास में है, बावजूद इसके, न्यायालय के एक निर्णय से 25 हजार से अधिक लोगों की नौकरियां जाने वाली है। आप इसे इस तरह भी देख सकते हैं कि घोटाले से हुई नियुक्तियां रद्द होने से करीब 25 हजार से अधिक परिवारों को झटका लगा है। यदि हम हर 6 लोगों का एक परिवार मान लें, तो करीब डेढ़ लाख लोगों पर इस घोटाले का असर पड़ा है। वो सभी परिवार घोटाले की वजह से सड़क पर आ गए हैं। भ्रष्टाचार चाहे कोई भी हो, इसमें यदि मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी हुई है, तो ये मानकर चलिए कि उसका असर, उन लोगों पर भी पड़ सकता है जो किसी ना किसी प्रकार से घोटाले के लाभ पाने वाले रहे हैं।
60 महीनों की सैलरी ब्याज समेत वापस करनी है
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले से हुई नियुक्तियों को गैरकानूनी मानते हुए, उन सभी शिक्षकों को गैरकानूनी माना है, जिन्होंने ये परीक्षा पास करके जॉब हासिल की थी। उच्च न्यायालय ने WBSSC को नयी नियुक्ति प्रक्रिया प्रारम्भ करने के निर्देश दिए हैं। उच्च न्यायालय के आदेश में सूद समेत सैलरी वापस करने का आदेश भी है। लोगों को 4 से 5 सालों की यानी करीब 60 महीनों की सैलरी ब्याज समेत वापस करनी है। सोचिए यदि आपको ये करना पड़े तो आपकी स्थिति क्या होगी? शिक्षक भर्ती में जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
– उनमें क्लास 9 और 10 को पढ़ाने वाले शिक्षकों को 40 हजार रुपये महीना मिलते हैं।
– यानी 40 हजार के हिसाब से 5 सालों की कमाई 24 लाख रुपये होती है। ये धनराशि वापस करनी पड़ेगी।
– इसी तरह से क्लास 11 और 12 को पढ़ाने वाले शिक्षकों को 50 हजार रुपये महीना मिलते हैं।
– यानी 50 हजार के हिसाब से 5 सालों की कमाई हुई, 30 लाख रुपये। ये धनराशि भी लौटानी होगी।
घोटाले का सीधा असर आम लोगों पर भी पड़ सकता है
यही नहीं सैलरी की इस धनराशि पर ब्याज भी जोड़ा जाएगा जो करीब ढाई से साढ़े 3 लाख रुपये तक होगा। शिक्षक भर्ती घोटाले के लाभ पाने वाले शिक्षकों की जॉब जाने वाली है और उन्हें आर्थिक चोट अलग से लग रही है। विडंबना ये है कि इन 4-5 सालों में ये लोग भविष्य की योजनाएं बना चुके होंगे, किसी ने होम लोन लिया होगा, कुछ ऐसे होंगे जो फाइनेशियल प्लानिंग कर चुके होंगे, और बहुत से लोग तो बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रहे होंगे। इन सभी को लगा होगा कि घोटाले की जांच या उस पर आने वाले निर्णय का, उनपर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन न्यायालय ने अपने निर्णय से बता दिया कि किसी घोटाले का सीधा असर आम लोगों पर भी पड़ सकता है।
हाईकोर्ट के निर्णय से कई लोग खुश
शिक्षक भर्ती की ये प्रक्रिया साल 2014 में प्रारम्भ हुई थी, जो साल 2016 में पूरी हुई। शिक्षक भर्ती में कई तरह के इल्जाम लगे थे। जैसे OMR शीट में गड़बड़ी की गई। खाली OMR शीट छोड़कर आने वाले परीक्षार्थियों को भी पास कर दिया गया था। मेरिट लिस्ट में कम अंक पाने वाले उम्मीदवारों को टॉप रैंक दी गई। कम अंक पाने वाले परीक्षार्थियों को नौकरियों के तरजीह दी गई। Teacher Eligibility Test में फेल परीक्षार्थियों को भी नौकरियां दी गई। जबकि राज्य में TET पास करना जरूरी है। जॉब के लिए 5 लाख से 15 लाख रुपये तक घूस दी गई। उच्च न्यायालय का निर्णय आने बाद वो लोग खुश हैं, जिन्होंने अनियमितताओं की कम्पलेन की थी। ये वही लोग थे, जो अच्छे अंक पाने के बावजूद नौकरियां नहीं ले पाए थे।
ममता बनर्जी गवर्नमेंट प्रश्नों के घेरे में।।
शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोपों के बाद से ही पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार, प्रश्नों के घेरे में आ गई थी। दरअसल साल 2014 से 2021 तक पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री थे पार्थ चटर्जी। पार्थ चटर्जी ममता बनर्जी के काफी करीबी माने जाते थे। लेकिन जब इस मुद्दे की आंच ममता बनर्जी गवर्नमेंट पर आने के लगी, तब ममता ने पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हटा दिया था।
– साल 2022 में सीबीआई ने पार्थ चटर्जी से पूछताछ की थी।
– जांच के दौरान सीबीआई को मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिले थे।
– मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिलने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच प्रारम्भ कर दी थी।
– जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने पार्थ चटर्जी और उनके करीबियों के 18 ठिकानों पर छापेमारी की थी।
– पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से करीब 48 करोड़ रुपये कैश और कई किलो सोना मिला था।
