बरिलवी : नागरिकता संशोधन अधिनियम मुसलमानों को प्रभावित नहीं करता है और…
ऑल इण्डिया मुसलमान जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरिलवी ने इस बात पर बल दिया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम मुसलमानों को प्रभावित नहीं करता है और इसलिए मुसलमानों को इसका विरोध किए बिना इस अधिनियम का स्वागत करना चाहिए। उन्होंने यह राय तब व्यक्त की जब नागरिकता संशोधन कानून जिसे सीएए के नाम से जाना जाता है, कल (सोमवार) तुरंत लागू हो गया।
इस बारे में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”भारत गवर्नमेंट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू किया है। मैं इस कानून का स्वागत करता हूं। इसे कभी तो लागू किया जाना चाहिए था। देर भी हो जाये तो कोई बात नहीं। मुझे ख़ुशी है कि यह अब लागू हो गया है।
इस कानून को लेकर भारतीय मुसलमानों में कई गलतफहमियां हैं। इस कानून का मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। पूर्व पाकिस्तान। अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने का कोई कानून नहीं है। अपने ही राष्ट्र में धर्म के नाम पर दुर्व्यवहार का शिकार होने के कारण उन्हें यहां की नागरिकता लेने में भी कठिनाई हुई। अब इसका निवारण है।
इस कानून से राष्ट्र के करोड़ों भारतीय मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जैसा कि आम धारणा है। यह किसी भी मुस्लिम को नागरिकता से वंचित नहीं करता है। इस बिल के विरुद्ध पहले भी विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। वे समझ की कमी के कारण हुए। कुछ राजनेताओं ने लोगों के बीच गलतफहमी का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है।’ वास्तव में हिंदुस्तान में रहने वाले हर मुस्लिम को इस कानून का स्वागत करना चाहिए।
हमारे राष्ट्र में अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमान समुदाय को भड़काया जा रहा है। इस कानून में किसी को नागरिकता से वंचित करने का कोई प्रावधान नहीं है। सीएए अधिनियम बांग्लादेश और पाक में पीड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है। कहा।
सीएए पृष्ठभूमि: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। यह अधिनियम उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करता है, जिन्होंने पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले हिंदुस्तान में शरण ली थी।
केंद्र गवर्नमेंट ने कहा कि सीएए में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान मुसलमान राष्ट्र हैं। इसे न मानते हुए दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक दिल्ली समेत देशभर में अनेक विरोध प्रदर्शन हुए। दिल्ली में दंगे भड़क उठे। इन विरोध प्रदर्शनों में 65 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई। 3,000 से अधिक लोगों को अरैस्ट किया गया। इसी कड़ी में CAA कानून लागू हुए 4 वर्ष बीत चुके हैं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कल एक अधिसूचना जारी कर कहा कि यह कानून तुरन्त असर से लागू हो गया है।