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E-Waste के चलते लाखों महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा

E-Waste: हम सबके पास मोबाइल टेलीफोन है घर में टीवी है, लैपटॉप है और भी ऐसे बहुत से electronic सामान है जो हर रोज इस्तेमाल होते हैं लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि नया स्मार्टफोन खरीदने के बाद पुराने टेलीफोन का क्या हुआ? नया टीवी घर में आने के बाद पुराने टीवी का क्या हुआ? उस laptop का क्या हुआ जिसे खराब होने के बाद आपने फेंक दिया? शायद ही आपने इसके बारे में सोचा हो आज जिस तरह से राष्ट्र दुनिया में electronic सामान की चाहत बढ़ती जा रही है, वो Gadget जहर बनकर अब हमारे वातावरण का गला घोंट रहे है E-Waste पर UN की The Global E-Waste Monitor 2024 रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें E-Waste वाली सुनामी का जिक्र है

2010 के बाद से E-Waste में 82 प्रतिशत की बढ़ोतरी

इस रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सालाना 6.2 करोड़ टन electronic कचरा पैदा हो रहा है 2010 के बाद से देखें तो इस कचरे में 82 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है रिपोर्ट में बोला है कि E-Waste यदि ऐसे ही बढ़ता रहा तो साल 2030 तक 32 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़कर 8.2 करोड़ टन पर पहुंच सकता है E-Waste का वार्षिक उत्पादन 23 लाख टन प्रतिवर्ष की रेट से बढ़ रहा है जिन electronic सामानों ने हम सबकी जीवन को सरल बना दिया है वही सामान अब जिन्दगी में ज़हर भी घोल रहे है

E-Waste आखिर होता क्या है?

E-Waste आखिर होता क्या है? आमतौर पर हम अपने घरों और दफ्तरों में जिन Mobile, Laptop, TV, Tablet, Solar Panels समेत दूसरे electronic gadget और दूसरे अन्य उत्पादों को इस्तेमाल के बाद फेंक देते हैं वही बेकार फेंका हुआ कचरा, electronic waste यानि E-Waste कहलाता है आप भी अपने पुराने टीवी, टेबलेट, समेत इलेक्ट्रोनिक सामान को या तो कबाड़ी की दुकान पर बेच देते होंगे या फिर फेंक देते होंगे…लेकिन E-Waste की वास्तविक परेशानी तब प्रारम्भ होती है जब इस कचरे का ठीक ढंग से collection और recycling नहीं होती जिससे मिट्टी, पानी और हवा जहरीली हो रही है

UN की रिपोर्ट कहती है

UN की रिपोर्ट कहती है कि साल 2022 में यूरोप, ओशिनिया कंट्रीज़ और अमेरिका ने प्रति आदमी सबसे अधिक electronic कचरा पैदा किया इस कचरे में यूरोप प्रति आदमी 17.6 किलोग्राम के हिसाब से सबसे आगे है इसके बाद ओशिनिया ने प्रति आदमी 16.1 किलोग्राम E-Waste पैदा किया…ओशिनिया ऐसे द्वीपों के समुह को बोला जाता है जो प्रशांत महासागर में फैले हुए है जबकि अमेरिका ने 14.1 किलोग्राम कचरा पैदा किया था इन राष्ट्रों में E-Waste को इकट्ठा करने और recycling के साधन उपस्थित है इसलिए इन राष्ट्रों में E-Waste की recycling रेट भी ऊंची है लेकिन बहुत से ऐसे राष्ट्र हैं जहां E-Waste बड़ी मात्रा में निकला, लेकिन ना यहां ऐसे कचरे को इकट्ठा करने के पर्याप्त संसाधन है और ना recycling के

