राष्ट्रीय

आम आदमी पार्टी के आरोपों पर ED ने पलटवार करते हुए ,कहा …

आम आदमी पार्टी मोदी गवर्नमेंट पर इल्जाम लगा रही है कि वह उसे परेशान करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है आम आदमी पार्टी यह भी इल्जाम लगा रही है कि उसके नेताओं के यहां मंगलवार को जो छापे मारे गये वह केवल बदनाम करने के लिए थे क्योंकि छापेमारी के दौरान कोई तलाशी नहीं ली गयी और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी पार्टी नेताओं के घर पर केवल बैठे रहे इन आरोपों पर पलटवार करते हुए अब स्वयं वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम आदमी पार्टी पर इल्जाम लगाया है कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में निविदा के जरिये करप्शन से मिली घूस की धनराशि चुनावी कोष के तौर पर आम आदमी पार्टी (आप) को दी गई हम आपको बता दें कि संघीय एजेंसी ने एक बयान में बोला है कि डीजेबी से जुड़े कथित धन शोधन मुद्दे में मंगलवार की छापेमारी के बाद 1.97 करोड़ रुपये मूल्य का सामान और चार लाख रुपये की विदेशी मुद्रा बरामद की गई इसने बोला कि छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक डॉक्यूमेंट्स और डिजिटल साक्ष्य भी बरामद किए गए हालांकि, बयान में विभिन्न बरामदगी के विशिष्ट जगह का उल्लेख नहीं किया गया है

हम आपको याद दिला दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार, आप के राज्यसभा सदस्य एनडी गुप्ता और अन्य लोगों के परिसरों की मंगलवार को तलाशी ली थी इसके बारे में एजेंसी ने बोला है कि अरैस्ट किए गए डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा ने ‘एनकेजी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ नामक कंपनी को डीजेबी का ठेका देने के बाद ‘‘रिश्वत’’ की धनराशि नकद और बैंक खातों में प्राप्त की थी और उन्होंने इस पैसे को डीजेबी के मामलों का प्रबंधन करने वाले विभिन्न व्यक्तियों और आप से जुड़े लोगों को भी दिया प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि घूस की धनराशि आप को चुनावी कोष के तौर पर भी दी गई हम आपको यह भी बता दें कि इस छापेमारी के बारे में दिल्ली गवर्नमेंट में मंत्री आतिशी ने दावा किया था कि प्रवर्तन निदेशालय की टीम बिभव कुमार के घर से दो जीमेल खातों के कुछ डाउनलोड और परिवार के तीन टेलीफोन अपने साथ ले गई अब प्रवर्तन निदेशालय ने जो खुलासा किया है उसके बाद आम आदमी पार्टी ने बोला है कि वह उसकी छवि खराब करने को लेकर न्यायालय में प्रवर्तन निदेशालय के विरुद्ध मानहानि का मुद्दा दाखिल करेगी

उपराज्यपाल का आरोप

बहरहाल, यहां बात केवल दिल्ली जल बोर्ड घोटाले की ही नहीं है दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जो कुछ बोला है वह भी चौंकाने वाला है हम आपको बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बोला है कि दिल्ली गवर्नमेंट के वकीलों ने राष्ट्रीय राजधानी में अब रद्द हो चुकी आबकारी नीति 2021-2022 को लागू करते समय विभिन्न वार्ड में शराब की दुकानें खोलने के संबंध में एक रिपोर्ट दाखिल किये जाने को लेकर हाई कोर्ट के समक्ष “भ्रामक” बयान दिए यह जानकारी राज निवास के ऑफिसरों ने दी है राज निवास ऑफिसरों ने बोला है कि ‘अनुरूप और गैर-अनुरूप’ वार्ड के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर गठित समिति की रिपोर्ट न्यायालय को प्रस्तुत करने के लिए आबकारी आयुक्त का प्रस्ताव 18 अगस्त 2022 को उपराज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा गया था ऑफिसरों ने बोला कि हालांकि, तत्कालीन मंत्री ने इसे दो बार रोक दिया था एक अधिकारी ने बोला है कि यह सब तब हुआ जब गवर्नमेंट हाई कोर्ट में रिकॉर्ड पर यह बताती रही कि रिपोर्ट उपराज्यपाल के पास लंबित है इसके चलते न्यायालय ने उपराज्यपाल से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए फाइल को शीघ्रता से स्वीकृति देने के लिए तीन बार निवेदन किया, जबकि तथ्य यह था कि फाइल उपराज्यपाल के पास नहीं थी राजभवन के अधिकारी ने बोला कि प्रस्ताव को (दिल्ली की मंत्री) आतिशी ने स्वीकृति दी, और इसे आगे की सिफारिश के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल को भेजा, जिन्होंने इसे इस वर्ष 16 जनवरी को स्वीकृति दी और उपराज्यपाल को भेजा

अधिकारी ने बोला कि सक्सेना ने केजरीवाल को एक ‘फाइल नोटिंग’ में कहा कि रिपोर्ट की स्वीकृति से संबंधित फाइल इस वर्ष 16 जनवरी को उपराज्यपाल सचिवालय को प्राप्त हुई थी सक्सेना ने नोट में बोला था कि 18 अगस्त, 2022 को जब फाइल को पहली बार उपराज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा गया था, उससे एक वर्ष और पांच महीने के अंतराल के बाद यह फाइल प्राप्त हुई सक्सेना ने फ़ाइल में उल्लेख किया कि “जिस तरह से राज्य गवर्नमेंट के वकीलों ने न्यायालय के समक्ष झूठे और भ्रामक बयान दिए’’ उससे उपराज्यपाल और उनके कार्यालय की छवि न्यायालय की नजर में खराब हुई सक्सेना ने बोला कि वह चाहेंगे कि राज्य गवर्नमेंट अपने हलफनामे में इसका पूरा खुलासा करे कि पेश करने में देरी के लिए “पूरी तरह से राज्य गवर्नमेंट उत्तरदायी है” और “तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर हाई कोर्ट के समक्ष पेश प्रस्तुत करने” के लिए स्थायी वकील के विरुद्ध भी कार्रवाई की जानी चाहिए राजभवन के अधिकारी के मुताबिक उपराजयपाल विनय सक्सेना ने बोला कि यह ‘‘झूठी शपथ देने और न्यायालय की अवमानना के अतिरिक्त इस पद की गरिमा को कमतर करने जैसा है’’ सक्सेना ने फ़ाइल नोट में बोला कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) अब एकीकृत हो गई है और कई वार्डों के साथ-साथ उनकी सीमाएं भी बदल गई हैं चूंकि, समिति का गठन उस समय प्रचलित आबकारी नीति 2021-22 के संदर्भ में किया गया था, इसलिए समिति की रिपोर्ट का वर्तमान आबकारी नीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा

Related Articles

Back to top button