राष्ट्रीय

लोकसभा चुनाव 2024: केरल में राजनीतिक दलों के लिए अल्पसंख्यक वोट काफी अहम, सामने आई ये वजह

तिरुवनन्तपुरम: लोकसभा चुनावों का आगाज हो चुका है. सभी दल अपनी तैयारियों को तेज कर चुके हैं. इस बार केरल में भाजपा भी एक मजबूत दावेदार बनकर उभरी है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाला यूडीएफ और सीपीएम के नेतृत्व वाला एलडीएफ इस बात पर जूझ रहे हैं कि संघ परिवार के एजेंडे के विरुद्ध कौन खड़ा हो सकता है.

बता दें कि केरल में सियासी दलों के लिए अल्पसंख्यक वोट काफी अहम हैं और इसके पीछे जो वजह सामने आ रही है, वह चौंकाने वाली है. दरअसल केरल के 4 जिलों में अल्पसंख्यक ही बहुसंख्यक हैं.

बड़े मालाबार क्षेत्र में, जिसमें राज्य के भौगोलिक केंद्र पलक्कड़ से लेकर सबसे उत्तरी जिले कासरगोड तक आठ निर्वाचन क्षेत्र हैं, सभी सीटों पर 25% से अधिक मुसलमान जनसंख्या है – कासरगोड (30.8% लगभग), कन्नूर (26% लगभग) , वडकारा (31.2%), कोझिकोड (36.7%), वायनाड (41%), मलप्पुरम (68%), पोन्नानी (62.4%) और पलक्कड़ (29.4%).

इसके अलावा, जब ईसाई समुदाय को ध्यान में रखा जाता है, तो राज्य की 20 सीटों में से 13 में अल्पसंख्यक जनसंख्या का हिस्सा 35% से अधिक है. राज्य में छह सीटें हैं जहां ईसाई जनसंख्या की हिस्सेदारी 20% से अधिक है, ज्यादातर राज्य के दक्षिणी हिस्से में, सबसे अधिक इडुक्की (41.8%) और पथानामथिट्टा (39.6%) में हैं.

क्या कहता है इतिहास?

अगर राज्य के इतिहास की बात करें तो जब भी अल्पसंख्यकों के मतदान व्यवहार में उतार-चढ़ाव आया है, तो इसका चुनावी असर एलडीएफ और यूडीएफ दोनों पर पड़ा है. उदाहरण के लिए, 2019 के संसदीय चुनावों में, यूडीएफ ने मुसलमान और ईसाई वोटों के एकीकरण के कारण 20 में से 19 सीटें जीतीं, जिसमें राहुल गांधी की वायनाड उम्मीदवारी से सहायता मिली, जिन्हें भविष्य के प्रधान मंत्री के रूप में पेश किया गया था.

लोकनीति सीएसडीएस के चुनाव बाद सर्वेक्षण के अनुसार, 2019 में यूडीएफ को 65% मुसलमान वोट और 70% ईसाई वोट मिले, जबकि एलडीएफ को क्रमशः 28% और 24% वोट मिले.

इन चार जिलों में बहुसंख्यकों से अधिक हैं अल्पसंख्यक

  • मलप्पुरम में मुस्लिमों और क्रिश्चियंस की संख्या 72.2 प्रतिशत है.
  • इरनाकुलम में मुस्लिमों और क्रिश्चियंस की संख्या 53.7 प्रतिशत है.
  • इडुक्की में मुस्लिमों और क्रिश्चियंस की संख्या 50.8 प्रतिशत है.
  • वायनाड में मुस्लिमों और क्रिश्चियंस की संख्या 50 प्रतिशत है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button