बुरा असर पड़ रहा

रिपोर्ट के अनुसार 2022 में पैदा हुए E-Waste का केवल 22.3 फीसदी हिस्सा ही इकट्ठा और Recycle हो पाया था साल 2030 तक electronic कचरे को इकट्ठा करने और recycling की रेट घटकर केवल 20 प्रतिशत रह जाएगी आप जानकर दंग रह जाएंगे कि दुनिया का करीब एक तिहाई यानी 2,000 करोड़ किलोग्राम इलेक्ट्रॉनिक कचरा खिलौने, microwave oven, vacuum cleaner और e-cigarette जैसे छोटे उपकरणों के रूप में पैदा हो रहा है ये वो परेशानी है जिसका अभी हमें बहुत अधिक पता नहीं चल रहा है लेकिन धीरे-धीरे ये परेशानी बढ़ रही है जिसका पर्यावरण के साथ-साथ हमसब पर भी बहुत बुरा असर पड़ रहा है

पूरी दुनिया की समस्या

जिस तरह से जलवायु बदलाव किसी एक राष्ट्र की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की परेशानी है ठीक उसी तरह से E-Waste भी किसी एक राष्ट्र की नहीं बल्कि पुरी दुनिया की परेशानी है पूरी दुनिया में E-Waste की मात्रा कितनी अधिक है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यदि इस electronic waste को 40 metric ton क्षमता के ट्रकों में भरा जाए तो इसके लिए करीब 15.5 लाख से अधिक ट्रकों की आवश्यकता पड़ेगी इन ट्रकों को एक के पीछे एक लगाया जाए तो ये भूमध्य रेखा के चारों और एक लाइन बना सकते हैं

E-Waste रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहा

E-Waste रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहा है जबकि recycling की रेट अब भी बहुत कम है ऐसे में बहुत बड़ी मात्रा में E-Waste नदियों में बहा दिया जाता है, बड़े-बड़े गोदामों में ई कचरा पड़ा रहता है समंदर में फेंक दिया जाता है, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ जीव जन्तुओं को भी हानि हो रहा है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर recycling की रेट केवल 12 प्रतिशत दर्ज की गई है 500 करोड़ किलोग्राम E-Waste में छोटे IT और दूरसंचार उपकरण शामिल हैं, जिनमें Laptop, Mobile Phone, GPS Device और router शामिल हैं इस कचरे का भी सिर्फ़ 22 प्रतिशत हिस्सा ही इकट्ठा और Recycle किया जा रहा है solar panel भी E-Waste का कारण बन रहा है साल 2022 में करीब 60 करोड़ टन फोटोवोल्टिक पैनल से ई-कचरा निकला है

दुनिया में सबसे कम E-Waste किस राष्ट्र से निकलता है?

दुनियाभर में electronic waste के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह electronic सामान की तेजी से बढ़ती खपत है आज के समय में बाजार में मौजूद electronic सामान की उम्र कम होती है खराब होते ही इन्हें फेंक दिया जाता है जैसे ही नयी technology आती है, पुराने को dump कर दिया जाता है अब आपसे हम general knowledge का एक प्रश्न पूछते हैं प्रश्न है कि दुनिया में सबसे कम E-Waste किस राष्ट्र से निकलता है हो सकता है आपको इसका उत्तर नहीं पता हो तो इसका उत्तर है अफ्रीका अफ्रीका सबसे कम E-Waste पैदा कर रहा है लेकिन साथ ही वो इसे Recycle करने के लिए भी संघर्ष कर रहा है जहां इस कचरे के recycling की रेट एक प्रतिशत से भी कम है

कचरे का वजन अधिक ही रहेगा

वर्ष 2022 में Small e waste यानी फोन, या earplug जैसे छोटे electric products से ही करीब 2 करोड़ 45 लाख metric ton e waste पैदा हुआ था इस कचरे का कुल वजन इतना अधिक है, कि इसके सामने गीज़ा जैसे एक दो नहीं, चार pyramid भी मिला दें तो भी कचरे का वजन अधिक ही रहेगा चिंता की बात ये है कि इसका बहुत छोटा सा हिस्सा ही recycle हो पाया जबकि बाक़ी का खुली ज़मीन पर रह गया या फिर नदियों और समंदर में पहुंच गया इस E-Waste के एक और Side effect के बारे में हम आपको बताते हैं जिसका सच जानकर आप भी दंग रह जाएंगे

