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कच्चातिवु द्वीप को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, लगाया ये आरोप

नई दिल्लीः कच्चातिवु द्वीप के मामले पर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा और केंद्र गवर्नमेंट पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोमवार को बोला कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी होमवर्क करके नहीं आते हैं. उन्होंने बोला कि वर्ष 2015 में मोदी गवर्नमेंट ने कच्चातिवु द्वीप के मामले पर आरटीआई (RTI) के उत्तर बोला था कि न कोई जमीन श्रीलंका को दी, न कोई जमीन ली. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को क्या तब तक नहीं पता कि 2014 तक इस आइलैंड के पास फिशिंग राइट्स थे. 2014 के बाद फिशिंग राइट्स क्यों चले गए. इसका उत्तर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा को देना चाहिए. पवन खेड़ा ने बोला कि ऐसी मामूली बातें करना पीएम को शोभा नहीं देता.

केसी वेणुगोपाल ने लगाया ये आरोप

कच्चातिवु द्वीप के मामले पर पीएम मोदी के ट्वीट और विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कांग्रेस पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बोला कि ये भाजपा की ध्यान भटकाने वाली रणनीति है. वहीं, राज्य सभा सांसद पी चिदंबरम ने बोला कि यह बेतुका इल्जाम है.

चिदंबरम ने कही ये बात

चिदंबरम ने दवा किया कि यह समझौता 1974 और 1976 में हुआ था. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी एक हालिया आरटीआई उत्तर का जिक्र कर रहे हैं, उन्हें 27 जनवरी 2015 के RTI उत्तर का जिक्र करना चाहिए, जब विदेश मंत्री एस जयशंकर विदेश सचिव थे. उस उत्तर में साफ रूप से बोला गया है कि वार्ता के बाद यह द्वीप अंतर्राष्ट्रीय सीमा के श्रीलंकाई हिस्से में है. इंदिरा गांधी ने क्यों स्वीकार किया कि यह श्रीलंका का है? वैसे श्रीलंका में 6 लाख तमिल पीड़ित थे, इसलिए उन्हें शरणार्थी के रूप में हिंदुस्तान आना पड़ा. इस समझौते के परिणामस्वरूप 6 लाख तमिल हिंदुस्तान आये और वे यहां सभी मानवाधिकारों के साथ स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं.

विदेश मंत्री ने किया ये दावा

बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर ने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर उदासीनता दिखायी और भारतीय मछुआरों के अधिकार छीन लिए. जयशंकर ने एक संवाददाता सम्मेलन में बोला कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु को एक ‘‘छोटा द्वीप’’ और ‘‘छोटी चट्टान’’ कहा था. उन्होंने बोला कि यह मामला अचानक सामने नहीं आया है बल्कि यह हमेशा से एक जीवंत मामला है. कच्चातिवु को वापस लेने का मामला प्रमुख द्रविड़ दलों के बीच तीखी बहस का विषय रहा है.

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