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CAA लागू होने के बाद दिल्ली और असम में बढ़ाई गई सुरक्षा

CAA Law: केंद्र की मोदी गवर्नमेंट की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है इसके बाद से लगातार प्रतिक्रिया आ रही है मुद्दे पर, ऑल इण्डिया मुसलमान जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया दी है उन्होंने बोला है कि कानून का स्वागत किया जाना चाहिए मुसलमान समुदाय के बीच भय को दूर करने की प्रयास करते हुए उन्होंने बोला कि इससे उनकी नागरिकता की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है

क्या बोला मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने बोला कि केंद्र गवर्नमेंट ने सीएए कानून लागू कर दिया है मैं इसका स्वागत करता हूं ऐसा बहुत पहले ही किये जाने की आवश्यकता थी लेकिन खैर, देर आए दुरुस्त आए… इस कानून को लेकर मुसलमानों के बीच बहुत सारी गलतफहमियां हैं जिसे दूर किये जाने की आवश्यकता है पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने के लिए कोई कानून नहीं था, जिन्हें धर्म के आधार पर अत्याचार का सामना करना पड़ा था

ऑनलाइन होगी पूरी प्रक्रिया

आपको बता दें कि केंद्र की मोदी गवर्नमेंट ने पूरी प्रक्रिया को औनलाइन बनाया है इसके लिए औनलाइन पोर्टल भी तैयार करने का काम किया गया है आवेदक अपने मोबाइल टेलीफोन से भी आवेदन करने में सक्षम हैं आवेदकों को उस वर्ष की जानकारी देनी होगी, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना हिंदुस्तान में प्रवेश किया था आवेदकों से कोई डॉक्यूमेंट्स नहीं मांगा जायेगा पात्र विस्थापितों को केवल पोर्टल पर औनलाइन आवेदन करने की आवश्यकता होगी नागरिकता देने के अधिकार की बात करें तो वह केंद्र गवर्नमेंट के पास होगा

आवेदन से पहले राष्ट्र में एक वर्ष लगातार रहना जरूरी

भारतीय नागरिकता पाने के इच्छुक लोगों को आवेदन करने की तारीख से पहले राष्ट्र में कम-से-कम 12 महीने यानी एक वर्ष तक रहना जरूरी है इसके बाद ही वे आवेदन करने के लिए पात्र हो पाएंगे नियमों पर गौर करें तो इसमें बोला गया है कि इन 12 महीनों से ठीक पहले के आठ सालों के दौरान भी आवेदकों द्वारा राष्ट्र में कम-से-कम छह वर्ष बिताया गया हो, तभी उन्हें हिंदुस्तान की नागरिकता दी जाएगी यानी वे उपरोक्त शर्त यदि दर्शाते हैं तभी आवेदन करने के लिए पात्र माने जाएंगे

 

अबतक 1414 को दी गई नागरिकता

गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट पर नजर डालें तो, एक अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता देने का काम किया जा चुका है

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