राष्ट्रीय

1984 के बाद पूर्वांचल की यह सीट नहीं जीत पाई कांग्रेस

जब बात लोकसभा चुनाव की आती है, तो देवरिया लोकसभा  सीट के चुनावी आंकड़ें काफी कुछ बयां कर देते हैं पिछले चुनाव में यहां से बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष रमापति राम त्रिपाठी जीते थे इस बार यहां बीजेपी अभी अपने प्रत्‍याशी के नाम पर मंथन कर रही है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्‍ता अखिलेश प्रताप सिंह को उतारा है अखिलेश अभी जनता के बीच बाहरी बनाम स्‍थानीय के मसले को मुखर कर रहे हैं

दो बार से जीत रही भाजपा
पिछले दो चुनावों से यह सीट बीजेपी के कब्‍जे में है साल 2014 की मोदी लहर में यहां से बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता कलराज मिश्र मैदान में उतरे, तो उन्‍हें बाहरी बोला गया, लेकिन जनता ने उन्‍हें विजयी बनाकर संसद भेज दिया तब कलराज मिश्र ने लोगों को कहा कि वह बाहरी नहीं है, उनके पूर्वज देवरिया के ही थे वह केंद्र गवर्नमेंट में मंत्री भी रहे वर्तमान में वह राजस्‍थान के गर्वनर हैं इसके बाद साल 2019 के चुनाव में यहां से बीजेपी ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा वह भी यहां से जीतने में सफल रहे इससे पहले साल 1996 और 1999 में भी यह सीट बीजेपी के खाते में गई साल 2024 के चुनाव में इस बार बीजेपी ने अभी अपने पत्‍ते नहीं खोले हैं भाजपा की चारों लिस्‍ट में देवरिया के प्रत्‍याशी का नाम न होने से अभी यहां कयासबाजी का बाजार गर्म है अब देखना यह है कि बीजेपी यहां से अपने वर्तमान सांसद पर दांव खेलती है या किसी नए चेहरे को मैदान में उतारती है बीजेपी से दांवेदारों की बात करें तो उसकी लिस्‍ट लंबी है इधर कांग्रेसी इस चुनाव में बाहरी को मुददा बनाने में जुटे हैं कांग्रेस पार्टी का इल्जाम है कि यहां से भाजपा दो बार से बाहरी प्रत्‍याशी को टिकट दे रही है और अखिलेश प्रताप सिंह स्‍थानीय है ऐसे में बीजेपी के टिकट पर सबकी निगाहें टिकीं हैं

1984 के बाद नहीं जीती कांग्रेस
आजादी के बाद से देवरिया लोकसभा सीट पर कभी सोशलिस्‍ट पार्टी जीती तो कभी कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा साल 1984 में कांग्रेस पार्टी ने अंतिम बार यह सीट जीती थी हांलाकि साल 1951 के पहले चुनाव में यहां कांग्रेस पार्टी को ही विजयश्री मिली थी और यहां से पहला चुनाव कांग्रेस पार्टी के विश्‍वनाथ राय ने जीता था वह कांग्रेस पार्टी से यहां चार बार सांसद रहे 90 के दशक तक यहां कभी कांग्रेस पार्टी तो कभी सोशलिस्‍ट पार्टियां जीतती रहीं लेकिन 90 के बाद मंडल कंमडल आंदोलन के बाद समीकरण बदले तो यहां का मुकाबला समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच सिमट गया यहां से राजमंगल पांडे 1984 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे उसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में वह जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरे और जीते जिसके बाद यहां से कांग्रेस पार्टी का सफाया हो गया तब से अब तक कांग्रेस पार्टी यहां कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button