अमित शाह : अगर सीएए का फैसला मेरी सरकार की तरफ से लिया गया है, तो…
CAA यानी नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसपर खुलकर बात की. उन्होंने साफ कर दिया है कि कानून ‘मुस्लिम विरोधी’ नहीं है. साथ ही उन्होंने वायनाड सांसद और कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से भी CAA के विरोध की वजह बताने की अपील की है. कांग्रेस पार्टी ने CAA पर जमकर प्रश्न उठाए थे.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में शाह ने राहुल को मंच पर आकर खुलकर CAA पर अपनी राय रखने की चुनौती दी है. उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे इस मामले पर विस्तार से राहुल गांधी का साक्षात्कार करने और आम जनता को CAA के विरोध की वजह समझाने का निवेदन करता हूं राजनीति में आपकी यह जिम्मेदारी होती है कि अपने फैसलों पर स्पष्टिकरण दें.‘
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर सीएए का निर्णय मेरी गवर्नमेंट की तरफ से लिया गया है, तो मुझे अपनी पार्टी का मत समझाना होगा. इसी तरह राहुल गांधी को भी समझाना चाहिए कि वह इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं.‘
कांग्रेस के सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश कानून को लागू करने की टाइमिंग पर प्रश्न उठा चुके हैं. साथ ही उन्होंने इल्जाम लगाए थे कि यह विवादित कानून है, क्योंकि नागरिकता कभी धर्म के आधार पर नहीं रही.
इसपर शाह ने बोला था, ‘राहुल गांधी, ममता या केजरीवाल समेत सभी विपक्षी दल असत्य की राजनीति कर रहे हैं. ऐसे में टाइमिंग का प्रश्न नहीं उठता. बीजेपी ने वर्ष 2019 के घोषणापत्र में साफ कर दिया था कि वह सीएए लेकर आएंगे और शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देंगे. बीजेपी का एजेंडा साफ है और उस वादे के अनुसार 2019 में बिल दोनों सदनों में पास हुआ. कोविड के चलते इसमें देरी हुई. चुनाव में जनादेश मिलने से पहले ही बीजेपी का एजेंडा साफ था.‘
उन्होंने बोला था, ‘नियम अब एक औपचारिकता हैं. टाइमिंग, सियासी लाभ या हानि का कोई प्रश्न ही नहीं है. अब विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति कर अपना वोट बैंक एकजुट करना चाहता है. मैं उनसे निवेदन करता हूं कि उनका भंडाफोड़ हो चुका है. सीएए पूरे राष्ट्र के लिए कानून है और चार वर्षों में मैंने 41 बार दोहराया है कि यह हकीकत बनेगा.‘
मुसलमानों को दिया भरोसा
शाह ने कहा, ‘मैंने हाल ही में करीब 41 बार यह कहा है कि हिंदुस्तान में अल्पसंख्यकों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसमें किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है. यह केवल सताए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई और पारसियों को नागरिकता की गारंटी देता है.‘