वित्त विभाग ने एडवांस सेलेरी रिकवरी के लिए RBI को लिखा पत्र
राजस्थान में कर्मचारियों के खातों में एडवांस सेलेरी क्रेडिट होने के मुद्दे में अब वित्त विभाग में सिर फुटव्वल मची है. वित्त विभाग ने एडवांस सेलेरी रिकवरी के लिए बुधवार को ही RBI को पत्र लिखा, लेकिन RBI ने साफ रूप से इंकार कर दिया. उनका बोलना है कि वेतन कर्मचारियों के खातों में चला गया है, उसे रिवर्ट नहीं किया जा सकता.
हैरानी की बात ये है कि एडवांस पेमेंट का टकराव अभी थमा भी नहीं है कि पेंशन के डबल बेनिफिट्स खातों में डाले जाने के नए मुद्दे और सामने आ गए. इसमें बहुत सारे पेंशनर्स ऐसे हैं, जिनके पेंशन बेनिफिट्स पुराने पेमेंट सिस्टम IFMS 2.0 से भी जारी हो गए और नए पेमेंट सिस्टम IFMS 3.0 से भी जारी कर दिए.
अब वित्त विभाग के अधिकारी मुद्दे को दबाने के लिए डीडीओ और कोषाधिकारियों पर रिकवरी करने का दबाव बना रहे हैं लेकिन रिकवरी हो नहीं पा रही. क्योंकि सिस्टम से अभी तक ये पता नहीं चल पा रहा है कि कितने लोगों के खातों में एडवांस पैसा और डबल बेनिफिट्स चले गए हैं.
एक वर्ष में हाल बेहाल, कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
नए सिस्टम को लागू किए अभी वर्ष भर भी नहीं हुआ और लगातार वित्तीय गड़बड़ी के मालमे सामने आ रहे हैं. इनमें SIPF में गलत भुगतान, मृतकों के खातों में पेंशन, दूसरे राज्यों के लोगों के खातों में हजारों करोड़ रुपये ट्रांसफर, पेंशन और सेलेरी दोनों एक खातें में ट्रांसफर, एक कर्मचारी के दो भिन्न-भिन्न दफ्तरों से वेतन और रिटायरमेंट से पहले ही खातों में रिटायरमेंट बेनिफिट डाले जाने के हजारों मुद्दे सामने आ चुके हैं. राजकोष को इतने बड़े हानि की एवज में बड़े अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि निचले अफसरों को नोटिस देकर इतिश्री कर ली गई.
एडवांस सेलेरी खातों में चली जाने को लेकर अब वित्त विभाग पर कार्रवाई करने का दबाव है. ऐसे में ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाए इसे लेकर महकमें में घमासान मचा हुआ है. वित्त मार्गोपाय के पास ही भुगतान के अधिकार हैं, लेकिन वहां से यह कहकर हाथ झाड़ लिए गए कि सारी गलती निदेशायल कोष और लेखा की है. वहीं, निदेशायल कोष एवं लेखा सेवा इसे तकनीकी गलती बताकर पल्ला झाड़ रहा है. वित्त विभाग के सूत्रों का बोलना है कि मुद्दे में यदि विस्तृत जांच हो जाती है तो इससे भी बड़े खुलासे हो सकते हैं.
65 करोड़ की स्थान 1000 करोड़ खर्च, कंसलटेंसी पर भी करोड़ों खर्च
दरअसल सरकारी भुगतान प्रणाली का ये सारा मुद्दा उस नए IFMS 3.0 सिस्टम से जुड़ा है, जिसका रिपेयर, मेंटिनेंस से लेकर कंसलटेंसी तक का सारा सिस्टम प्राइवेट कंपनी को कई गुना अधिक मूल्य पर दिया गया. राजस्थान में IFMS 3.0 से पहले केंद्र गवर्नमेंट की कंपनी NIC ने 10 वर्ष तक IFMS 2.0 चलाया था. तब कभी भी ऐसी गड़बड़ी नहीं हुई. यही नहीं NIC ने IFMS 2.0 की स्थान IFMS 3.0 सिस्टम को 65 करोड़ में अपग्रेड करने का प्रस्ताव भी राज्य गवर्नमेंट को दिया था, लेकिन वित्त विभाग ने करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च कर इसे प्राइवेट हाथों में सौंप दिया. यही नहीं इस सिस्टम को चलाने के लिए वित्त विभाग ने प्राइवेट कंसलटेंट रखे हैं, जिन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
इधर एडवांस उधर महीनों से वेतन अटका
नए सिस्टम और नाकारा अफसरों की फौज के चलते गवर्नमेंट में जहां एक तरफ डबल पेमेंट, एडवांस पेमेंट जैसे मुद्दे हो रहे हैं. वहीं कई विभाग ऐसे भी हैं, जहां कर्मचारियों को लंबे अरसे से वेतन ही नहीं मिल रहा. जानकारी के अनुसार अब उन महकमों के आईएएस अधिकारी इस मुद्दे की कम्पलेन ऊपर कर रहे हैं.
कर्मचारी संगठनों ने भी बार-बार चेताया था
नए आईएफएमएस सिस्टम की गड़बड़ी को लेकर कई कर्मचारी संगठनों ने गवर्नमेंट को पत्र लिखकर बार-बार चेताया था. इसमें वित्त विभाग के भीतर आने वाले अकाउंटेंट्स के संगठन राजस्थान अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने भी गवर्नमेंट को पत्र लिखकर कहा था कि इस सिस्टम को तैयार करने में उनकी अनदेखी की गई है, जिसके चलते बार-बार अनियमित भुगतान के मुद्दे सामने आ रहे हैं. इसके अतिरिक्त शिक्षा विभाग से जुड़े संगठनों सहित अन्य बहुत से कर्मचारी संघों ने भी गवर्नमेंट को इस संबंध में ज्ञापन सौंपे थे.
बड़ा प्रश्न क्या ब्याज के हानि की रिकवरी अफसरों के खातों से होगी
मामले में अब वित्त विभाग जिम्मेदारों का नाम तय कर कार्रवाई करने में जुट गया है. बड़ा प्रश्न ये है कि इससे पहले भी जो इस तरह के मुद्दे हुए हैं उन सभी मामलों में राजकोष को हुए हानि की भरपाई क्या उत्तरदायी अफसरों के खातों से होगी?