लाखों स्त्रियों और बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा

E-Waste के चलते लाखों स्त्रियों और बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट ‘Children and Digitally Connected Site’ की रिपोर्ट के अनुसार 1.29 करोड़ महिलाएं E-Waste से जुड़े क्षेत्र में काम करती हैं, ये महिलाएं या तो E-Waste को इकट्ठा करती है या फिर recycle के काम में लगी हैं ये महिलाएं E-Waste के संपर्क में आती है इससे न सिर्फ़ इन स्त्रियों के स्वास्थ्य पर बल्कि उनके अजन्में बच्चों को भी खतरा होता है इसी तरह करीब 1.8 करोड़ बच्चे और किशोर, जिनमें से कुछ की उम्र तो पांच साल से भी कम है वो इस काम में जुटे है E-Waste में उपस्थित सीसा और पारा इन बच्चों की दिमागी क्षमता को हानि पहुंचा सकता है

हम सब डिजिटल युग में

आज का समय electric car का समय है…e bike का समय है आज बड़े पैमाने पर solar panel का इस्तेमाल हो रहा है कुल मिलाकर हम सब डिजिटल युग में हैं लेकिन इन सुख सुविधाओं के साथ हमें E-Waste के रूप में नयी मुसीबत भी मिल रही है जो पर्यावरण को सबसे अधिक हानि पहुंचा रहा है E Waste को वैज्ञानिक उपायों से Recycle किया जाए तो इससे दुनिया को लाभ भी हो सकता है recycle से केवल पर्यावरण ही नहीं बचेगा बल्कि इससे कीमती धातुओं को भी बचाया जा सकता है उदाहरण के तौर पर साल 2022 में जो E-Waste पैदा हुआ उसमें साढ़े सात लाख करोड़ रूपये की बहुमुल्य धातुएं थीं इसमें डेढ़ लाख करोड़ रूपये का तांबा उपस्थित था इसी तरह 1 लाख 24 हजार 500 करोड़ का सोना भी उपस्थित था

किसी एक राष्ट्र की परेशानी नहीं

यानि यदि हम E-Waste को Recycle करें तो ना केवल पर्यावरण को बचा पाएंगे बल्कि लाखों करोड़ रूपये की धातुओं को भी बचाया जा सकता है हम बार-बार कह रहे हैं कि E-Waste की परेशानी किसी एक राष्ट्र की परेशानी नहीं है बल्कि ये पूरी दुनिया की परेशानी है हिंदुस्तान की भी… हिंदुस्तान पूरी दुनिया में E-Waste पैदा करने की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है साल 2021-22 में 1.6 मिलियन टन E-Waste हिंदुस्तान में हुआ था साल 2030 तक हिंदुस्तान में 14 मिलियन टन E-Waste होने का अनुमान है हालाकि हिंदुस्तान ने इस परेशानी से निपटने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं जैसे हिंदुस्तान में नयी Scrap Policy के अनुसार गवर्नमेंट ने साल 2022 में Mobile Phones, Laptop, Fridge, TV, AC समेत 134 Electronic Items की Expiry Date तय कर दी थी | यानी एक निश्चित समय के बाद, आपके घर में उपस्थित Electronic Items कबाड़ हो जाएंगे और आपको उन्हें Scrap करवाना पड़ेगा

ये बिलकुल वैसे ही है जैसे हिंदुस्तान में वाहनों की Expiry Date 15 वर्ष होती है जिसके बाद वाहनों को सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं मिलती और उन्हें Scrap करवाना होता है उसी तरह अब Electronic सामान को भी एक निश्चित समय के बाद Scrap करवाना होगा जिस तरह से गाड़ियों की Scrapping को बढ़ावा देने के लिए लोगों को एक Discount Certificate दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल वो नयी वाहन खरीदने में कर सकते हैं, वैसी ही Policy अब Electronic सामान के लिए भी तैयार की गई है जिस तरह गाड़ियों की Scrapping का काम Recycling Agencies करती हैं, उसी तरह Electronic सामान के Collection और Scrapping का काम भी Private Agencies कर रही हैं

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