जानें बम की नाम वापसी पर क्या सोचते हैं इंदौरी…
Indore Lok Sabha seat: इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार अक्षय बम ने नामांकन वापस लेकर कांग्रेस पार्टी को संकट में डाल दिया है. हालांकि इंदौर सीट पर बीजेपी की जीत पहले से तय मानी जा रही थी, लेकिन नाम वापसी के बाद तो चुनाव पूरी तरह नीरस हो गया है. इंदौरी वोटर्स का मानना है कि इससे वोट फीसदी तो कम होगा ही, पार्टी और उम्मीदवार के प्रति लोगों का विश्वास भी कम होगा. अब लोगों के पास क्या विकल्प है? क्या वे वोट डालने जाएंगे? क्या इस बार इंदौर में नोटा का रिकॉर्ड बनेगा? आइए जानते हैं कि बम की नाम वापसी पर क्या सोचते हैं इंदौरी…
वेबदुनिया के साथ तल्ख स्वरों में बात करते हुए अनिमेष ने बोला कि अक्षय बम की हरकत से लोकतंत्र का मजाक बन गया है. अब मतदाता क्या सोचकर वोट डालने जाएगा, घर में बैठकर छुट्टी ही मनाएगा या फिर कहीं घूमने निकल जाएगा. बस, हो गया लोकतंत्र का महापर्व. मैं तो कहता हूं कि लोगों को बड़ी संख्या में वोट डालने निकलना चाहिए और NOTA पर बटन दबाना चाहिए ताकि इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंचे.
मतदान को लेकर उदासीनता : संदीप माहेश्वरी कहते हैं कि अक्षय के नाम वापस लेने से जनता में यही संदेश जाएगा कि राजनीति अब जनसेवा के लिए न होकर सत्ता के लिए हो गई है. इस बारे में पार्टी को भी सोचना पड़ेगा कि वह किसे अपना उम्मीदवार बना रही है. वह कितनी जनता की सेवा करेगा. इससे पार्टी के कोर वोटर्स में भी गलत संदेश जाएगा. मतदान को लेकर भी लोग और उदासीन हो जाएंगे.
एक अन्य आदमी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बोला कि अब चुनाव में कुछ करने के लिए रह ही क्या गया है. बीजेपी प्रत्याशी को सीधे-सीधे वॉकओवर मिल गया है. यह कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी की गलती है. यदि उसे चुनाव नहीं लड़ना था तो टिकट के लिए कोशिश ही नहीं करना चाहिए था. उन्हें मैदान नहीं छोड़ना था. यह अच्छी नीति नहीं है. वोट फीसदी पर भी इसका असर होगा. सभी लोगों को लगेगा कि बीजेपी सीधे-सीधे जीत रही है. ऐसे में वोट डालने जाने से कोई मतलब नहीं है. जब कोई लड़ने के लिए तैयार ही नहीं है तो वोट किसे देंगे.
लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं : राखी कहती हैं कि निश्चित ही नाम वापसी का असर वोटिंग फीसदी पर नजर आएगा. उन्होंने बोला कि हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार ने किसी डर के चलते नाम वापस लिया हो. यह अच्छी स्थिति नहीं है. एक अन्य आदमी ने बोला कि इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हैं. जब मतदाता को लगेगा कि अपना कैंडीडेट तो है ही नहीं तो वह वोट डालने नहीं जाएगा. सूरत और इंदौर में हुई घटना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी तो यह राष्ट्र के लिए अच्छा नहीं है.
सौरभ पटेल कहते हैं कि अक्षय बम की नाम वापसी के बाद कांग्रेस पार्टी के वोटर तो बाहर ही नहीं आएगा. निश्चित ही इसका वोटिंग फीसदी पर असर पड़ेगा. कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार को हौसला रखकर चुनाव तो लड़ना चाहिए था. यश मुकुंद जगताप ने बोला कि अक्षय के नाम वापस लेने से अब वोट बीजेपी को ही मिलेंगे. ऐसा होना भी चाहिए. बीजेपी उम्मीदवार को ही जीतना चाहिए. हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार वोट ही नहीं डालें.
वोटिंग पर असर पड़ेगा : गोपाल कृष्ण कहते हैं कि अक्षय की नाम वापसी से वोटिंग पर असर पड़ेगा. अब माहौल बीजेपी के पक्ष में एकतरफा हो गया है. हालांकि पब्लिक में उत्साह नहीं है. महंगाई से भी नाराजगी है. निःशुल्क राशन देकर गवर्नमेंट ने लोगों को आलसी बना दिया है. वोट तो हमको देना चाहिए. यह नियम भी बनना चाहिए कि जो वोट नहीं डालेगा उसे सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिलेगा.
युवा मतदाता अभिषेक श्याम जोशी कहते हैं कि अक्षय बम कांग्रेस पार्टी के अच्छे नेता थे, लेकिन उन्होंने ऐन मौके पर नाम वापस ले लिया, जो कि ठीक नहीं है. अक्षय के निर्णय से निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट बढ़ सकते हैं. हालांकि सतर्क मतदाता बीजेपी के पक्ष में वोट करेंगे. विधानसभा चुनाव में बीजेपी सभी 9 सीटें जीत चुकी है. कांग्रेस पार्टी तब एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.