राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा से पास हुए बिल पर फैसला लेने में हो रही देरी पर जाहिर की नाराजगी

Supreme Court: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्र के विभिन्न राज्यों में राज्यपालों की ओर से विधानसभा से पास हुए बिल पर निर्णय लेने में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बोला कि राज्यपालों को मुद्दा न्यायालय में पहुंचने से पहले बिल पर निर्णय लेना चाहिए. ऐसा लगता है कि जब राज्य गवर्नमेंट बिल की स्वीकृति को लेकर सुप्रीम  न्यायालय पहुँचती है, उसके बाद ही गवर्नर अपने पास लम्बित बिल पर कार्रवाई करते नज़र आते है. उन्हें इसका इतंज़ार नहीं करना चाहिए. न्यायालय ने ये टिप्पणी पंजाब गवर्नमेंट की याचिका पर सुनवाई के दौरान की है. हालांकि पंजाब के अतिरिक्त केरल और तमिलनाडु गवर्नमेंट ने भी अपने अपने यहां गवर्नर की ओर से बिल पेंडिंग रखने के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय का रुख किया है.

पंजाब गवर्नमेंट की याचिका

पंजाब गवर्नमेंट ने विधानसभा से पास बिल पर गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित की ओर से निर्णय लेने में हो रही देरी के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. राज्य गवर्नमेंट का बोलना है कि गवर्नर की गैरकानूनी निष्क्रियता के चलते प्रशासनिक काम में परेशानी आ रही है. पंजाब गवर्नमेंट का बोलना है कि उसने  20 और 21 अक्तूबर को विधानसभा का दो दिवसीय सत्र बुलाया था, लेकिन गवर्नर ने इस सत्र को अवैध ठहराने के साथ साथ इस सत्र में  में गवर्नमेंट को तीन वित्त विधेयक पेश करने की अनुमति भी नहीं दी. जिसके चलते  सत्र  को तीन घंटे बाद ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा था. सदन में मनी बिल पेश करने के लिए गवर्नर की सहमति ज़रूरी है. हालांकि इसके बाद 1 नवंबर को तीन मनी बिल में से दो को गवर्नर ने अनुमति दे दी है.

पंजाब गवर्नमेंट और SG की ओर से दलील
आज सुनवाई से दौरान पंजाब गवर्नमेंट की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. सिंघवी ने न्यायालय से बोला कि गवर्नर के पास कई अहम बिल पेन्डिंग है. वो उन पर कोई निर्णय नहीं ले रहे है. ये बिल जुलाई में गवर्नर के पास भेजे गए थे लेकिन गवर्नर की निष्क्रियता के चलते गवर्नमेंट के कामकाज में परेशानी आ रही है. वहीं गवर्नर ऑफिस की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बोला कि  गवर्नर ने अपने पास लम्बित बिल पर उपयुक्त निर्णय लिया है और वो शुक्रवार को अपडेट लेकर न्यायालय को जानकारी देंगे. इस पर न्यायालय ने उनसे बोला कि वो शुक्रवार को गवर्नर की ओर से बिल को स्वीकृति को लेकर ताजा स्थिति से न्यायालय को अवगत कराएं.

राज्यपाल, चुने हुए प्रतिनिधि नहीं -SC
हालांकि चीफ जस्टिस ने गवर्नर के रवैये पर प्रश्न खड़ा किया. चीफ जस्टिस ने बोला कि आखिर पार्टियों को उच्चतम न्यायालय आने के लिए क्यों विवश होना पड़ता है. ऐसा लगता है कि गवर्नर तब ही अपने पास पेंडिंग बिल पर निर्णय लेते हैं, जब राज्य गवर्नमेंट बिल की स्वीकृति को लेकर उच्चतम न्यायालय पहुँच जाती है. राज्यपालों को यह नहीं भूलना  चाहिए कि वह जनता की ओर से चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं. उन्हें मुद्दा उच्चतम न्यायालय तक पहुंचाने का प्रतीक्षा नहीं करना चाहिए.

विधानसभा सत्र बुलाने पर SC का सवाल
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने पंजाब में विधानसभा सत्र बुलाने के ढंग पर भी प्रश्न खड़े किए. न्यायालय ने बोला कि कि विधानसभा का सत्र मार्च में बुलाया गया था, उसके बाद विधानसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई लेकिन जून में स्पीकर ने सत्र फिर से बुला लिया. इस तरह से बजट सत्र – मानसून सत्र एक ही हो गए. क्या ये कानूनी तौर पर ठीक है?

‘सरकार और गवर्नर , दोनों को आत्ममंथन की ज़रूरत’
चीफ जस्टिस ने बोला कि ऐसा लगता है कि गवर्नमेंट और गवर्नर दोनों को अपने स्तर पर आत्ममंथन की ज़रुरत है. हम दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र है. बेहतर होगा कि सीएम और गवर्नर इस तरह के मुद्दे को अपने स्तर पर सुलझा ले. न्यायालय आने की ज़रूरत न पड़े. पंजाब के अतिरिक्त केरल और तमिलनाडु  गवर्नमेंट ने भी अपने अपने यहां गवर्नर की ओर से बिल पेंडिंग रखने के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. उन याचिकाओ पर उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई करेगा.

Related Articles

Back to top button