राष्ट्रीय

फर्जी खबरें फैलाकर भारतीय चुनावों को बाधित करने की चीन ने रची ये साजिश

 माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी है कि चीन भारतीय लोकसभा चुनाव में खलल डालने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीक का इस्तेमाल करने की षड्यंत्र रच रहा है. भारत में 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है. तदनुसार, लोकसभा आम चुनाव 19 से 1 जून तक 7 चरणों में होंगे. वोटों की गिनती 4 जून को होगी इस मुद्दे में माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी है कि चीन हिंदुस्तान समेत कई राष्ट्रों के चुनावों में खलल डालने की षड्यंत्र रच रहा है

माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने पिछले महीने दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की थी उस समय, दोनों ने सामाजिक कल्याण, राष्ट्र के स्त्री नेतृत्व वाले विकास, स्वास्थ्य और कृषि में नवाचार सहित विभिन्न उपायों से कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी (एआई) का इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर चर्चा की. इस मुद्दे में माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी है कि चीन AI तकनीक का इस्तेमाल कर दूसरे राष्ट्रों के चुनावों में खलल डालने की षड्यंत्र रच रहा है

इस संबंध में माइक्रोसॉफ्ट के ‘थ्रेट इंटेलिजेंस रिसर्च ग्रुप’ ने कहा, पूरे विश्व के करीब 64 राष्ट्रों में चुनाव होने वाले हैं इन राष्ट्रों में दुनिया की 49 प्रतिशत जनसंख्या रहती है इस वर्ष भारत, अमेरिका और दक्षिण कोरिया में आम चुनाव हैं. चीन अब इन चुनावों में नतीजों को अपने पक्ष में करने के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. ऐसा करके एआई तकनीक का इस्तेमाल झूठी, झूठी और घटित न होने वाली घटनाओं को सोशल मीडिया पर फैलाने के लिए किया जा रहा है. इसके लिए चीनी गवर्नमेंट के योगदान से विभिन्न साइबर फर्जीवाड़ा समूहों को तैनात किया गया है.

वर्तमान समय में एआई तकनीक चुनावों पर व्यापक असर नहीं डाल सकती है. हालाँकि, चीन AI तकनीक के साथ प्रयोग करना जारी रखता है. चीन अपने फायदा के लिए इस तकनीक का विकास जारी रखेगा. यह जोखिम है कि चीन आने वाले सालों में इस तकनीक का अधिक गहनता और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करेगा. ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, ‘स्टॉर्म 1376’ नामक एक चीनी राज्य समर्थित साइबर फर्जीवाड़ा समूह को तैनात किया गया था. इस रैकेट ने ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में उन लोगों के विरुद्ध कई झूठी खबरें फैलाई हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते हैं.

ईरान ने कथित तौर पर एआई तकनीक से लोगों को बरगलाने की भी प्रयास की है. वहां के टीवी पत्रकारों के डीप फेक वीडियो से लोगों की मानसिकता बदलने की प्रयास की गई है अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में गलत जानकारी फैलाने के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल कोई नयी बात नहीं है. आनें वाले राष्ट्रपति चुनाव के बारे में बोलते हुए वर्तमान राष्ट्रपति जो बिडेन का एक फर्जी ऑडियो जारी किया गया है और इसने हलचल मचा दी है.

इस मुद्दे में चुनाव में एआई तकनीक के असर की बात सामने आई थी, हालांकि चीन की भागीदारी का कोई सबूत नहीं था. भारत, अमेरिका, दक्षिण कोरिया जैसे देश, जहां निकट भविष्य में चुनाव होने हैं, उन्हें बहुत सावधान रहना चाहिए. इसकी जानकारी माइक्रोसॉफ्ट की थ्रेट इंटेलिजेंस टीम ने दी है.

मतदाताओं का मन बदलने की कोशिश: चीन पहले ही ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में एआई तकनीक के साथ विदेशी चुनावों को बाधित करने का प्रायोगिक कोशिश कर चुका है. अभी उत्तर कोरिया के साथ-साथ एआई तकनीक का इस्तेमाल कर प्रमुख नेताओं के मीम्स, फर्जी ऑडियो, वीडियो और ‘डीपफेक’ वीडियो बनाकर मतदाताओं का मन बदलने की प्रयास की जा रही है. इसके जरिए मतदाताओं का मन बदलने और चुनाव के नतीजे बदलने की प्रयास की जा रही है

ऐसी आसार है कि एआई तकनीक के माध्यम से नकली सियासी विज्ञापन प्रकाशित किए जाएंगे, जिससे उम्मीदवारों के विचारों के विरुद्ध गलत जानकारी फैल जाएगी. ये सच हैं या असत्य इसका पता लगाना सरल नहीं है इसलिए इस खतरे को रोकने के लिए तुरन्त कदम उठाए जाने चाहिए अन्यथा, माइक्रोसॉफ्ट टीम के अनुसार, एआई तकनीक के माध्यम से झूठी खबरें और वीडियो फैलने से चुनाव प्रभावित होने का खतरा है.

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