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पीएम मोदी की ‘कांग्रेस संस्कृति को धमकाने’ वाली टिप्पणी को लेकर खड़गे ने किया पलटवार

नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस). कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को अधिवक्ताओं द्वारा प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे एक खुले पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी की उस टिप्पणी की निंदा की, जिसमें उन्होंने बोला था कि “दूसरों को डराना और धमकाना कांग्रेस पार्टी की पुरानी संस्कृति है”. पत्र पर 600 से ज्‍यादा अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर किए थे.

पीएम मोदी ने एक्स लिखा : “पांच दशक पहले ही उन्होंने ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ का आह्वान किया था – वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं, लेकिन देश के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं.

पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए सीट-बंटवारे की वार्ता में अपने सहयोगियों पर भारी पड़ने के बाद सबसे पुरानी पार्टी की कमजोर होती किस्मत पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा, “कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए खड़गे ने कहा, “पीएम मोदी, आपको जाहिर तौर पर जानकारी नहीं है, लेकिन पीएम के लिए हमारी न्यायपालिका पर टिप्पणी करना मुनासिब नहीं है.

कांग्रेस नेता ने एक बयान में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ प्रश्न भी पूछे :

“सुप्रीम न्यायालय के 4 वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने एक अभूतपूर्व प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की थी और आपके शासन द्वारा ‘लोकतंत्र के विनाश’ के विरुद्ध चेतावनी क्यों दी थी?”

“आपकी गवर्नमेंट द्वारा न्यायाधीशों में से एक को राज्यसभा के लिए क्यों नामित किया गया था?”

“आपकी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल से हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को क्यों मैदान में उतारा है?”

खड़गे ने यह भी पूछा, “आप राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) क्यों लाए, जिसे उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था?”

कांग्रेस प्रमुख ने पीएम को संबोधित करते हुए आगे कहा, “पीएम मोदी जी, हिंदुस्तान की संस्थाएं हिंदुस्तान के लोगों की संपत्ति हैं. आप उनकी शक्तियों को हड़पने और हमारे राष्ट्र को कमजोर करने के लिए पर्सनल रूप से उत्तरदायी हैं.

उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने इन संस्थानों के निर्माण और पोषण में सहायता की. हमारे हजारों कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इनके लिए अपनी जान दे दी. हम इन संस्थानों को आपसे वापस लेंगे और हिंदुस्तान के लोगों को लौटाएंगे.

इससे पहले गुरुवार को, राष्ट्र के शीर्ष अधिवक्ताओं – हरीश साल्वे, पिंकी आनंद, मनन कुमार मिश्रा, चेतन मित्तल, हितेश जैन और कई अन्य ने सीजेआई को एक खुला पत्र भेजा, जिसमें निहित स्वार्थी समूहों द्वारा किए गए प्रयासों पर अपनी चिंता जताई.

निहित स्वार्थों के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों वकीलों का साथ देते हुए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कैसे कांग्रेस पार्टी पांच दशक पहले एक ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ चाहती थी, लेकिन अब स्वार्थ के लिए ‘धमकाने वाली रणनीति’ का सहारा ले रही है.

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