सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सारा डेटा 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड का दिया आदेश
एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ा सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। एसबीआई (एसबीआई) ने चुनावी बांड से जुड़ा सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। सुप्रीम न्यायालय ने आज शाम 5 बजे तक डेटा सौंपने का आदेश दिया था, जिसे भारतीय स्टेट बैंक ने आज शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया है। सुप्रीम न्यायालय ने चुनाव आयोग को ये सारा डेटा 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था।
सुप्रीम न्यायालय ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए इसकी वैधता रद्द कर दी। सुप्रीम न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी माना कि चुनावी बांड की गोपनीयता अनुच्छेद 19(1)(ए) के अनुसार सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बोला कि चुनावी बांड मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और काले धन पर रोक लगाने का एकमात्र तरीका नहीं हैं। सुप्रीम न्यायालय ने बैंकों को इलेक्ट्रोल बॉन्ड की बिक्री रोकने का निर्देश दिया है।
एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ा सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चुनावी बांड से जुड़ा सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। सुप्रीम न्यायालय ने आज शाम 5 बजे तक डेटा सौंपने का आदेश दिया था, जिसे भारतीय स्टेट बैंक ने आज शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया है। सुप्रीम न्यायालय ने चुनाव आयोग को ये सारा डेटा 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था।
सुप्रीम न्यायालय ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए इसकी वैधता रद्द कर दी। सुप्रीम न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी माना कि चुनावी बांड की गोपनीयता अनुच्छेद 19(1)(ए) के अनुसार सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बोला कि चुनावी बांड मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और काले धन पर रोक लगाने का एकमात्र तरीका नहीं हैं। सुप्रीम न्यायालय ने बैंकों को इलेक्ट्रोल बॉन्ड की बिक्री रोकने का निर्देश दिया है।
एसबीआई को बांड की जानकारी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया
सुप्रीम न्यायालय ने एसबीआई (SBI) को यह जानकारी देने का निर्देश दिया है कि 5 वर्ष पहले इलेक्टोरल बॉन्ड योजना प्रारम्भ होने के बाद से किस पार्टी को कितने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए गए हैं। एसबीआई को चुनावी बांड के जरिए सियासी दलों को मिले चंदे का ब्योरा तीन हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग को देना होगा। सुप्रीम न्यायालय ने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया है। आपको बता दें कि सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले वर्ष 2 नवंबर को इस मुद्दे में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
एसबीआई को सियासी दलों द्वारा रखे गए चुनावी बांड का विवरण भी जमा करना होगा
चुनावी चंदा पूरी तरह से ‘मुनाफे के बदले लाभ’ की आसार पर आधारित उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अतिरिक्त जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। एसबीआई को सियासी दलों द्वारा रखे गए चुनावी बांड का विवरण भी जमा करना होगा। इलेक्ट्रोल बांड की नकद राशि खरीदार के खाते में वापस करनी होगी। सुप्रीम न्यायालय ने बोला कि चुनावी बॉन्ड के जरिए कॉरपोरेट दानदाताओं की जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए। क्योंकि कंपनियों द्वारा सियासी दलों को दिया जाने वाला चुनावी चंदा पूरी तरह से ‘मुनाफे के बदले लाभ’ की आसार पर आधारित होता है।
चुनावी बांड योजना क्या थी?
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने की पहल के अनुसार केंद्र गवर्नमेंट ने 2 जनवरी, 2018 को चुनावी बांड योजना की घोषणा की। चुनाव बांड एसबीआई (एसबीआई) की अधिकृत शाखाओं से कोई भी आदमी जो भारतीय नागरिक है या हिंदुस्तान में गठित या स्थापित कोई व्यवसाय, संघ या निगम खरीद सकता है। इलेक्ट्रोल बांड रु। 1000, रु। 10000, रु। 1 लाख, रु। 10 लाख और रु। 1 करोड़ के गुणकों में बेचे गए। किसी सियासी दल को दान देने के लिए, उन्हें केवाईसी-अनुपालक खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता है।
चुनावी बांड योजना 29 जनवरी 2018 को अधिसूचित की गई थी
राजनीतिक दलों को इसे जारी होने के 15 दिन के भीतर भुनाना था। चुनावी बांड के माध्यम से दान देने वाले दानकर्ता का नाम और अन्य जानकारी दर्ज नहीं की जाती थी और इस प्रकार दानकर्ता गुमनाम हो जाता था। किसी भी आदमी या कंपनी द्वारा खरीदे जा सकने वाले चुनावी बांड की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी। केंद्र ने चुनावी बांड योजना प्रारम्भ करने के लिए जन अगुवाई अधिनियम 1951, कंपनी अधिनियम 2013, इनकम टैक्स अधिनियम 1961 और विदेशी सहयोग विनियमन अधिनियम 2010 में संशोधन किया। चुनावी बॉन्ड योजना संसद द्वारा पारित होने के बाद 29 जनवरी 2018 को अधिसूचित की गई थी।