कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में सामने आ रही वैचारिक लड़ाई पर दिया जोर
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में सामने आ रही वैचारिक लड़ाई पर बल दिया और इसे संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने वाली ताकतों बनाम उनकी रक्षा करने वाली ताकतों के बीच विवाद बताया. कांग्रेस पार्टी घोषणापत्र के लॉन्च को संबोधित करते हुए, गांधी ने पार्टी की संभावनाओं पर विश्वास व्यक्त करते हुए आनें वाले चुनावों के महत्व को रेखांकित किया. गांधी ने एकतरफा मुकाबले का सुझाव देने वाली मीडिया की खबरों को खारिज कर दिया और बोला कि चुनावी परिदृश्य कहीं अधिक सूक्ष्म है.
2004 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान की तुलना करते हुए, गांधी ने उस चुनाव के आखिरी रिज़ल्ट पर प्रकाश डाला, जहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, जिससे यूपीए गवर्नमेंट का गठन हुआ. प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार के संबंध में प्रश्नों के उत्तर में, गांधी ने बोला कि I.N.D.I.A ब्लॉक चुनावों को एक वैचारिक लड़ाई के रूप में देखता है और प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार पर फैसला को चुनाव के बाद तक टाल देगा. उन्होंने बोला कि नरेंद्र मोदी ने ED-CBI जैसी अनेक संस्थाओं को कैप्चर करके फाइनेंशियल मोनोपॉली बना ली है. लेकिन अब इलेक्टोरल बांड की सारी जानकारी सामने आ गई है.
राहुल ने प्रश्न किया कि किससे उगाही हुई, किसको कॉन्ट्रैक्ट दिया है, कॉन्ट्रैक्ट के बाद कितना पैसा दिया है. इसका पूरा ब्लू प्रिंट सामने आ गया है, इसलिए नरेंद्र मोदी डरे हुए हैं और 400 पार का नंबर आया है. क्योंकि उन्हें पता है 180 पार नहीं होने वाला. सामाजिक इन्साफ पर बल देते हुए, घोषणापत्र में केंद्र गवर्नमेंट के पदों में लगभग 30 लाख रिक्तियों को भरने का वादा किया गया और बिना किसी भेदभाव के सभी समुदायों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% कोटा लागू करने का आश्वासन दिया गया.
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव निकट आ रहे हैं, कांग्रेस पार्टी का लक्ष्य स्वयं को सामाजिक इन्साफ और लोकतांत्रिक मूल्यों के चैंपियन के रूप में स्थापित करना है, और चुनावों को हिंदुस्तान के सियासी परिदृश्य में एक जरूरी क्षण के रूप में स्थापित करना है.