सियासी दलों को फंड देना बेहतर विकल्प, राष्ट्रीय कोष बनाने की जरूरत
कुरैशी ने बोला कि चुनाव के लिए पैसा देने के बजाय सियासी दलों को फंड देना बेहतर विकल्प होगा. इससे राजनीतिक दलों की संगठनात्मक जरूरतों और सियासी गतिविधियों का ध्यान रखा जा सकेगा. मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा, 2017 में जब चुनावी बॉन्ड योजना प्रारम्भ की गई थी तो यह पारदर्शिता की बात करती थी. लेकिन इसने उस तक उपस्थित पारदर्शिता को ही समाप्त कर दिया. कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त रहे.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, यदि आपको याद हो तो तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण की आरंभ बहुत खूबसूरती से की. उन्होंने बोला था कि सियासी चंदे की पारदर्शिता के बिना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है. यह हमारे कानों के लिए एक संगीत की तरह था क्योंकि यही हम कह रहे थे. उनका दूसरा बयान भी उतना ही अच्छा था कि पिछले सत्तर वर्ष से हम उस पारदर्शिता को हासिल करने में असफल रहे हैं. हमें आशा थी कि उनका तीसरा वाक्य यह होगा कि हम पारदर्शिता हासिल करने जा रहे हैं और हम इसे इसी तरह करेंगे.