– 23 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय ने पार्थ चटर्जी को शिक्षक भर्ती घोटाले मुद्दे में अरैस्ट कर लिया था।
ED की छापेमारी
ED की छापेमारी में मिली धनराशि और सोने चांदी की तस्वीरों ने पूरे राष्ट्र को दंग कर दिया था। अर्पिता के बारे में प्रवर्तन निदेशालय को तब पता चला, जब पार्थ चटर्जी के घर से उन्हें, अर्पिता की प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज़ मिले थे।जब पार्थ ने अर्पिता के बारे में ठीक जानकारी नहीं दी, तब प्रवर्तन निदेशालय ने अर्पिता के ठिकानों पर छापेमारी की थी। अर्पिता के दो ठिकानों से 48 करोड़ रुपये कैश के अतिरिक्त साढ़े 4 किलो सोना मिला था, जिसमें 1-1 किलो की 3 ईटें थीं।
ममता बनर्जी गवर्नमेंट बैकफुट पर
पार्थ चटर्जी ने अपनी गिरफ्तारी के दिन भी जमकर ‘खेला’ किया था। गिरफ्तारी के समय वो व्हीलचेयर पर बैठकर आते हुए देखे गए थे। उस समय ऐसा जताने की प्रयास की जा रही थी, कि केंद्रीय एजेंसियां जानबूझकर ममता बनर्जी के मंत्रियों पर दबाव डाल रही हैं। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की कार्रवाई ने सारे आरोपों को निराधार साबित किया। कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्णय ने ममता बनर्जी गवर्नमेंट को भी बैकफुट पर ढकेला है, वो पार्थ चटर्जी का पक्ष लेने की स्थिति में भी नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल की शिक्षक भर्ती परीक्षा की नियुक्तियों को उच्च न्यायालय ने करीब 7-8 साल बाद रद्द किया है। निर्णय देर से आया लेकिन ऐसा आया, जिससे हजारों आम लोगों पर असर पड़ा। हम हिंदुस्तान के लोग इस तरह के घोटाले वाली घटनाओं से कुछ नहीं सीखते। ये पहली बार नहीं है जब राष्ट्र में भर्ती घोटालों का असर, हजारों आम नागरिकों की नौकरियों पर पड़ा है
– साल 2000 में हरियाणा की ओम प्रकाश चौटाला गवर्नमेंट में घूस लेकर 3 हजार 208 Junior Basic Teacher की भर्ती की गई थी। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने इस मुद्दे में कम्पलेन दर्ज करवाई। सीबीआई जांच के बाद साल 2013 में ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को गुनेहगार माना गया और 10-10 साल की सज़ा सुनाई गई थी। इसके बाद साल 2014 में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस घोटाले में हुई करीब 2800 शिक्षकों की भर्ती को रद्द कर दिया था।
– इसी तरह से असम में साल 2014 में Assam Public Service Commission परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें भी अनियमितताओं के इल्जाम लगे थे। इसमें जिन लोगों की नियुक्तियां हुई थीं, वो लोग घूस देने के इल्जाम कारावास में बंद हैं।
कुछ घोटाले ऐसे हैं जिनकी अभी जांच चल रही
इसके अतिरिक्त कुछ घोटाले ऐसे हैं जिनकी अभी जांच चल रही है। इसमें क्या निर्णय आएगा किसी को नहीं पता। नियुक्तियां रहेंगी या रद्द कर दी जाएंगी ये भी अभी कोई नहीं जानता।
– साल 2022 में राजस्थान के अंदर Rajasthan Public Service Commision की शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। इसकी जांच जारी है।
– साल 2021 में राजस्थान में ही पुलिस भर्ती भ्रष्टाचार हुआ। इसमें 670 लोगों को सब-इंस्पेक्टर पद पर नौकरियां मिली थीँ। अभी 15 सब इंस्पेक्टर्स पर जांच चल रही है, जिसमें टॉपर्स भी शामिल हैं।
– साल 2023 में मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार हुआ था। इसमें भी अनियमितताओं के इल्जाम लगे थे। स्थिति ये थी कि प्रदेश के टॉप 10 में से 7 टॉपर एक ही कॉलेज के थे। इन परीक्षाओं में नकल करवाने और रिश्वतखोरी के इल्जाम लगे थे। इस मुद्दे की भी जांच चल रही है।
– साल 2021 में कर्नाटक में 545 सब इंस्पेक्टर पद के लिए परीक्षाएं हुई थीं। इन परीक्षाओं में पेपर लीक का इल्जाम लगा था। इन परीक्षाओं को भी रद्द कर दिया गया था। इसमें 50 से अधिक परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के विरुद्ध ऱिश्वत देने का मुद्दा दर्ज किया गया हैँ। इस मुद्दे की भी जांच चल रही है।
मेहनत से जॉब पाना एकमात्र निष्ठावान रास्ता
ये आकड़े बताते हैं कि भर्तियों के घोटाले में शामिल होना खतरे से खाली नही है। जो लोग सरकारी नौकरियों के लालच में लाखों रुपये घूस के तौर पर देते है, उन्हें ये पता होना चाहिए कि घोटाले का खुलासा होने पर…नौकरियां भी जा सकती है और सैलरी के तौर पर जो पैसा मिला है, वो भी ब्याज समेत लौटाना पड़ सकता है। यानी हर तरह का नुकसान, घूस देकर जॉब हासिल करने वालों का ही है। हम तो यही कहेंगे कि मेहनत का कोई तोड़ नहीं है और योग्यता आपको कभी पीछे नहीं रहने देती है। इसीलिए मेहनत करके योग्य बनना ही जॉब पाने का एकमात्र निष्ठावान रास्ता है।