Lok Sabha Election 2024 : बदलते दौर में चुनाव प्रचार के तरीके भी बदले
Lok Sabha Election 2024 : बदलते दौर में चुनाव प्रचार के ढंग भी बदल गये हैं। अब चुटीले नारे सुनायी नहीं देते। एक समय ऐसा था कि सभी पार्टियां क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर नारे तैयार करतीं थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। एक समय था कि डॉ राम मनोहर लोहिया के ‘चार घंटा पेट को, एक घंटा राष्ट्र को ’ के नारे पर पूरा राष्ट्र उनके साथ चल पड़ा था। कुछ नारे तो ऐसे बने, जो बच्चों की जुबान पर रट गये थे। इनमें ‘बीड़ी पीना छोड़ दो, जनसंघ को वोट दो’ जैसे नारे शामिल रहे। कार्यकर्ता भी घर से रोटी बांधकर पार्टी और प्रत्याशी का प्रचार करने पैदल ही निकल पड़ता था। आज तो हालात यह है कि बगैर लंच पैकेट और चार पहिया वाहन के बिना प्रचार नहीं प्रारम्भ होता।
चुनाव के आते ही राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर नारे बनते थे। राष्ट्रीय स्तर के नारों में ‘एक झंडा, एक निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान,’ ‘संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़े पावे सौ में साठ’, ‘सबको शिक्षा एक समान, जाग उठा मजदूर किसान’, ‘जली झोपड़ी भागे बैल, जो देखो दीपक का खेल’ के साथ ही लोहिया का एक नारा ‘जिंदा कौमें पांच वर्ष प्रतीक्षा नहीं करतीं’ काफी चर्चित रहा था। 80 के दशक में करप्शन के विरुद्ध विपक्षी दलों का यह नारा भी काफी चर्चा में रहा। ‘खा गयी शक्कर पी गयी तेल, जो देखो गवर्नमेंट का खेल’, ऐसे कई नारे गलियों में गूंजते नजर आते थे।
खूब रंग जमाते थे बुंदेली नारे
दो दशक पहले चुनाव को त्योहार के रूप में मनाया जाता था। चुनाव से पहले नुक्कड़ सभाएं की जाती रहीं। हाथ से लिखे हुए बैनर तैयार किये जाते थे। जो कच्चे और पक्के रंग से बनते थे। साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर नारे तैयार किये जाते थे। समाजवादी विचारक लक्ष्मी नारायण विश्वकर्मा ने कहा कि जब सुशीला नैयर चुनाव मैदान में थी, तब ‘एक चवन्नी ऑयल में, नैय्यर पहुंची कारावास में’ खुब चलन में था। इसके बाद जब भी कोई बुंदेला चुनाव हारते थे, तो ‘दाऊ का हलुआ, खा गये ठलुआ’ जैसे नारे चलन थे। हालांकि उस समय चुनावी नारों का कोई बुरा नहीं मानता था।
जुबान पर सहज चढ़ जाते थे नारे
- चार घंटा पेट को, एक घंटा राष्ट्र को
- सबको शिक्षा एक समान, जाग उठा मजदूर किसान
- जली झोपड़ी भागे बैल, जो देखो दीपक का खेल
- खा गयी शक्कर पी गयी तेल, जो देखो गवर्नमेंट का खेल
- एक चवन्नी ऑयल में, नैय्यर पहुंची कारावास में
- दाऊ का हलुआ, खा गये ठलुआ