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Jan Gan Man: लव जिहाद के मामलों पर देश में कैसे लगेगी रोक…

कर्नाटक में एक मुसलमान आदमी द्वारा एक हिंदू स्त्री की चाकू मार कर मर्डर किए जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है और ‘लव जिहाद’ के आरोपों ने आग को हवा दे दी है. आरोपी की मां ने बोला है कि वह लगभग एक वर्ष से स्त्री के साथ रोमांटिक संबंध में था. विपक्षी बीजेपी को शक है कि मर्डर के पीछे की प्रेरणा “लव जिहाद” थी. बीवीबी कॉलेज में एमसीए प्रथम साल की छात्रा नेहा हिरेमठ की आरोपी फयाज खोंडुनाईक ने परिसर में चाकू मारकर मर्डर कर दी. आरोपी, जिसे बाद में अरैस्ट कर लिया गया था, ने कथित तौर पर पुलिस को कहा कि उसने नेहा को कई बार चाकू मारा था क्योंकि दोनों संबंध में थे और वह पिछले कुछ समय से उससे बच रही थी. हालाँकि, पीड़िता के परिवार ने दावा किया कि उसने उसकी मर्डर कर दी क्योंकि उसने उसके शादी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. कुल मिलाकर देखें को लव जिहाद की चर्चा इस मुद्दे में तेज हो गई है. इसी को लेकर राष्ट्र के मशहूर अधिवक्ता और हिंदुस्तान के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने अपनी बात रखी है, सुनते हैं.

अश्विनी उपाध्याय ने प्रश्न किया कि अब तक कितने जेहादियों को फ़ाँसी हुई? कितने जेहादियों की नागरिकता खत्म हुई? कितने जेहादियों की 100% संपत्ति बरामद हुई? उन्होंने बोला कि तू-तू-मैं-मैं आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा. उन्होंने बल देते हुए बोला कि पुलिस रिफॉर्म और जूडिशल रिफॉर्म करना होगा. तथा वर्ष के भीतर इन्साफ लागू करना होगा. उन्होंने बोला कि कानून का कोई भय नहीं है. उन्होंने प्रश्न करते हुए बोला कि दूसरे राष्ट्रों में कोई फयाज नेहा की मर्डर क्यों नहीं करता? यह केवल हिंदुस्तान में ही क्यों होता है? उन्होंने बोला कि पिछले 5 वर्ष में 1000 से अधिक बेटियों की मर्डर इसी तरह हो चुकी है. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि 1000 से अधिक युवाओं की भी आतंकी मर्डर हो चुकी है. उन्होंने बोला कि जब-जब ऐसे मुद्दे सामने आते हैं, ट्विटर पर इसको ट्रेंड कराया जाता है. जस्टिस विदिन ईयर की बात की जाती है. लेकिन फिर मुद्दा छोड़ दिया जाता है. उन्होंने बोला कि इस परेशानी का मूल कारण और निवारण क्या है, इसको लेकर कोई बात नहीं करता है. ना नेता बात करता है, ना अदाकार बात करता है, ना कोई बुद्धिजीवी बात करने सामने आता है. उन्होंने बोला कि लव जिहाद को लेकर टीवी पर भी खूब बहस होती है. लेकिन वहां भी इसके मूल कारण पर चर्चा नहीं होती. न एंकर प्रश्न पूछता है, ना उत्तर देने वाले इस विषय तक जाते हैं.

अश्वनी उपाध्याय ने बोला कि अनेक हत्याओं को लेकर फांसी की मांग की जाती है. इस तरह के मुद्दे पर राजनीति भी खूब होती है. प्रदर्शन भी होता है, जुलूस भी निकाले जाते हैं. पुलिस स्टेशन का घेराव भी होता है. लेकिन मूल प्रश्न पर कोई नहीं जाता आज तक इस मुद्दे में कोई फांसी नहीं हुई है. लेकिन हम थोड़ा दिमाग भी नहीं लगाते. बावजूद इसके हम इसकी मांग को समय-समय पर करते रहते हैं. इस तरह के मुद्दे लगातार राष्ट्र के भिन्न-भिन्न हिस्सों से आते रहते हैं. लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है. जिन राष्ट्रों ने सख्त कानून बनाया, इन्साफ में तेजी दिखाई, वहां इस तरह के मुद्दे नहीं आते हैं. लेकिन हिंदुस्तान में अभी भी इस तरह के मामलों को लेकर सख्त कानून की आवश्यकता है. साथ ही साथ इन्साफ की प्रक्रिया में भी तेजी लाने की आवश्यकता है. इस तरह की घटना के बाद दोनों पक्षों की ओर से खूब इल्जाम प्रत्यारोप होते हैं. लेकिन ठोस फैसला तक नहीं पहुंच जाता.

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