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2014 में बीजेपी के साथ परदे के पीछे संबंधों की अटकलों पर शरद पवार ने कहा…

Sharad Pawar Statement: महाराष्ट्र की राजनीति के कद्दावर शरद पवार (Sharad Pawar) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) के बीच एक ऐसा खुलासा कर दिया है जिससे राजनीतिक गलियारों में नयी चर्चा प्रारम्भ हो गई है दरअसल, शरद पवार ने बोला है कि उन्होंने 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना को भाजपा से दूर करने के लिए ही भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी और यह कदम सफल साबित हुआ एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए शरद पवार ने बोला कि इस कदम का मकसद भाजपा को सत्ता से दूर रखना था

2014 में भाजपा के समर्थन देने का घोषणा क्यों?

2014 में भाजपा के साथ परदे के पीछे संबंधों की अटकलों पर शरद पवार ने बोला कि भाजपा के साथ जाने का मेरा कभी कोई प्लान नहीं था मैं 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें सत्ता से दूर रखना चाहता था मैंने केवल भाजपा को एनसीपी का समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं किया था

उद्धव ठाकरे को कैसे साथ लाए शरद पवार?

शरद पवार ने बोला कि प्लानिंग धीरे-धीरे शिवसेना को भाजपा से अलग करने की थी मैं इसमें सफल रहा अब मैं और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं भाजपा के हाथ में गवर्नमेंट देना राष्ट्र के भलाई में नहीं है

2014 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?

गौरतलब है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 122 सीट जीती थीं लेकिन बहुमत के लिए उसे 144 सीटें चाहिए थीं तब कई दशकों से सहयोगी रहे भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने 2014 का चुनाव भिन्न-भिन्न लड़ा था जब गवर्नमेंट बनाने की कवायद चल ही रही थी कि तब शरद पवार ने बोला था कि एनसीपी, भाजपा को बिना शर्त समर्थन देगी

5 वर्ष बाद सफल हुई शरद पवार का दांव!

हालांकि, करीब एक महीने बाद शिवसेना, देवेंद्र फडणवीस गवर्नमेंट में शामिल हो गई थी, लेकिन बाद में भी दोनों सहयोगियों के बीच कई मुद्दों पर टकराव जारी रहा था इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था लेकिन सीएम पद पर बात नहीं बन सकी थी और तब से अविभाजित शिवसेना और भाजपा की राहें अलग हो गई थीं

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