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ED ने खार‍िज की, केजरीवाल की दलीलें

नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कथ‍ित शराब घोटाले मुद्दे के ‘सरगना और मुख्य साजिशकर्ता’ हैं और साक्ष्‍य के आधार पर क्राइम के लिए किसी आदमी की गिरफ्तारी कभी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा का उल्लंघन नहीं कर सकती है. प्रवर्तन निदेशालय ने उच्चतम न्यायालय में दाख‍िल हलफनामे में दावा क‍िया क‍ि केजरीवाल ने अपने मंत्रियों और आप नेताओं के साथ मिलकर काम किया और नीति में दिए गए फायदा के बदले शराब व्यवसायियों से घूस मांगने में भी शामिल थे.

जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने अपने 734 पेज के जवाबी हलफनामे में बोला क‍ि एनसीटी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली गवर्नमेंट के मंत्रियों, आप नेताओं और अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर दिल्ली शराब घोटाले के मुखिया और मुख्य साजिशकर्ता हैं. इसमें बोला गया है क‍ि अरविंद केजरीवाल कुछ व्यक्तियों को फायदा पहुंचाने के लिए शराब नीत‍ि 2021-22 तैयार करने की षड्यंत्र में शामिल थे और उक्त नीति में दिए गए फायदा के बदले में शराब व्यवसायियों से घूस मांगने में भी शामिल थे.

ईडी ने केजरीवाल के तर्क का यूं क‍िया खंडन
ईडी ने बोला कि किसी सीएम या आम नागरिक को अरैस्ट करने के लिए साक्ष्य के विभिन्न मानकों के लिए पीएमएलए 2002 में कोई अलग प्रावधान नहीं हैं और याचिकाकर्ता अपनी स्थिति पर बल देकर अपने लिए एक विशेष श्रेणी बनाने का कोशिश कर रहा है, जो स्वीकृत नहीं किया जा सकता है. केजरीवाल ने तर्क द‍िया था क‍ि उनकी गिरफ्तारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के बुनियादी ढांचे और सिद्धांत का उल्लंघन करती है इस का जांच एजेंसी ने खंडन करते हुए बोला क‍ि किसी आदमी की गिरफ्तारी, चाहे वह कितना भी बड़ा हो, क्राइम के आधार पर की जाती है. उन्‍होंने बोला क‍ि ग‍िरफ्तारी कभी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा का उल्लंघन नहीं कर सकती.

हलफनामे में आगे बोला गया है क‍ि यदि उपरोक्त तर्क को स्वीकार कर लिया जाता है, तो क्रिमिनल राजनेताओं को इस आधार पर गिरफ्तारी से छूट दी जाएगी कि उन्हें चुनाव में प्रचार करना जरूरी है. इसमें बोला गया है है क‍ि गिरफ्तारी के मुद्दे में किसी राजनेता के साथ सामान्य क्रिमिनल से अलग व्यवहार करना गिरफ्तारी की शक्ति का मनमाना और अतार्किक प्रयोग होगा जो संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार निहित समानता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा. एजेंसी ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी इसलिए की गई क्योंकि जांच अधिकारी के पास धारा 19 के अनुसार जरूरी सामग्री है जो पीएमएलए के अनुसार दंडनीय मनी लॉन्ड्रिंग के क्राइम में उनके क्राइम का संकेत देगी. इसमें बोला गया है क‍ि मनी लॉन्ड्रिंग के क्राइम में गुनेहगार एक राजनेता के पक्ष में भिन्न-भिन्न व्यवहार ‘कानून के शासन’ का उल्लंघन होगा जो संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन होगा.

 

ग‍िरफ्तारी में छूट नहीं म‍िल सकती: ईडी
ED ने अपने हलफ़नामे में ये भी बोला है कि क्राइम के किसी भी मुद्दे में सियासी आदमी और सामान्य आदमी में भेदभाव नहीं किया जा सकता, ये संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त बराबरी के अधिकार के खिलाफ होगा. मनी लाउंड्रिंग के मुद्दे में यदि किसी सियासी आदमी को सामान्य आदमी से अलग तरह से डील किया जाएगा, तो यह रूल ऑफ लॉ के खि‍लाफ होगा. उनकी गिरफ़्तारी पीएमएलए के सेक्शन 19 के अनुसार नियमों के अनुसार हुई है. प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्‍यमंत्री केजरीवाल के उस इल्जाम को भी निराधार कहा है कि उनकी गिरफ्तारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को प्रभावित करने के लिए की गई है. प्रवर्तन निदेशालय का बोलना है कि किसी भी व्यक्ति, चाहे वो कितना भी बड़ा क्यों ना हो, सबूतों के आधार पर हुई गिरफ्तारी कभी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में बाधक नहीं हो सकती. यदि इस दलील को स्वीकार किया जाये तो हर उस क्रिमिनल जो सियासी आदमी भी हो, उसे इस आधार पर गिरफ्तारी से छूट मिल जाएगी कि उसे चुनाव प्रचार करना है.

ईडी ने उच्चतम न्यायालय का ग‍िरफ्तारी ठीक हुई
अरव‍िंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को मुनासिब ठहराते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने बोला कि केजरीवाल को सद्भावना से अरैस्ट किया गया है. किसी दुर्भावना या बाहरी कारण से नहीं. इस बात से साफ रूप से इनकार किया जाता है कि गिरफ्तारी दुर्भावनापूर्ण थी. दुर्भावना से संबंधित टकराव के संबंध में, यह प्रस्तुत किया गया है कि न सिर्फ़ याचिकाकर्ता की दलीलें निराधार और गलत हैं, बल्कि यह अस्पष्ट, सामान्य और विशिष्ट नहीं हैं | इसमें कहा गया कि केजरीवाल आप के गोवा चुनाव अभियान में क्राइम की आय के इस्तेमाल में शामिल थे, जिसके वह संयोजक और आखिरी फैसला निर्माता हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने बोला कि केजरीवाल ने शराब नीत‍ि 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में उन्हें फायदा पहुंचाने के बदले में साउथ ग्रुप से घूस की मांग की है और इस बात पर प्रकाश डाला है कि सीएम नौ समन के बावजूद जांच अधिकारी के सामने मौजूद नहीं होकर पूछताछ से बच रहे थे.

हलफनामे पर आम आदमी पार्टी ने क्‍या कहा?
हलफनामे पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने इल्जाम लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय ‘झूठ बोलने की मशीन’ बन गई है. प्रवर्तन निदेशालय ने अपने हलफनामे में बोला क‍ि आरोपी ने अपने आचरण से, आईओ के कब्जे में उपस्थित सामग्री के अतिरिक्त गिरफ्तारी की जरूरत के अस्तित्व के संबंध में जांच अधिकारी को स्वयं सहयोग दिया और सहायता की, ताकि याचिकाकर्ता संतुष्ट हो सके. अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका को ‘योग्यताहीन’ और खारिज किए जाने योग्य बताते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने बोला कि जिस सामग्री ने उन्हें अरैस्ट करने के लिए जांच अधिकारी की संतुष्टि का आधार बनाया, उसका विभिन्न अदालतों ने शोध किया है.

ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा संघीय मनी लॉन्‍ड्र‍िंग धन-शोधन रोधी एजेंसी द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा देने से इनकार करने के कुछ घंटों बाद अरैस्ट किया था. वह अभी न्यायिक हिरासत के अनुसार तिहाड़ कारावास में बंद हैं. उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया और केजरीवाल की याचिका पर उससे उत्तर मांगा है.

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