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सियासी दलों को फंड देना बेहतर विकल्प, राष्ट्रीय कोष बनाने की जरूरत

चुनावी बॉन्ड योजना को समाप्त किए जाने के बाद सियासी चंदे पर फोकस होने के बीच पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बुधवार को एक राष्ट्रीय कोष बनाने की वकालत की. जिसमें कॉर्पोरेट चंदा दिया जा सके और फिर पिछले चुनाव में अपने प्रदर्शन के अनुपात में दलों को वितरित किया जा सके. 

 

कुरैशी ने बोला कि चुनाव के लिए पैसा देने के बजाय सियासी दलों को फंड देना बेहतर विकल्प होगा. इससे राजनीतिक दलों की संगठनात्मक जरूरतों और सियासी गतिविधियों का ध्यान रखा जा सकेगा. मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा, 2017 में जब चुनावी बॉन्ड योजना प्रारम्भ की गई थी तो यह पारदर्शिता की बात करती थी. लेकिन इसने उस तक उपस्थित पारदर्शिता को ही समाप्त कर दिया. कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त रहे.

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, यदि आपको याद हो तो तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण की आरंभ बहुत खूबसूरती से की. उन्होंने बोला था कि सियासी चंदे की पारदर्शिता के बिना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है. यह हमारे कानों के लिए एक संगीत की तरह था क्योंकि यही हम कह रहे थे. उनका दूसरा बयान भी उतना ही अच्छा था कि पिछले सत्तर वर्ष से हम उस पारदर्शिता को हासिल करने में असफल रहे हैं. हमें आशा थी कि उनका तीसरा वाक्य यह होगा कि हम पारदर्शिता हासिल करने जा रहे हैं और हम इसे इसी तरह करेंगे.

 

 

कुरैशी ने आगे कहा, उन्होंने जो किया वह उस समय तक उपस्थित सभी पारदर्शिता को समाप्त करने के लिए था. जो पारदर्शिता थी वह यह थी कि 20 हजार रुपये से अधिक के प्रत्येक दान की सूचना चुनाव आयोग को दी जाती थी. उन्होंने बोला कि चुनावी बॉन्ड योजना में नकदी लेनदेन को बैंकिंग से बदलने में कोई परेशानी नहीं थी. लेकिन वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि दानदाता इसलिए गोपनीयता चाहता है क्योंकि उसे बदले की कार्रवाई का डर रहता है.

 

 

उन्होंने कहा, मैं इस पर प्रश्न उठाता हूं. पिछले सत्तर सालों में दानकर्ता उन्हीं दलों को दान देते रहे हैं जो चुनाव जीतती और हारती रही हैं. कुरैशी ने कहा, किसी ने भी बदले की कार्रवाई की कम्पलेन नहीं की है. मैं बीजेपी से पूछता हूं कि क्या आपने कांग्रेस पार्टी के दानकर्ताओं के विरुद्ध बदले की कार्रवाई की है या कांग्रेस पार्टी ने आपके दानकर्ताओं के विरुद्ध कोई बदले की कार्रवाई की है? कभी नहीं. दानदाता बहुत चतुर और चालाक हैं और सभी पक्षों को दान देते हैं.

 

उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को गैरकानूनी करार दिया है. जैसाकि आप देख सकते हैं कि अलमारी से बहुत सारे कंकाल निकल रहे हैं. मेरा रुख यह है कि कंकाल निकलते रहेंगे. बहुत सारी जानकारी होगी, लेकिन इन सबके पोस्टमॉर्टम में मत जाइए. कुरैशी ने सुधारों की आवश्यकता पर बल देते हुए बोला कि राष्ट्र अब वापस 2017-18 की स्थिति में आ गया है, जब किसी को पता नहीं होता था कि पैसा कहां से आ रहा है.

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