सुप्रीम कोर्ट : गैर-जमानती वारंट आम तौर पर जारी नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि…
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक हालिया निर्णय में बोला है कि गैर-जमानती वारंट आम तौर पर जारी नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि आरोपी पर कोई संगीन आपराधिक इल्जाम न हो और उसके कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना न हो।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बोला कि हालांकि गैर-जमानती वारंट जारी करने के बारे में कोई विस्तृत गाइड लाइन नहीं है, शीर्ष न्यायालय ने कई मौकों पर टिप्पणी की है कि गैर-जमानती वारंट तब तक जारी नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि आरोपी पर कोई संगीन आपराधिक इल्जाम न हो और उसके कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ अथवा उसे नष्ट करने की संभावना न हो। खंडपीठ में न्यायमूर्ति एस।वी।एन। भट्टी भी शामिल थे।
शीर्ष न्यायालय ने समन के आदेश को रद्द करते हुए बोला कि इस संबंध में कानून में स्थिति साफ है कि गैर-जमानती वारंट आम तौर पर जारी नहीं किया जाना चाहिए और किसी आदमी की स्वतंत्रता को तब तक प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि समाज और देश के व्यापक भलाई में ऐसा करना महत्वपूर्ण न हो।
लखनऊ के विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2021 में मैनेजर सिंह के विरुद्ध यह कहते हुए गैर-जमानती वारंट जारी किया था कि जमानत से पहले निजी रूप से न्यायालय के समक्ष मौजूद होने से छूट का कोई प्रावधान नहीं है। एक अन्य आदेश में बोला गया था कि वैसे जमानती वारंट जारी करने के बाद भी आरोपी मौजूद नहीं हुआ, इसलिए निजी रूप से उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया जाता है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, “यह टिप्पणी कि जमानत से पहले निजी रूप से न्यायालय के समक्ष मौजूद होने से छूट का कोई प्रावधान नहीं है, ठीक नहीं है। (दंड प्रक्रिया) संहिता की निजी पेशी से छूट की शक्ति की व्याख्या इस तरह से नहीं की जानी चाहिए कि यह आरोपी को जमानत मिलने के बाद ही लागू हो सकता है। मेनका संजय गांधी और अन्य बनाम रानी जेठमलानी के मुद्दे में इस न्यायालय ने बोला था कि जब तथ्य तथा परिस्थितियों के मद्देनजर इस तरह की छूट की आवश्यकता हो तो निजी पेशी से छूट की शक्ति का उदारतापूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सुप्रीम न्यायालय ने ट्रायल न्यायालय से उसके आदेश में की गई टिप्पणी के सिलसिले में पूरे मुद्दे पर पुनर्विचार करने और कानून के मुताबिक कार्रवाई करने के लिए कहा। उसने ट्रायल न्यायालय द्वारा तय शर्तों पर आरोपी मैनेजर सिंह को जमानत पर रिहा करने का भी आदेश दिया।