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पीएम मोदी ने राजस्थान में एक रैली में आप ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर बोला सीधा हमला, कहा…

राहुल जोशी राजस्थान में एक रैली में आप ने कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र पर सीधा धावा बोला आपने यहां तक बोला कि उनके पास एक योजना है, जिसके जरिये वे धन बांटना चाहते हैं वे पता लगाना चाहते हैं कि किसके पास कितनी बचत है, किसके पास कितना पैसा है, किसके पास कितना सोना, चांदी है और वे इसे मुसलमानों और घुसपैठियों के बीच बांटना चाहते हैं क्या यह धमकी इतनी असली है? क्या आप इसे ऐसे देखते हैं?

पीएम नरेंद्र मोदी जहां तक कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र की बात है तो कोई मुझे बताए कि क्या चुनाव के दौरान सियासी दलों के घोषणापत्र महज दिखावा होते हैं? हर सियासी दल के घोषणा पत्र को पढ़ना मीडिया का काम है मैं इस पर मीडिया की टिप्पणी का प्रतीक्षा कर रहा था’ मैंने पहले दिन ही घोषणापत्र पर टिप्पणी कर दी थी घोषणापत्र देखने के बाद मुझे लगता है कि इस पर मुसलमान लीग की छाप है मुझे लगा कि मीडिया चौंक जाएगा लेकिन वे वही कहते रहे जो कांग्रेस पार्टी ने पेश किया फिर मैंने सोचा कि ये इकोसिस्टम का बहुत बड़ा भ्रष्टाचार लगता है और मुझे सच्चाई सामने लानी होगी मैंने 10 दिन तक प्रतीक्षा किया कि घोषणापत्र की बुराइयों को कोई न कोई सामने लाएगा क्योंकि यदि इसे निष्पक्ष ढंग से सामने लाया जाता है तो यह अच्छा है आखिरकार, मुझे इन सच्चाइयों को सामने लाने के लिए विवश होना पड़ा

सवाल 2006 का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मनमोहन सिंह जी ने बोला है कि संसाधनों पर पहला अधिकार गरीब मुसलमानों का है ये बात उन्होंने स्पष्ट रूप से कही है आपने मेनिफेस्टो में यह भी कहा है कि वह ओबीसी आरक्षण का एक हिस्सा लेकर मुसलमानों को देना चाहेंगे और 2004-2014 के बीच उन्होंने चार-पांच बार ऐसा करने की प्रयास की है

पीएम नरेंद्र मोदी आपने बहुत दिलचस्प प्रश्न पूछा है उत्तर लंबा होगा लेकिन राष्ट्र की खातिर मुझे आपको बताना ही पड़ेगा आप कांग्रेस पार्टी का इतिहास देखिये यह मांग 1990 के दशक से उठती रही है राष्ट्र में समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसे लगता था कि उनके लिए कुछ किया जाना चाहिए, इसके लिए विरोध प्रदर्शन भी हुए 1990 से पहले कांग्रेस पार्टी ने इसका पूरा विरोध किया और इसे दबा दिया फिर उन्होंने जो भी आयोग बनाये, जो भी समितियां बनाईं, उनकी रिपोर्ट भी ओबीसी के पक्ष में आने लगी वे इन विचारों को नकारते, अस्वीकार करते और दबाते रहे लेकिन 90 के दशक के बाद वोट बैंक की राजनीति के कारण उन्हें लगा कि कुछ करना चाहिए

तो, उन्होंने पहला पाप क्या किया था? 90 के दशक में उन्होंने कर्नाटक में मुसलमानों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय लिया इसलिए वे पहले इस विचार को दबा रहे थे और अपवित्र कर रहे थे, लेकिन सियासी फायदा के लिए उन्होंने मुसलमानों को ओबीसी का लेबल दे दिया कांग्रेस पार्टी केंद्र से बेदखल हो गई यह योजना 2004 तक रुकी रही 2004 में जब कांग्रेस पार्टी वापस आई तो उसने तुरंत आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को ओबीसी कोटा देने का निर्णय किया न्यायालय में मुद्दा उलझ गया हिंदुस्तान की संसद ने संविधान की मूल भावना के अनुरूप ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था अब, उन्होंने इस 27 फीसदी कोटा को हथियाने की प्रयास की

2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक हुई थी, जहां सिंह के बयान पर भारी बवाल हुआ था वे दो वर्ष तक चुप रहे 2009 के घोषना पत्र में उन्होंने फिर इसका जिक्र किया 2011 में, इस पर एक कैबिनेट नोट है जहां उन्होंने मुसलमानों को ओबीसी हिस्सा देने का निर्णय किया उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव में भी यह प्रयास की लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ 2012 में आंध्र उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया वे उच्चतम न्यायालय गए, वहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली 2014 के घोषणापत्र में भी धर्म के आधार पर आरक्षण की बात कही गई थी जब हिंदुस्तान का संविधान बना तो कोई भी आरएसएस या भाजपा के लोग उपस्थित नहीं थे वहां पंडित नेहरू और बाबा साहब अंबेडकर जैसे महापुरुष उपस्थित थे जिन्होंने लंबे चिंतन के बाद यह निर्णय लिया कि हिंदुस्तान जैसे राष्ट्र में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता

2024 के चुनावों के लिए उनका घोषणापत्र देखें इस पर मुसलमान लीग की छाप है जिस तरह से वे संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं, जिस तरह से वे अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं… एससी और एसटी के आरक्षण पर खतरा है क्या मुझे राष्ट्र की जनता को इसकी जानकारी नहीं देनी चाहिए? मेरा मानना है कि इस राष्ट्र को शिक्षित करना, ठीक बातें बताना उन सभी विद्वान लोगों की जिम्मेदारी है, जो ज्ञान के अमीर हैं, जो निष्पक्ष हैं

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