BJP Leaders Hate Speech: HC ने मुंबई पुलिस को BJP के तीन नेताओं के भड़काऊ भाषणों की जांच करने का दिया आदेश
मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुंबई और मीरा भायंदर पुलिस आयुक्तों को बीजेपी नेताओं द्वारा भड़काऊ भाषण की जांच के आदेश दिए हैं. भड़काऊ भाषण देने वालों में विधायक नितेश राणा, विधायक गीता जैन और विधायक टी राजा सिंह शामिल है. न्यायालय ने आयुक्तों से खुद भड़काऊ भाषणों की जांच करने को बोला है.
आफताब सिद्दीकी सहित मुंबई और मीरा रोड के पांच निवासियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दावा किया कि जनवरी में मीरा भायंदर में हुई अत्याचार के बाद पुलिस ने जानबूझकर बीजेपी के तीनों नेताओं के विरुद्ध मुद्दा दर्ज नहीं किया. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने बोला कि भाषण के लिखित नोट्स के आधार पर प्रथम दृष्टया क्राइम हुआ है. पुलिस कमिश्नर स्वयं इन भाषणों के वीडियो और लिखित नोट्स की जांच करें.
कोर्ट ने बोला कि यदि कानून का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो नागरिकों का पुलिस पर से भरोसा उठ जाएगा. इसके अतिरिक्त न्यायालय ने नितेश राणे द्वारा मीरा-भायंदर पुलिस कमिश्नरेट में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर भी नाराजगी जताई. न्यायालय ने बोला कि पुलिस परिसर का इस्तेमाल प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए नहीं किया जाना चाहिए. न्यायालय ने यह भी बोला कि इससे नागरिकों का पुलिस पर भरोसा कम होगा.
याचिकाकर्ता आफताब सिद्दीकी, अशफाक शेख, असगर राईन, इस्माइल खान और सज्जाद खतीब ने 2022 और 2023 के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया है, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए नफरत फैलाने वाले भाषणों के विरुद्ध स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
याचिका में 19 और 21 जनवरी की घटनाओं का हवाला दिया गया है जहां मीरा रोड पर अशांति देखी गई जहां एक बड़ी भीड़ इकट्ठा हुई और नफरत भरे नारे लगाने लगी. याचिका में इस वर्ष जनवरी और मार्च के बीच के उदाहरणों का भी उल्लेख किया गया है जहां नितेश राणे, गीता जैन और टी राजा सिंह ने रैलियों को संबोधित किया और भड़काऊ भाषण दिए.
भड़काऊ भाषण के लिए पुलिस ने आयोजकों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार मुद्दा दर्ज किया है. इस पर भी न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त की और बोला कि धारा 188 के अनुसार मुद्दा दर्ज होने पर पुलिस की प्रतिष्ठा तो धूमिल होगी ही, साथ ही कोई भी कहीं भी बैठक कर कुछ भी कह सकता है ऐसा संदेश जनता में जाएगा. हाई न्यायालय इस मुद्दे की अगली सुनवाई 15 अप्रैल करेगा.