CPI के नेशनल सेक्रेटरी अतुल कुमार अंजान का हुआ निधन
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दिग्गज नेता अतुल अंजान का शुक्रवार को मृत्यु हो गया। कुछ दिनों से बीमार चल रहे अतुल अंजान ने लखनऊ के एक हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। वह करीब एक महीने से लखनऊ के गोमतीनगर स्थित मेयो हॉस्पिटल में कैंसर से जूझ रहे थे। लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में अपनी सियासी पारी प्रारम्भ करने वाले अतुल अंजान भारतीय वामपंथी राजनीति में एक बड़ा नाम थे।
अतुल कुमार अंजान ने अपने सियासी करियर की आरंभ वर्ष 1977 में की थी। पहली बार वे लखनऊ यूनिवर्सिटी से छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। अतुल अंजान को वामपंथी राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था।
चार बार लखनऊ यूनिवर्सिटी विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष चुने गए
अतुल कुमार अंजान 20 वर्ष की उम्र में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष के रूप में चुने गए। वे बार-बार स्टूडेंट्स की आवाज को उठाने की वजह से बहुत फेमस हो गए थे। इसी वजह से वे एक नहीं बल्कि चार बार लखनऊ यूनिवर्सिटी विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। वे एक प्रभावशाली वक्ता के रूप में भी जाने जाते थे। इनको करीब आधा दर्जन से अधिक भाषाओं की जानकारी थी। अंजान अपनी यूनिवर्सिटी के दिनों के दौरान ही वामपंथी पार्टी में शामिल हो गए। अतुल कुमार अंजान यूपी के फेमस पुलिस-पीएसी उपद्रव के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
अंजान अपने सियासी करियर के यात्रा में चार वर्ष में करीब 9 महीनों तक कारावास में भी रहे। उनके पिता डॉ एपी सिंह एक अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने HSRA (हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन) की गतिविधियों में हिस्सा लिया। इसके लिए उन्हें अंग्रेजों ने कारावास में डाल दिया था। किसानों और श्रमिकों के लिए किए गए उनके संघर्ष के कारण हर दलों और सभी क्षेत्रों के लोगों के मन में उनके लिए विशेष सम्मान था