राष्ट्रीय

तेलंगाना चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक पर बीजेपी और कांग्रेस का मचा सियासी घमासान

2023 के अंतिम चुनाव के बाद से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा और कांग्रेस पार्टीकेवल एक-दूसरे पर हमलावर हैं, बल्कि अगले वर्ष के लिए भी चुनावी राह हिंदू-मुस्लिम समीकरण के हिसाब से साधने की प्रयास कर रही हैं तेलंगाना में भाजपा ने खुलेआम राज्य में मुस्लिमों को दिए जाने वाले चार प्रतिशत आरक्षण को समाप्त करने का घोषणा कर दिया है वहीं, कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों के लिए अलग घोषणा पत्र जारी कर एम फैक्टर का इस्तेमाल करने की बड़ी सियासी चाल चली है

राजनीति को समझने वालों का मानना ​​है कि इस राज्य में चुनाव नतीजे चाहे जो भी आएं, लेकिन एम फैक्टर यानी मुसलमान फैक्टर के मुद्दे में तेलंगाना को राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में एक बड़ी सियासी प्रयोगशाला के रूप में देखा जा रहा है एक तरफ कांग्रेस पार्टी तेलंगाना में स्वयं को सत्ता में लाने की अपील कर रही है तो दूसरी तरफ भाजपा और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार तेलंगाना में रैलियों के जरिए कांग्रेस पार्टी पर धावा बोल रहे हैं

मुस्लिम मतदाता

तेलंगाना की जनसंख्या में मुसलमान मतदाताओं का फीसदी करीब 12.5 प्रतिशत है राष्ट्र के कई राज्यों में मुसलमान जनसंख्या की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से भी अधिक है लेकिन जिस तरह का मुसलमान तुष्टिकरण तेलंगाना में चल रहा है वैसा किसी भी राज्य में सियासी दलों द्वारा नहीं देखा जा रहा है

तेलंगाना में मुसलमान वोट बैंक पर एक नजर

लगभग 3.5 करोड़ की जनसंख्या वाले तेलंगाना राज्य में 13 फीसदी जनसंख्या मुसलमान है राज्य की 119 विधानसभा सीटों में से एक तिहाई से अधिक सीटें मुसलमान समुदाय की हैं, यानी तेलंगाना में लगभग 46 सीटों पर जीत या हार का निर्णय मुसलमान मतदाता करते हैं वहीं, यदि हम राज्य की सभी सीटों का मूल्यांकन करें तो हैदराबाद की 10 सीटों पर औसतन 40 प्रतिशत मुसलमान कारगर रूप से जीत या हार का निर्णय करते हैं तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के अतिरिक्त 20 सीटें ऐसी हैं जहां औसतन 20 प्रतिशत मुस्लिमों की पहचान क्रिटिकल वोटर्स के तौर पर की जाती है जबकि राज्य की 16 सीटों पर औसतन 14 प्रतिशत मतदाता मुसलमान हैं और वही हार-जीत का निर्णय भी करते हैं

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