मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवागनानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एनआईए को दो जनहित याचिकाओं में झड़पों और अन्य आरोपों व बमों के कथित इस्तेमाल के बारे में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही यह भी निर्देश दिया कि रिपोर्ट में बताए कि झड़पों के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकियां केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जाएं या नहीं. बता दें, पीठ में न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य भी शामिल हैं.
मामले की सुनवाई 10 मई को होगी
अदालत ने निर्देश दिया कि मुद्दे की अगली सुनवाई 10 मई को की जाएगी. तब तक रिपोर्ट दाखिल करनी है. इसके अलावा, एनआईए को केंद्र गवर्नमेंट के प्रतिनिधि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती द्वारा उठाए गंभीर आरोपों पर भी उत्तर देने को बोला है.
इससे पहले न्यायालय ने मुर्शिदाबाद के पुलिस अधीक्षक और सीआईडी को निर्देश दिया था कि वह एक हलफनामा दाखिल करें. उसी आदेश का पालन करते हुए पुलिस अधीक्षक और सीआईडी ने एक हलफनामा दाखिल किया.
अदालत ने जताई थी नाराजगी
रामनवमी के समारोहों के दौरान हुई झड़पों पर नाराजगी जताते हुए न्यायालय ने 23 अप्रैल को बोला था कि बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव स्थगित करने का प्रस्ताव निर्वाचन आयोग के समक्ष रखने के लिए मजबूर किया जा सकता है क्योंकि इस दौरान घटनाएं हुई हैं. झड़पों की CBI और एनआईए जांच की मांग वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बोला था कि आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान यदि दो तरह के लोग आपस में लड़ रहे हैं तो उन्हें किसी निर्वाचित प्रतिनिधि की आवश्यकता नहीं है क्योंकि चुनाव से एक और परेशानी पैदा हो जाएगी.
विश्व हिंदू परिषद के कोलकाता क्षेत्र के संयोजक अमिया गवर्नमेंट और मुसलमान राष्ट्रीय मंच, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के क्षेत्रीय संयोजक एसए अफजल दो जनहित याचिकाओं में याचिकाकर्ता हैं.